8 माह में भी पूरा नहीं हुआ सोख्ता गड्ढों का निर्माण

अधबने सोख्ता हो रहे जर्जर, शासन के बजट की क्षति
शहडोल। ग्रामपंचायतों के विकास और जनसुविधाओं के लिए शासन द्वारा जमकर बजट दिया जाता है। लेकिन उस बजट का अधिकांशत: दुरुपयोग ही किया जाता है। सरपंच सचिव मनमाने ढंग से घटिया स्तर का निर्माण कार्य कराते हैं और फिर बजट आहरित कर बंदरबांट कर लेते हैं। विडम्बना यह है कि शासन का धन तो खर्च हो जाता है लेकिन जनता को कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता है। ग्रामपंचायत सिंदुरी(चुनियां) में स्वच्छता मिशन कार्यक्रम अंतर्गत हैण्डपंपो के समीप लगभग 8 माह पूर्व सोख्ता गड्ढे बनाए गए थे जिनका निर्माण आज भी अधूरा है। जबकि तत्कालीन ग्रामपंचायत का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। सरपंच व सचिव सब बदल गए हैं। ग्रामीणों में चर्चा है कि अब इन गड्ढों का निर्माण शायद ही पूर्ण हो जबकि राशि आहरित की जा चुकी है।
अधूरे पड़े सोख्ता गड्ढे
सिंदुरी ग्रामपंचायत में तत्कालीन सरपंच शिवचरण बैगा और सचिव बबिता सिंह ने मिलकर करीब 8 माह पूर्व ग्रामपंचायत के अंतर्गत लगभग 20 गड्ढे बनवाया था। प्रति गड्ढे की लागत 15 हजार बताई गई थी। गड्ढों की खुदाई के बाद उसमें सीमेंट प्लास्टर आदि सब तो कराया गया लेकिन नीचे बोल्डर और बालू जेा डाली जानी चाहिए थी उसे नहीं डाला गया। गड्ढो की खुदाई भी बराबर ढंग से नहीं की गई है। पूर्व में आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही इनका अधूरा कार्य पूर्ण किया जाएगा जो आज तक नहीं हुआ।
जर्जर हो रहे गड्ढे
निर्माण अधूरा रहने और बेस खाली छोड़ दिए जाने के कारण सोख्ता गड्ढों की हालत जर्जर होती जा रही है। कुछ तो धसकने की स्थिति में पहुंच चुके हैं। अगर इनमें आवश्यकतानुसार बोल्डर और बालू डाल कर लेबल कर दिया जाता तो शायद यह स्थिति निर्मित नहीं होती। यह भी बताया गया कि इन गड्ढा का निर्माण तकनीकी मानकों के हिसाब से नहीं किया गया है। मनरेगा से सीधे गड्ढे खुदाई करवाकर उसमें चारो ओर दीवार पर प्लास्टर कर दिया गया। जो धीरे धीरे उखडऩे लगा है।
सोख्ता बनाने का यह था उद्देश्य
शासन की मंशा थी कि जल संग्रह के लिए हैण्डपंपों के आसपास गड्ढे बनवाए जाने से जहां वर्षा का जल एकत्र होगा वहीं हैण्डपंपो से निकला अतिरिक्त पानी इधर उधर बहने की बजाय वह गड्ढों के माध्यम से जमीन में चला जाएगा। इससे भूमि का जल स्तर संतुलित रहेगा। हैण्डपंपों के ेआसपास गंदगी भी नहीं रहेगी। हैण्डपंपों के समीप गंदा पानी संचित होता रहता है उससे मच्छर व मक्खियां पनपते हैं जो रोग फैलाते हैं। इनके आसपास जहरीले जीव जंतु भी पनपते हैं। लेकिन सोख्ता गड्ढों के बनने से पानी सीधे जमीन में चला जाएगा।
नहीं हुई मानीटरिंग
ग्रामीणों का कहना है कि आज तक जनपद कार्यालय से कोई अधिकारी सोख्ता गड्ढों का अवलोकन करने नहीं आया। जब गड्ढे बनवाए जा रहे थे तब भी विभागीय अधिकारियों ने मॉनीटरिंग नहीं की। यदि निगरानी की जाती और मौके पर जरूरी निर्देश दिए जाते तो शायद इतने घटिया दर्जे के सोख्ता गड्ढों का निर्माण नहीं बन पाते। उनमें तकनीकी गुणवत्ता भी आती।