15 के खेल ने गांजा प्रेमी को बनाया उपद्रवी

उमरिया। पुरानी कहावत है कि जब सैय्या भये कोतवाली, तो डर काहे का। पहले कोतवाली के तथाकथितों का नाम शराब के कारोबार से जोडक़र लिया जाता रहा, किसी ने बताया कि कुछ की साझेदारी है, किसी ने कुछ कहा, पर ठोस आधार किसी का नहीं था, रविवार को शराब के बाद मामला गांजे से भी जुड़ गया, बताया गया कि होली में जब चारो तरफ मंदी थी, तभी गुप्ता जी एक गांजा प्रेमी को पकडक़र ले आये, चुटकी भर गांजा जिसे एक ग्राम भी कहा जा सकता है, जब्त किया गया, दोपहर एक बजे से मामला दर्ज करें या न करें, इस पर विचार विमर्श होता रहा, वैसे भी गांजे के मामले की लिखा-पढ़ी, पुलिस के लिए किसी सरदर्द से कम नहीं होती, गुप्ता जी को तो, इसी कोतवाली में रहे धीरे-धीरे 10 साल गुजरने को हैं, जाहिर है अनुभव भी तगड़ा होगा, इसीलिए उफरी के रामकृपाल राठौर को उपद्रवी बताया गया, आरोपी की औकात को संज्ञान में लेते हुए अधिक से नहीं, सिर्फ 20 से बातचीत शुरू हुई। जुगाड़-तुगाड़ बनना शुरू हुआ, 15 तक की हिम्मत जुटाई गई, लेकिन इस जुगाड़-तुगाड़ में इतना रायता फैलाया कि चर्चा कोतवाली से बस स्टैण्ड होती हुई, उफरी तक के हर गली-चौराहे में होने लगी।
शाम लगभग 5 बजे के आस-पास गुप्ता-गर्ग की जोड़ी ने 01 ग्राम से 15 निकाल लिये, शायद इतना महंगा तो, गांजा भी नहीं था और न ही राठौर को इतना महंगा शौक करने की आदत ही थी, लेकिन एनडीपीएस का डर और 10 सालो का अनुभव गुप्ता जी ने 5 घंटो में ऐसा निचोडक़र सामने रखा कि सबकुछ 151 में सिमटकर रह गया, अब तो, प्रभारी भी गुप्ता-गर्ग की जोड़ी की सरहना करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन उफरी से उफरा यह हल्ला तीन स्टार की जगह दो स्टार लगाकर कुर्सी पर बैठे प्रभारी को होली में बुरा मानने को मजबूर कर रहा है।