पाली में खुलेआम हो रहा एक का अस्सी

(चंदन वर्मा+7987914503)
बिरसिंहपुर पाली। कभी चोरी छिपे चलने वाला सटटा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है, उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। थाना क्षेत्र एवं एसडीओपी कार्यालय से 200 मीटर की दूरी पर जायसवाल नामक व्यक्ति ने सट्टे के कारोबार पर विजय पा ली है।
गरीब बेरोजगार युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर इस अवैध कारोबार में उतारा जा रहा है। आगे चलकर यही युवा अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। शिकायत होने पर जब पुलिस अभियान चलाती है तो, खाईवाल को बक्श कर अक्सर इन्हीं युवाओं के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेती है। किन्तु लंबे समय से पुलिस की खानापूर्ति भी नजर नही आ रही हैं।
सट्टे के खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। प्रमुख खाईवाल के एजेंट जो पर्ची काटते हैं प्राय: हर गली मोहल्ले में आसानी से पर्ची काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग इन नगरों के प्रमुख बाजारों में एवं अन्य क्षेत्रों में खुलेआम पर्ची काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढी कमाई पर डाका डाल रहे हैं जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है।
क्षेत्र में कानून व्यवस्था इस तरह बिगड़ी है कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को पुलिस का जरा भी भय नहीं है। पहले तो कभी कभार एक दो छोटे प्रकरण बनाकर खानापूर्ति कर दी जाती थी। इस कारण जुए के अड्डे व सट्टे की खाईवाल के हौसले बुलंद हैं। वे अपने काम को खुलेआम संचालित कर रहे हैं। ऐसे में लोगों का कहना है कि पुलिस के संरक्षण के कारण इनका संचालन हो रहा है। चर्चा है कि कोतवाल जहां पहले प्रभारी थी, उससे कुछ ही दूरी पर गांजा का कारोबार जमकर फलाफूला, लेकिन तत्कालीन कप्तान की टीम के छापामार कार्यवाही ने ईमानदार कोतवाल की पोल खोलकर रख दी थी, हालाकि इस बार कोतवाल को नेताजी का संरक्षण प्राप्त है, वह करोड़ों का कारोबार करने वाले ठेकेदारों से भी हिस्सा मांगने से नहीं चूक रहे हैं। मामले में कितनी सत्यता है यह तो, कप्तान की टीम अगर जांच करे तो, सबकुछ सामने आ सकता है।