फर्जी जाति प्रमाण लगाकर पाई नौकरी

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शहडोल। दक्षिण वन मण्डल की तो बात ही निराली है, जहां डीएफओ व रेंजर ने मिलकर लकड़ी और रेत का कारोबार ही कर डाला उन्होंने अधीनस्थ स्टाफ को फर्जी मामलों पर नजर नहीं डाली। ऐसा ही एक मामला गोहपारू वन परिक्षेत्र  में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का सामने आया है। सूत्रों का कहना है कि मण्डला निवासी एक डिप्टी रेंजर ने अपना ऐसा जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जिसे विभाग ने सच मान लिया और यह डिप्टी रेंजर गोहपारू वन परिक्षेत्र के एक क्षेत्र में नौकरी भी कर रहा है। 
डिप्टी रेंजर ने जाति प्रमाणपत्र के आधार पर जब से नौकरी पायी है, तब से अब तक कितना वेतन आहरण हुआ कितनी शासकीय सुविधाएं लीं तथा सरकारी  लाभ का कितना लाभ उठाया सारी बाते सामने आ जाएंगी, बशर्ते सीसीएफ एवं डीएफओ को इस फर्जी डिप्टी रेंजर के जाति प्रमाण पत्र को खंगालना होगा। अगर इस मामले में भी दोनो ही वरिष्ठ अफसरों ने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया तो हो सकता है किसी वास्तविक और पात्र को इसका लाभ मिल जाए। एक वरिष्ठ अधिवक्ता के मुताबिक फर्जी जाति प्रमाण पत्र में अगर जांच हुई तो सबसे पहले जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाता है। इस मामले की जांच नियोक्ता द्वारा की जाती है। तथा वि ाागीय जांच भी की जाएगी। इस मामले में कानूनी धाराओं के तहत भादवि की धारा 467, 468 व 420 का मामला पंजीबद्ध हो सकता है।

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