भ्रष्टाचारी राजस्व लिपिक को 4 वर्ष का सश्रम कारावास

भू-राजस्व प्रकरण का निराकरण के लिये मांगी थी 10000 की रिश्वत

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। मीडिया सेल प्रभारी एडीपीओ नवीन कुमार वर्मा ने बताया कि प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने विशेष प्रकरण थाना लोकायुक्त रीवा विरूद्ध महीपाल पटेल के मामले में सुनवाई पूरी करते हुए आरोपी महीपाल पटेल पिता शिवबालक पटेल 57 वर्ष, निवासी ग्राम गजास, थाना रामनगर जिला सतना को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 एवं 13(1) डी सहपठित 13(2) में 04-04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10000 रू. के अर्थदण्ड से दण्डित किया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से श्रीमती कविता कैथवास ने पैरवी की।
राजस्व रिकार्ड में होना था सुधार
शिकायतकर्ता सत्यनारायण गुप्ता ने 27 मार्च 2014 को लोकायुक्त रीवा कार्यालय जाकर अपना स्वंय का फोटो लगाकर एक लिखित शिकायत पत्र पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रीवा को इस बावत का दिया था कि शिकायतकर्ता ग्राम सेमरा तहसील जयसिंहनगर का निवासी है, वर्तमान में ब्यौहारी में रहता है। पटवारी हल्का ब्यौहारी में खसरा नं. 1080 रकबा 2.36 एकड़ जमीन उसके पिता रामसखी के भाई रामकिशोर के संयुक्त नाम पर थी, भू-राजस्व रिकार्ड में वर्ष 1952-53 में दर्ज थी किंतु वर्ष 1953-54 को उसके बाबा श्रीराम गोपाल ने इनका नाम हटवाकर राजस्व रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया था।
10 हजार मांगी थी रिश्वत
शिकायतकर्ता के पिता कि मृत्यु 1979 में हो चुकी थी। सन् 2012 में शिकायतकर्ता एवं उसके भाई को यह पता लगा कि उक्त जमीन में उसका एवं उसके भाई का नाम दर्ज नहीं है। तब शिकायतकर्ता के बड़े भाई रामस्वरूप गुप्ता ने सभी भाईयों का संयुक्त आवेदन पत्र तहसीलदार के न्यायालय में अपने वकील के माध्यम से दिये है। उक्त केस के सबंध में तहसीलदार ब्यौहारी के लिपिक महिपाल पटेल से शिकायतकर्ता मिला तो महिपाल पटेल ने उससे कहा कि 10000 रू. दे दो तो तुम्हारा काम करवा दूंगा। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रीवा द्वारा शिकायतकर्ता के लिखित पत्र का सत्यापन कर निरीक्षक विद्यावारिधि तिवारी को लिखित पत्र का सत्यापन करने एवं वैधानिक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया।
लोकायुक्त पुलिस ने की थी कार्यवाही
निरीक्षक विद्यावारिधि तिवारी द्वारा वैधानिक कार्य पूर्ण कर प्राथमिक पंचनामा अधिकारियों के समक्ष आवेदन पत्रों का सत्यापन और अन्य वैधानिक कार्यवाही पूर्ण कर प्राथमिक पंचनामा तैयार किया था। प्रकरण की सम्पूर्ण विवेचना के दौरान प्राप्त समस्त मौखिक एवं अभिलेखीय साक्ष्य से शिकायतकर्ता की शिकायत सही होना पाए जाने पर संपूर्ण विवेचना उपरांत लोकायुक्त पुलिस द्वारा आरोपी के विरूद्ध चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अदालत ने सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया है।