न्याय के आभाव में कास्तकार की मौत, शिकायतें मौन, परिजनों के आरोप, पुलिस-चिकित्सक कह रहे ह्दयघात

भोपाल। उमरिया जिले के बांधवगढ़ स्थित विश्व विख्यात टाइगर रिजर्व फारेस्ट एरिया से सटे कास्तकार के पुस्तैनी भू-खण्ड को उमरिया मुख्यालय के तथाकथित जमीन कारोबारी के द्वारा हड़पे जाने व कई वर्षाे से न्याय के लिए भटकते कास्तकार ने न्याय के आभाव में अंतत: दम तोड़ दिया। परिजनों ने इस मामले में जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पुस्तैनी भूमि भू-माफियाओं ने हड़प ली, कलेक्टर कार्यालय में न्याय के लिए आवेदन लगाये महीनों और वर्षाे बीत गये, माफियाओं ने रूपयों के दम पर न्यायालय तक भी पहुंचा दिया, लगातार आर्थिक तंगी और मानसिक आघात झेल रहे कास्तकार की न्याय के आभाव में बीते दिवस जब मौत हो गई तो, पूरे अंचल में इस बात की चर्चा होने लगी कि कास्तकार ने परेशान होकर खुदकुशी कर ली है। वहीं पुलिस और शव विच्छेदन प्रक्रिया में शामिल चिकित्सकों ने इसे ह्दयघात से मौत होना बताया है।
यह है मामला
मानपुर तहसील अंतर्गत ग्राम जमुनारा निवासी शीलकुमार पिता धानू सेन उम्र 52 वर्ष की अचानक मौत हो जाने की खबर मिलते ही उसके गृह ग्राम सहित आस-पास के सरमनिया, माला आदि गांवों में सनसनी फ़ैल गई और ग्रामीण जन उसके घर के आस-पास इकठ्ठे होने लगे हरेक की जुबान में बस एक ही बात थी कि शीलकुमार अपनी कीमती जमीन हड़पे जाने को लेकर काफी दिनों से चिंतित था और उसने अपने प्राण त्याग दिए। उक्त जमीन जो कि पांच एकड़ की नेशनल पार्क की हद से लगी हुई थी।
परिजन इन पर लगा रहे आरोप
मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि लगभग एक वर्ष पूर्व माला के शंकरप्रसाद द्विवेदी एवं दमना के अनिल कुमार शुक्ला ने जिला मुख्यालय स्टेशन रोड स्थित अजंता ड्रेसेस के प्रोपाइटर जीतेश हेमनानी पिता थावरचंद हेमनानी से दलाली कर मृतक को धोखे में रखकर उक्त जमीन के एवज में कर्जा दिलाने के गहननामें पर दस्तखत करवाने के नाम से रजिस्ट्री के कागजातों पर भी हस्ताक्षर करवा लिए और इसके बदले उसे कई किश्तों में तकरीबन दो लाख रुपए देकर लाखों की संपत्ति हड़प ली गई।
दलाल के चक्कर में फंसा मृतक
खबर है कि उक्त जमीन की बिक्री अगर सही ढंग से हुई होती तो कम से कम पचास लाख में तो बिकती, लेकिन इन भू-माफियाओं ने महज़ दो लाख में बेशकीमती जमीन बिकवा दी। उक्त जमीन क्रेता द्वारा यहां बांधवगढ़ ताला इलाके में कई बेशकीमती जमीनों को दलालों के माध्यम से हथियाकर उसे करोड़ों में बेचने का व्यापार किया जा रहा है। मृतक के तीन लड़के और चार लड़कियों का एक बड़ा परिवार था तथा आर्थिक तंगी के कारण इतने लोगों का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा था, कुछ दिनों पूर्व उसका बड़ा बेटा भी मानसिक रूप से बीमार हो चुका था और दूसरा पुत्र गुजरात में रोजी-रोटी की तलाश में रहता था जो कि अपने पिता की कभी-कभार मदद कर देता था, वह भी लाकडाउन में वहीं फंसा रह गया।
डीएम तक पहुंची थी शिकायत
आर्थिक तंगी से जूझ रहे मृतक से जालसाजी कर भूमाफियाओं ने जमीन हड़प ली, ठगी का शिकार होने के बाद मृतक की पत्नी ने कलेक्टर के पास अपना माथा टेका था, लेकिन नियमों-कायदों के सख्त अधिकारी के यहां गरीब की फाइल दब कर रह गई, परिजनों ने आरोप लगाया कि समय रहते अगर जिला प्रशासन मामले को संज्ञान में ले लेता तो, आज यह स्थिति नहीं बनती।