वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर 420 का मामला हुआ पंजीबद्ध

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वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर 420 का मामला हुआ पंजीबद्ध
महीनो बाद भी दोषी अधिकारी पद पर है कार्यरत

जंगल विभाग के अधिकारी जंगलो में किस तरह का काला-पीला करते है इसका लेखा जोखा जल्दी से लोगों को नहीं मिल पाता है जिस कारण से शासन के पैसे की बंदर बांट ऐसे भ्रष्ट अधिकारी आसानी से कर लेते है। जिले के कोतमा वन परिक्षेत्र में वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने जो गुल खिलाया है उसका काला चिट्ठा अब खुलकर सामने आ गया है और लोकायुक्त रीवा में इनके खिलाफ 420 तथा अन्य धाराओं के तहत् अपराध पंजीबद्ध किया गया है। मजे की बात यह है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हुए एक माह हो गये, फिर भी अपने पद पर विराजमान है और लूट का सिलसिला जारी है।


राजेश सिंंह

अनूपपुर। जिले के कोतमा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत जंगलो में तार फेंसिंग के नाम पर अधिकारियों ने शासन के पैसे की फर्जी तरीके से बंदरबांट की है जिसकी षिकायत होने के उपरांत लोकायुक्त रीवा संभाग ने भ्रष्टाचार के आरोप में पाॅच अधिकारियों के खिलाफ जांच की तो इनके क्रियाकलापो का काला चिट्ठा खुलकर सामने आ गया और दैखल वीट में पौधारोपण के उपरांत सुरक्षा के लिए फेंसिंग के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया और काम के नाम पर शासन के पैसा का आहरण कर लिया गया,लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य पूरा नहीं हुआ।
क्या था मामला?
कोतमा परिक्षेत्र के अंतर्गत दैखल बीट 25 हेक्टेयर में वृक्षारोपण कर इसकी सुरक्षा के लिए कटीले तार लगाये जाने से इसके लिए 1450 पोल लगाना था,लेकिन 1347 पोल ही लगाये गये इस तरह से 103 पोल कागजो में दिखाकर उसका पैसा निकाल लिया गया साथ ही पोलो का कंक्रीट करण करना था लेकिन वह भी नहीं किया गया। जिसकी षिकायत लोकायुक्त में की गई थी जिसके बाद जांच में यह गड़बड़ी सामने आयीं।
त्रिपाठी के संरक्षण में हुआ भ्रष्टाचार
कोतमा वन परिक्षेत्र में उप वन क्षेत्र में डिप्टी रेंजर रविषंकर त्रिपाठी दैखल बीट के प्रभारी थे और इन्ही के संरक्षण में इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। जिन्होने फेंसिंग के नाम पर जो पोल लगाने थे वह पूरा नहीं लगवाया और कंक्रीट भी नहीं कराया। इसके नाम पर पैसे का आहरण भ्रष्टाचार की टोली में मिलकर कर लिया।
दर्ज हुआ मामला
वनविभाग में हुए भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त रीवा ने धारा 7(ग),13(2),13(1) अधिनियम 1988 संषोधन अधिनियम 2018 एवं 120बी 420 का अपराध दिनांक 25.07.2019 पंजीबद्ध किया गया। अपराध पंजीबद्ध होने के उपरांत इसकी सूचना पुलिस अधीक्षक विषेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त रीवा के द्वारा वनविभाग के सभी अधिकारियों को भेजी गई।
इन पर हुआ मामला दर्ज
लोकायुक्त ने जिन पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है उनमें तत्कालिक उप वन मंडलाधिकारी एच.पी.शुक्ला, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी षिषुपाल अहिरवार, प्रभारी उप वन क्षेत्रपाल रविषंकर त्रिपाठी, वनपाल रामसुरेष शर्मा एवं वन रक्षक चरण सिंह सूर्यवंषी के नाम शामिल है।
पत्र से बेखबर अधिकारी
इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि लोकायुक्त ने एक माह पूर्व भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ गंभीर अपराध पंजीबद्ध करने के उपरांत इसकी सूचना 06.08.2019 को मुख्य वनसंरक्षक शहडोल,वन मंडलाधिकारी अनूपपुर को पत्र के माध्यम से कार्यवाही की जानकारी प्रदान की,लेकिन आज भी भ्रष्ट अधिकारी रविषंकर त्रिपाठी कोतमा में वन परिक्षेत्राधिकारी के पद पर डंके की चोट पर कार्य कर रहा है। निष्चित तौर पर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने वाले वन विभाग के उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर प्रष्न चिन्ह खड़ा करता है।
इनका कहना है
अभी हमे कार्यवाही से संबंधित कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है यदि आया भी होगा तो हम देख नहीं पाये है। जब तक कोई दोष साबित नहीं होता है तब तक किसी को कार्य से कैसे हटा दिया जाये, जांच प्रक्रिया में कोई व्यवधान इनसे उत्पन्न नहीं होगा।
एम.एस.भगदरिया
डीएफओ, अनूपपुर

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