माह भर दवा खाने के बाद पता चला नहीं था पेट में गर्भ

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न्याय के लिए थाने में पीडि़त महिला ने दी शिकायत

(अमित दुबे-8818814739)
शहडोल। संभागीय मुख्यालय स्थित कुशाभाऊ ठाकरे चिकित्सालय और जिले भर में फैले उनके अधीन आने वाले सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्थाओं के साथ प्रशासनिक कार्याे में उलझे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व उनकी टीम की इस व्यस्तता का फायदा जिले भर में फैले फर्जी क्लीनिकों के संचालक बखूबी ले रहे है, बीते अंकों में राज एक्सप्रेस ने संभागीय मुख्यालय के ग्राम कल्याणपुर सहित ग्राम कोटमा, सोहागपुर गढ़ी में संचालित फर्जी क्लीनिकों व संचालकों द्वारा की जा रही लूट का मामला प्रमुखता से प्रकाशित किया था। नया मामला जिले की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले बुढ़ार-धनपुरी के वार्ड नंबर 1 का है। यहां धनपुरी मार्ग पर डॉ. रेखा शुक्ला द्वारा अपने क्लीनिक में चेकप कराने आई महिला को गर्भवती बता दिया गया, यही नहीं तीन माह तक कथित महिला चिकित्सक द्वारा महिला को प्रसुता बताकर उसे लगातार गर्भ से संबंधित दवाईयां दी गई।
सोनोग्राफी ने तोड़ दी आशाएं
थाना बुढ़ार के वार्ड नंबर 1 में रहने वाले सिंह दंपत्ति जब पहली बार रेवा हेल्थ केयर में जांच कराने गये तो ठहर चुके गर्भ की जानकारी मिलने के बाद दंपत्ति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, कथित महिला चिकित्सक ने तीन महीने तक कई स्थानों से जांच भी करवाई और फिर दवाएं भी देती रही, इसी दौरान गर्भस्थ शिशु की गर्भ में कोई हरकत न होने का भास होने पर दंपत्ति ने सोनोग्राफी करवाई, जांच के बाद आई रिपोर्ट ने दंपत्ति की तीनों महीनों से पाली जा रही आशाओं पर पानी फेर दिया। सोनोग्राफी में यह स्पष्ट हुआ कि गर्भ में कोई शिशु नहीं पल रहा है।
रिएक्शन करती दवाएं, तो क्या होता
सोनोग्राफी की रिपोर्ट हाथ में आने के बाद दंपत्ति की आशाओं पर पानी तो फिर गया, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी कि बीते तीन महीनों से पेट में गर्भ न होने के बाद भी जो दवाएं उसे खिलाई जा रही थी, उसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता तो क्या होता, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि तीन महीने तक पेट में गई दवाएं भविष्य में महिला के शरीर पर अपना असर छोड़े।
जिम्मेदार को पता नहीं, रजिस्टर्ड नहीं है क्लीनिक
बुढ़ार विकास खण्ड में पदस्थ डॉ. सचिन कारखुर जिन्हें विभाग ने ब्लाक की स्वास्थ्य सेवाओं के अलावा पूरे जिले में संचालित ऐसे मनमाने क्लीनिकों व जांच की जिम्मेदारी सौंपी है, बकौल डॉ. सचिन कारखुर, धनपुरी रोड में क्लीनिक संचालित तो है, लेकिन वह रजिस्टर्ड है या नहीं मुझे नहीं मालूम।
भूला नहीं बुढ़ार परमहंसाय का मामला
लगभग 4 से 5 वर्ष पहले बुढ़ार के आदर्श नगर में स्थित डॉ. चितरंजन डकाटे के परमहंसाय चिकित्सालय में प्रसव के दौरान बुढ़ार के प्रतिष्ठित व्यवसायी के पत्नी की मौत हो गई थी, इस मामले में अस्पताल से लेकर थाने तक बवाल हुआ था और डॉक्टर डकाटे के साथ उक्त महिला चिकित्सक भी कटघरे में खड़ी नजर आई थी, एक बार फिर कथित चिकित्सक की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
…तो क्या पुलिस फिर निभायेगी जिम्मेदारी
4 से 5 वर्ष पहले परमहंसाय में हुए घटना क्रम के बाद पुलिस ने महती भूमिका अदाकर आरोपियों पर मामले दर्ज किये थे, वार्ड नंबर 1 में रहने वाले कथित दंपत्ति ने अपने साथ हुए घटनाक्रम की नामजद शिकायत बुढ़ार पुलिस को दे दी है, अब देखना यह है कि दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर बुढ़ार पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट का पालन करती है, या मामले को विवेचना में घसीटती है। हालाकि बुढ़ार थाना प्रभारी आर.के . धारिया ने इस संबंध में प्रेस से जल्द ही कार्यवाही करने की बातें कहीं हैं।

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