4 साल, 1 फर्म, साढ़े चार करोड़ और नेताजी के साढ़ू @शहडोल का पेंट घोटाला फाइलों में कैद…?
शहडोल। जिले का चर्चित पेंट घोटाला अब हमेशा के लिए सरकारी फाइलों में दबा दिया जाएगा? करोड़ों की हेराफेरी! फर्जी बिल! नियमों की अनदेखी! सरकारी खजाने की बंदरबांट! और फिर भी जिला प्रशासन खामोश क्यों?
घोटाले की जड़ अरविंद…?
करीब 2–3 माह पहले जिला शिक्षा कार्यालय पर आरोप लगे कि स्कूलों की मरम्मत और रंगरोगन के नाम पर करोड़ों रुपये लोक शिक्षण संचनालय भोपाल से मंगाए गए! लेकिन जमीनी स्तर पर काम हुआ या नहीं? ग्रामीणों का कहना है—काम सिर्फ कागज पर! भुगतान पूरा!!
एक ही स्कूल में चार लीटर पेंट और 168 मजदूरों का भुगतान?
नियम ताक पर!
सुधाकर कंस्ट्रक्शन को बार-बार ठेके क्यों?
क्या यह सब मिलकर खुला भ्रष्टाचार नहीं दर्शाता?
आरोप किस पर?
इस पूरे मामले का सूत्रधार कौन? आरोपों की उंगली सीधे अरविंद पांडे की तरफ! कहा जा रहा है कि उन्होंने जिला शिक्षा कार्यालय और रमसा में अपना दबदबा दिखाकर ठेके दिलवाए! क्या यह सही है कि वे भाजपा के बड़े नेता के साढ़ू भाई हैं? अगर हां, तो क्या इसी रिश्तेदारी ने उन्हें बचा रखा है?
इसी कड़ी में जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मोरपाची, संयुक्त संचालक उमेश धुर्वे और सुधाकर कंस्ट्रक्शन के कथित संचालक सब सवालों के घेरे में क्यों नहीं?
भाजपा विधायक के तेवर क्यों ढीले पड़े?
भाजपा विधायक शरद कोल ने विधानसभा में सवाल उठाए! घोटाले को उजागर किया! लेकिन अचानक उनके तेवर ठंडे क्यों पड़ गए? क्या दबाव पड़ा? क्या मैनेजमेंट हो गया? क्या जनता के सामने सच आने से रोकने की साजिश रची गई?
4.5 करोड़ का खेला…!
सूत्रों के अनुसार 2022 से 2025 तक सिर्फ सुधाकर कंस्ट्रक्शन को 4.5 करोड़ रुपये के काम सौंपे गए! खरीद नियमों और निविदा शर्तों का उल्लंघन हुआ! फर्जी बिल बने! भुगतान हुआ! और जमीन पर काम नजर तक नहीं आया! क्या यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार नहीं?
यहां तक कि जीएसटी विभाग ने भी संदिग्ध बिलिंग पकड़ी! नोटिस जारी हुए! लेकिन कार्रवाई कहां गई? नोटिसों में ही क्यों फंसी रह गई जांच?
भाजपा की साख पर लगा दाग
मोहन यादव सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ नारों में क्यों दिख रही है? क्या जिला प्रशासन ने भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया? क्या भाजपा सरकार अपने ही नेताओं और रिश्तेदारों को बचा रही है? अगर हां, तो यह पार्टी की साख पर गहरा धब्बा नहीं?
मीडिया रिपोर्ट और फाइलों का खेल
मीडिया रिपोर्ट्स में घोटाले के बिल और भुगतान की परतें उजागर हुईं! वायरल दस्तावेजों ने पोल खोल दी! लेकिन जिला प्रशासन का कोई बयान तक क्यों नहीं आया? क्या वे इन बिलों को AI जेनरेटेड बताने का बहाना खोज रहे थे? अगर हां, तो अब तक ऐसा क्यों नहीं किया?
इन वालों के जवाब नदारत….
क्या 4.5 करोड़ रुपये जनता के टैक्स का दुरुपयोग नहीं?
क्या भाजपा के रिश्तेदार होने का फायदा उठा रहे अरविंद पांडे?
क्या विधायक शरद कोल ने सच दबाने के लिए चुप्पी साधी?
क्या जिला प्रशासन खुद भ्रष्टाचार के संरक्षण में शामिल?
क्या मोहन यादव सरकार की छवि अब बच पाएगी?