10 सालों में करोड़ पति बने सचिव, इधर नर्सरी के बटने लगे पट्टे

मामला सोहागपुर जनपद की चांपा पंचायत का

(शंभू यादव+91 98265 50631)
शहडोल। पंचायती राज व्यवस्था के लिए प्रदेश व केन्द्र सरकार कितने भी प्रयास क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी स्तर पर पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी शासन की मंशा पर पानी फेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, महज 10 वर्षाे के कार्यकाल में मामूली वेतन पाने वाले हेमराज जैसे सचिव करोड़ पतियों की श्रेणी में आ गये, दूसरी तरफ पंचायत लगातार विकास कार्याे से न सिर्फ पिछड़ती रही, बल्कि पंचायत की आड़ में सचिव व अन्य ने मिलकर राजस्व की भूमि तक स्थानीय लोगों को रूपये लेकर बांट दी। बहरहाल हेमराज नामक कथित सचिव अब चांपा का दोहन करने के बाद मैकी में अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं।
यह किया सचिव ने
पंचायत के कथित सचिव पर आरोप हैं कि जिस भूमि पर शासन की योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14 में लाखों रूपये की राशि खर्च करके नर्सरी बनवाई गई थी, वह नर्सरी हेमराज के कार्यकाल के दौरान ही विलुप्त हो गई, यह अलग बात है कि उक्त भू-खण्ड में पौधे लगने के बाद कागजों में चौकीदार की नियुक्ति हुई और 3 से 4 सालों तक चौकीदारी की राशि भी निकलती रही, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस दौरान वहां लगे पौधे एक-एक करके गायब होते गये और वहां सचिव ने गांव के चंद लोगों को धोखे में रखकर रूपये लेते हुए कब्जा भी करवा दिया।
कागजों में ही बना दिया खेल मैदान
पूर्व सचिव हेमराज महोबिया के कारनामें यही खत्म नहीं होते, ग्रामीणों का आरोप है कि खेल मैदान के लिए आई हुई राशि खुर्द-बुर्द कर ली गई, दिखावे के लिए वहां मुरूम का छिड़काव और कुछ दिनों तक मनरेगा के तहत मजदूरों को जरूर लगाया गया था, लेकिन न तो मैदान का समतलीकरण हुआ और न ही गांव के बच्चों को खेल के लिए मैदान ही नसीब हो सका। सचिव ने सरपंच को धोखे में रखकर फर्जी बिलों के माध्यम से लाखों रूपये का आहरण कर लिया।
शौचालय निर्माण में भी मनमानी
अन्य योजनाओं की तरह ही स्वच्छता अभियान व मर्यादा अभियान के दौरान यहां बड़े पैमाने पर कागजों में ही शौचालय का निर्माण किया गया, सचिव खुद ठेकेदार बनकर अन्य दबंगों के माध्यम से काम करवाते रहे, किया गया काम भी निकाली गई राशि की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत ही हो सका, मजे की बात तो यह है कि जनपद में यह विभाग देख रहे जिम्मेदारों ने यहां दौरा और सर्वेक्षण करने के बाद पंचायत को ओडीएफ भी करा दिया। जबकि आज भी दर्जनों ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर हैं।

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