मानवता: दुर्घटना में घायल ग्रामीणों को लेकर थाना प्रभारी खुद पहुंचे जिला चिकित्सालय इधर नहीं सुधरी चिकित्सालय की व्यवस्था, तड़पते रहे घायल

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मानवता: दुर्घटना में घायल ग्रामीणों को लेकर थाना प्रभारी खुद पहुंचे जिला चिकित्सालय
इधर नहीं सुधरी चिकित्सालय की व्यवस्था, तड़पते रहे घायल
शहडोल। मंगलवार की दोपहर बुढ़ार थाने के वाहन से दो लोग दुर्घटना में घायल हो गये। जानकारों का कहना है कि मामले की विवेचना कर बुढ़ार लौट रहे थाना प्रभारी महेंद्र सिंह वाहन में सवार थे उसी समय यह घटना घटी और बाईक सवारों की हालत गंभीर हो गई। मानिक चंद गुप्ता व लक्ष्मी कांत गुप्ता गंभीर रूप से घायल हो गये। दोनो ही लोग शहडोल से ग्राम छादा जा रहे थे। बाईक सवार पिपरिया स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं तथा मानिकचंद गुप्ता पेसे से व्यापारी हैं। लक्ष्मीकंात गुप्ता और दूसरे घायल को थाना प्रभारी महेंद्र सिंह ने घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया।
फिर दिखी चिकित्सालय में अव्यवस्था
थाना प्रभारी के वाहन से दुर्घटना ग्रस्त लक्ष्मीकांत गुप्ता को भले ही थाना प्रभारी ने जिला चिकित्सालय पहुंचाया हो, लेकिन उन्हें भी अस्पताल की इस अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा। एक तरफ थानेदार की मानवीयता दिखाई दे रही थी और दूसरी तरफ चिकित्सालय जहां मरीजों को इलाज नसीब होता है वो अमानवीय दिखाई दे रहे थे। गौरतलब है कि 30 मिनट तक वाहन में घायल तड़पता रहा और उसे स्ट्रेचर भी नहीं मिला। इस तरह की अव्यवस्था आये दिन चिकित्सालय में देखने को मिलती है, लेकिन प्रबंधन की सेहत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा।


स्ट्रेचर तक नहीं हुआ नसीब
असंवेदनशील जिला चिकित्सालय इन दिनों अपनी पराकाष्ठा पार कर चुका है, उससे तो यह स्पष्ट हो रहा है कि पूरा का पूरा प्रशासनिक तंत्र वर्तमान सिविल सर्जन को सर आंखों पर बिठाये हुये है और वो अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। लगातार घट रही घटनाएं इस बात का द्योतक हैं। पहले महिला की मौत उसके बाद और भी कई घटनाएं इस चिकित्सालय की चिकित्सकीय व्यवस्था को हिलकोर कर रख दिया है, लेकिन प्रबंधन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। ऐसी ही एक घटना मंगलवार की दोपहर फिर देखने को मिली जब दुर्घटना में घायलों को स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हुआ और अस्पताल का पूरा प्रबंधन अपनी मनमर्जी में लगा हुआ था।
सिविल सर्जन पर कार्यवाही की दरकार
सिविल सर्जन सिर्फ चिकित्सालय का प्रभार लेकर मरीजों की जगह यहां के फंड की फिक्र करते नजर आ रहे हैं, चिकित्सालय की अव्यवस्था से मानो उन्हें कोई लेनादेना ही नहीं है, यहां के स्टॉफ को उन्होंने तो पूरी तरह से छूट दे रखी है। संभागायुक्त जिन्होने संभाग के कई चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही की है, ऐसे में सिविल सर्जन पर अब तक मेहरबानी किस बात की बरती जा रही है कि पूरा का पूरा प्रबंधन सिविल सर्जन की हर लापरवाही पर पर्दा डाल रहा है। गौरतलब है कि जल्द ही सिविल सर्जन के खिलाफ एक आंदोलन की तैयारी की जा रही है।

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