हार मानेगा कोरोना, पुलिस प्रसाशन
अमलाई। देश अभूतपूर्व वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में प्रदेश सरकारें इससे बचाव के इंतजाम में लगी हैं, इस पर खासकर पुलिस की भूमिका में लॉकडाउन की शुरुआत से जिस तरीके से बाहर रह रहे मजदूरो व नागरिको का आगमन हुआ उसे संभालना आसान नहीं था। लोगो को वाहन न मिलने की स्थिति में पैदल ही घर जाने के लिए बेचैन थे, लग रहा था स्थितियां सामान्य नहीं होंगी पुलिस को दूसरे राज्यों से आकस्मिक पहुंचे लोगों को घर पहुंचाने का जिम्मा सौंप दिया, अधिक बसों का इंतजाम किया गया, नतीजा 24 घंटे के अंदर सड़कों पर अपार दिख रही भीड़ लगभग गायब हो गई।
पुलिस बनी दोस्त
जगह-जगह पुलिस का मानवीय चेहरा दिखने लगा वह परेशान लोगों को न सिर्फ घर पहुंचाने में मदद कर रही थी, बल्कि उनके खाने, रहने और चिकित्सा के इंतजाम करती हुई दिख रही थी, यह पुलिस का नया चेहरा है अगर कोरोना से हम जीतने जा रहे हैं तो उसमें पुलिस की भी बड़ी भूमिका होगी, नेतृत्व के भरोसे से उस चेहरे का सकारात्मक पहलू इस आपदा में सबके सामने आया वैसे भी देश में कानून व्यवस्था का ये मॉडल चर्चा में है। इसकी चर्चा खासकर सोशल मीडिया पर ज्यादा दिख रही है, बड़ी संख्या में आए लोगो की कानून व्यवस्था संभालने के तरीके के समर्थन में हैं तो कुछ लोग इसे बेहद आलोचनात्मक नजरिए से भी देख रहे हैं।
16 घंटे दे रहे अपनी डयूटी
देखा जाए तो पुलिस प्रसाशन की 24 घंटो की नौकरी होती है पर इस महामारी के दौरान अपने घर से दूर 16 घंटो तक अपनी जगह पर मैजूद होकर अपने कत्र्वय पर निपूर्ण होकर जनता की सेवा मे लगे है, अमलाई थाने पर पदस्थ गिर्राज सिंह जो पहले शहडोल थाने में पदस्थ थे व चचाई थाने पर पदस्थ मोहित श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ मिलकर अपने कार्य को बाखूबी निभाया है, पुलिस प्रसाशन का ये चहरा सभी के लिए राहत दिला रहा है।