”वक्त है बदलाव का “के नारे को विधुत विभाग कर रहा पूरा

उपभोक्तओं को लगातार झटके दे रहे बिजली के मनमाने बिल
(शंभू यादव+91 98265 50631)
शहडोल। भले ही प्रदेश कांग्रेस सरकार अपने वचन पत्र पर खरी न उतरी हो, लेकिन सरकार के अधीन विद्युत विभाग कांग्रेस के द्वारा चुनाव पूर्व दिये गये ”वक्त है बदलाव का ÓÓ के नारे को अमलीजामा पहनाने में लगा है। नई सरकार के आने के बाद विद्युत विभाग ही अकेला ऐसा विभाग है जो पूरी तरह बदलाव की बयार में चल रहा है, पूर्व की तरह अब न तो उपभोक्ताओं को पूरे समय बिजली मिल रही है और न ही 200 रूपये वाले बिल ही अब चलन में रहे हैं, इधर रही-सही कसर मनमाने बिलों और फर्जीछापों ने पूरी कर दी है। बीते दिनों शहर के ख्याति प्राप्त चिकित्सक एन.के. मित्तल के यहां फर्जी छापामार कार्यवाही और उसके बाद जुर्माने में ली गई राशि वापस करने का मामला ठण्डा नहीं हुआ कि शहर के एक अन्य उपभोक्ता के बिल में विभाग द्वारा की गई मनमानी सामने आ गई।
पिछला बकाया नहीं छोड़ रहा पिण्ड
शहर के दरभंगा चौक के समीप रहने वाले सिंह परिवार द्वारा जुलाई माह में विभाग द्वारा भेजा गया 670 रूपये के बिल का भुगतान किया गया था, उक्त बिल में भी विभाग द्वारा पिछला बकाया 539 रूपये और वर्तमान देयक 121 रूपये उल्लेखित किया गया था, जिसे उपभोक्ता द्वारा 26 अगस्त को जमा कर पावती ले ली गई। अगस्त माह में जब उसे दोबारा बिल मिला तो उसमें वर्तमान देयक 1144 के साथ ही पिछला बकाया 1127 रूपये उल्लेखित था। यह गनीमत थी की मनमाने तरीके से जब विभाग के जिम्मेदारों ने जब पिछला बकाया अंकित किया तो सिर्फ वे चार अंको तक सीमित रहे। आंखे मूंद कर बनाये जा रहे बिलों में पिछला बकाया 5 या 7 अंकों तक भी हो सकता था। बहरहाल उपभोक्ता पुराने बिल की पावती और नये बिल के साथ ही पूर्व के भुगतान के दर्जनों बिल लेकर जब विद्युत मण्डल कार्यालय पहुंचा तो उसे घिसा पिटा जवाब मिला, पहले इसे जमा कर दें, बाद में जांच होगी।
लाखों के बकायादारों से मूंदी आंखे
नगर सहित पूरे जिले में यह चर्चा भी सरगर्म है कि विद्युत विभाग के अधिकारी सत्ताधारी दल के साथ पुराने सत्ताधारी नेताओं के बकाया बिलों को दबाये बैठे हैं, मुख्यालय में ही दो दर्जन से अधिक ऐसे सफेद कुर्ते वाले नेता और अधिकारी हैं, जिनके व्यक्तिगत लाखों के बिल अर्से से बाकी हैं और विद्युत विभाग के जिम्मेदार उनके खिलाफ न तो नोटिस जारी करते हैं और न ही मामला लोक अदालत, कनेक्शन काटने की स्थिति तक पहुंचता है।