भय व मारपीट से आदिवासी महिला थाने में हो गई मुर्श्चित @ कपड़े फ़टे,थी रक्तरंजित ,पर दर्ज की सिर्फ मारपीट

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दबंगों ने आदिवासी महिला को पीटा, टीआई ने बताई सामान्य घटना
चिकित्सकों ने बुढ़ार से शहडोल इलाज के लिये किया रेफर
माथे से बह रहा था खून, कपड़ों को भी किया क्षत-विक्षत
थाने में ही बेहोश हो गई थी पीडि़त महिला

मुख्यालय में बैठे पुलिस के मुखिया भले ही महिला अधिकारों और आदिवासियों के हितों की बात करें, लेकिन थानों की हकीकत अधिकारियों के दावों से बिल्कुल जुदा है, बुधवार की सुबह अमलाई थानान्तर्गत गोंड़ जाति की महिला से गंभीर मारपीट हुई, घंटों थाने में शिकायत के लिये बैठी महिला, जब मुर्छित हो गई तो, आनन-फानन में बुढ़ार अस्पताल भेजा गया, जहां से उसे शहडोल रेफर कर दिया गया, लेकिन प्रभारी ने सिर्फ 323 और 294 दर्ज कर इतिश्री कर दी।

शहडोल । जिले में महिला अपराधों के लगातार बढ़ रहे ग्राफ का सबसे बड़ा कारण थानों में बैठे कलीराम परते जैसे थाना प्रभारी और उनके मातहत हैं, महिलाओं की शिकायतों को इनके द्वारा गंभीरता से न लिये जाने के कारण आरोपियों के हौसले बढ़ रहे हैं और इसी वजह से महिला अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है, घटना बुधवार सुबह की है, अमलाई थाना परिसर से महज 500 मीटर दूर मुख्य मार्ग पर 27 वर्षीय महिला कविता सिंह गोंड़ पति भोला सिंह गोंड़ केे साथ पड़ोस के विजय गुप्ता, जय गुप्ता व बड़े गुप्ता ने गंभीर मारपीट की, फिलहाल महिला जिला चिकित्सालय के फीमेल वार्ड में भर्ती है, अमलाई पुलिस ने इस मामले में न तो महिला के द्वारा बताई गई शिकायत पर कथित दबंगों के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट कायम किया गया और न ही महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित की कोई धारा लगाई।
यह हुआ महिला के साथ
पीडि़त महिला की सास ने बताया कि बुधवार की सुबह वह अपनी बाड़ी में काम कर रही थी, इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले विजय गुप्ता और उसके भाई पूर्व की तरह छीटाकशी करते हुए सामने आ गये, बहू के द्वारा विरोध करने पर उन्होंने उसे खेत में पटक दिया, उसके कपड़े भी फट गये, पटके जाने के दौरान महिला के सर पर गंभीर चोटें आई, उसके बाहों और गले में कथित दबंगों के नाखून निर्ममता की कहानी बयां कर रहे थे, लेकिन जब इस संदर्भ में अमलाई थाना प्रभारी से अपराध के संदर्भ में जानकारी चाही गई तो, उन्होंने इसे सामान्य घटना बताते हुए कहा कि अपराध धारा 323, 506 बी के तहत कायम कर विवेचना की जा रही है।
थाने में मूर्छित हो गई थी महिला
घटना के संदर्भ में यह भी जानकारी मिली की बुधवार की सुबह जब बदमाशों ने घटना कारित की तो, महिला ने सबसे पहले 100 डॉयल किया, लेकिन आधे से एक घंटे तक 100 डॉयल नहीं पहुंची, घर में कोई पुरूष न होने के कारण महिला को उसकी वृद्ध सास पैदल ही थाने लेकर पहुंची, पीडि़त की सास ने बताया कि थाने में करीब एक घंटे तक पुलिस ने बैठाये रखा, इस दौरान जब बहू सर पर लगी चोट के कारण मूर्छित हो गई तो, महिला पुलिस के माध्यम से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बुढ़ार भेजा गया, लेकिन चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार करने के बाद वापस थाने या घर जाने की अनुमति न देते हुए, उसे शहडोल जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए रेफर कर दिया। बुढ़ार अस्पताल की एम्बुलेंस ही घायल महिला को लेकर शहडोल जिला चिकित्सालय में भर्ती कराने आयी।

फिर भी बताई सामान्य घटना
महिला को दबंगों ने उसके घर की सरहद के अंदर घुसकर पीटा, उसके कपड़े तक फाड़ दिये गये, सर पर गंभीर चोट आई, रक्तरंजित महिला थाने में करीब 1 घंटे बैठे-बैठे मूर्छित हो गई, न तो पुलिस ने एससीएसटी एक्ट के तहत ही कथित दबंगों के ऊपर अपराध कायम किया, न ही महिला को स्पर्श करने व कपड़े फाडऩे जैसी धाराओं का एफआईआर में जिक्र किया। शर्म तो इस बात की है कि बुढ़ार अस्पताल से शहडोल लाने के लिए घायल महिला के परिजनों से आटो तक के पैसों की अपेक्षा की गई। पैसे न मिलने पर ही काफी देर तक सरकारी एम्बुलेंस का इंतजार किया गया। यही नहीं शहडोल जिला चिकित्सालय में लाकर भर्ती की प्रक्रिया भी ठीक ढंग से नही कराई गई।
इनका कहना है…
मैं मामले इस मामले में टीआई से बात करके दिखवाती हँू।
प्रतिमा एस. मैथ्यू
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
शहडोल

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