हाईकोर्ट के आदेश पर भी नहीं रुकी राखड़ की ओव्हरलोडिंग

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राखड़ के लेनदेनडिंग की जांच नहीं होती, सडक़ों पर दुर्घटनाओं की आशंका

शहडोल। सीमेंट फैक्ट्रियों में बड़े पैमाने पर काम आने वाली फ्लाई ऐश(राखड़) की ओव्हरलोडिंग आज भी बदस्तूर जारी है। ताप विद्युत केन्द्रों से निकलने वाली यह राखड़ मल्टीएक्सल कैपसूल व बल्कर वाहनों से निरंतर ले जायी जा रही है। इन वाहनों में क्षमता से अधिक राखड़ भरा रहता है। जिससे इन वाहनों के असंतुलित होने का सदैव अंदेशा बना रहता है। सडक़ों पर कई गंभीर दुर्घटनाएं इन्ही ओव्हरलोड कैपसूल व बल्कर वाहनों की वजह से हो चुकीं हैं। यही नहीं सडक़ों के किनारे इनके खड़े हो जाने से सामने के वाहन दूर तक दिखाई नहंी देते हैं जिससे आवाजाही में भी परेशानी होती है। यद्यपि हाईकोर्ट ने इन वाहनों की ओव्हरलोडिंग के विरुद्ध कड़े निर्देश दिए थे फिर भी  सीमेंट फैक्ट्री और विद्युत मण्डल अमले के घालमेल से ओव्हरलोडिंग चल रही है। मोजर बेयर जैतहरी, अमरकंटक ताप विद्युत केन्द्र चचाई और संजय गांधी ताप विद्युत मंगठार से चौबीसो घंटे कैपसूल चलते हैं।

कहां गया हाईकोर्ट का आदेश

राखड़ की ओवरलोडिंग के खतरनाक खेल पर अंकुश लगाने ट्रक एसोसिएशन सतना व्दारा मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199 को उपयोग में लाने के लिए हाईकोर्ट मे याचिका दायर की गई थी। जिस पर माननीय न्यायालय व्दारा ओवरलोडिग रोकने एवं ओवरलोडिग करते पाऐ जाने पर धारा199 के तहत माल देने वाले, माल लेने वाले एवं इस अपराध मे संम्मलित सभी व्यक्तियों को  अपराधी बनाने का आदेश जारी किया था। लेकिन आज हाईकोर्ट के आदेश का पालन होता कहंीं दिखाई नहीं देता है। सडक़ों पर मनमाने ढंग से राखड़ भरे वाहनों की आवाजाही दिखाई पड़ती है। हाईकोर्ट का आदेश दफ्तरों की फाइलों में नजरबंद सा कर दिया गया है।

ताप विद्युत केन्द्रो में भी धांधली

संभाग के जिन तीन ताप विद्युत केन्द्रों से राखड़ की खरीद चल रही है उन केन्द्रों मे भी लापरवाही की जा रही है। निर्धारित मात्रा में राखड़ दिए जाने की बजाय क्षमता से अधिक राखड़ दी जा रही है। इसमें ताप विद्युत केन्द्र के अमले की मिलीभगत चल रही है। सीमेंट फैक्ट्री अफसरों को कमीशन खिला कर जम कर राखड़ उठा रही हैं। इससे शासन के राजस्व की क्षति हो रही है। लेकिन इससे अफसरों को कोई सरोकार नहीं है। यदि इसकी कड़ाई से जांच पड़ताल हो जाए तो ओव्हरलोडिंग का खेल यहीं से बंद हो जाएगा।

सडक़ों पर जांच पड़ताल नहीं

यातायात पुलिस वैसे तो अन्य वाहनों के ओव्हरलोडिंग की यदाकदा जांच कर लेती है लेकिन कैपसूल वाहनों की जांच कभी नहंी होती है। बताया जाता है कि यहां भी आर्थिक समीकरण बनाया गया है। पुलिस स्वयं ही इन वाहनों की अनदेखी कर देती है और ओव्हरलोड यह वाहन मजे से गुजरते रहते हैं। जबकि इन वाहनों से दुर्घटना की आंशका भी बनी रहती है। इन वाहनों में क्षमता से अधिक लोड होने के कारण यह सडक़ों की मानक क्षमता से अधिक रहते हैं। इसलिए इन वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जानी चाहिए।

दुर्घटना की सदैव आशंका

भीड़ भरी सडक़ो पर जब कैपसूल वाहन खड़े हो जाते हैं तो जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। सामने के वाहन दिखाई नहीं पड़ते हैं। वाहनों में भिड़ंत होती रहती है। कई स्थानों पर राजमार्गों के किनारे कैपसूल वाहन दूर तक खड़े दिखाई पड़ते हैं। जिससे यह ज्ञात नहीं हो पाता है कि सामने से कौन सा वाहन आ रहा है। यहां सदैव दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। कुल मिला कर कैप्सूल वाहनों की आवाजाही सडक़ यातायात के लिए एक सरदर्द जैसा है। जिसका शासन प्रशासन के पास कोई इलाज नहीं है।

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