तो नंबरों के हेरफेर से अमलाई ओसीएम से पार होती है ट्रक

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कुछ तो थी गड़बड़: हेराफेरी में प्रबंधन की मिली भगत

बीते पखवाड़े अमलाई खुली खदान से छत्तीसगढ़ की दो ट्रकों में कोयला निकलने और गाडिय़ों के नंबर में हेरफेर
के मामले ने तूल पकड़ा था, मामला उपक्षेत्र से एरिया और यहां से बिलासपुर मुख्यालय तक पहुंचा, लेकिन जितनी
तेजी यह मामला उठा, उससे कहीं तेजी से यह मामला दफन भी हो गया, जो अब प्रयासों के बाद भी नजर नहीं आ रहा,
लेकिन कुछ तो गड़बड़ थी, जिसे दबाने के लिए प्रबंधन ने पूरी ताकत लगा दी।

 शहडोल। कोयले का अवैध उत्खनन और उसकी बिक्री में लगे माफियाओं पर भले ही प्रशासन ने नकेल कस
दी हो, लेकिन माईंसों के अंदर से माफिया और प्रबंधन की मिली भगत से कोयले की हेराफेरी के मामले सामने आते
रहते हैं, बीते पखवाड़े सोहागपुर एरिया के अमलाई खुली खदान का एक ऐसा ही मामला सामने आया और फिर उसे
दबाने के लिए प्रबंधन खुलकर जोर-अजमाईस करता नजर आया, मामले में कितनी सच्चाई थी, यह तो जांच के बाद
स्पष्ट होता, लेकिन जो बौखलाहट पन खबर के एरिया और बिलासपुर हेड क्वाटर पहुंचने के बाद प्रबंधन में देखा
गया, वह कहीं न कहीं प्रबंधन को ही कटघरे मे खड़ा करता है। अमलाई ओसीएम खुली खदान में फर्जी नंबर प्लेटों के
माध्यम से छत्तीसगढ़ में पंजीकृत दो ट्रकों की कहानी सामने आई और इस पूरे खेल में नारायण कचेर नामक कालरी
कर्मचारी का नाम भी सुर्खियों में रहा, यह मामला गधे के सिर से सींग गायब होने की कहावत से भी तेजी से गर्त में
चला गया। पूरे मामले के संदर्भ में कोल प्रबंधन के अधिकारी जहां इसे एक सिरे से नकार रहे हैं, वहीं अमलाई खुली
खदान उपक्षेत्र से लेकर सोहागपुर एरिया मुख्यालय तक इसकी चर्चा हर दिन नये कयासों को हवा दे रही है।
…तो लगाई थी फर्जी नंबर प्लेट
धनपुरी सोहागपुर छेत्र अंतर्गत आने वाली अमलाई ओपन कस्ट में इन दिनों सबकुछ गड़बड़ चल रहा है, सूत्र बताते है
कि अमलाई खुली खदान में कॉल माफिया सक्रिय है और प्रतिदिन कोयले की तस्करी कर रहे है। ऐसे कैसा चल रहा
कहना उचित नहीं होगा अमलाई ओ सी एम खुली खदान में पहले तो बूम बैरियल की सेटिंग कर के ट्रकों को अंदर

किया जाता है और फर्जी नम्बर प्लेटो के माध्यम से और जीपीआरएस की सेटिंग कर कोयला भारी तादाद में कोल
माफियाओ तक पहुंच रहा है। बीते रात गाड़ी क्रमांक सीजी 22 एसी 3390 व गाड़ी क्रमांक सीजी 22 जी 1166 नम्बर
की गाड़ी बैरियर से बाकायदा कालरी के अंदर होती है और अंदर जाने के बाद गाड़ी के नम्बर प्लेट के ऊपर दूसरे नंबर
का स्टीकर लगा दिया जाता है। बाद में यह नंबर बदल कर सीजी 22 जी 1166 हो जाता है।
कोल माफिया से जुड़े अंजनी के तार
एरिया और उपक्षेत्र से जुड़े सूत्रों की माने तो इस पूरे खेल में प्रबंधन के तार धनपुरी के जाकिर नामक कोल माफिया से
जुड़े हैं, तार का दूसरा हिस्सा छत्तीसगढ़ की अंजनी नामक फर्म से जुड़ा हुआ था, गौरतलब है कि बीते वर्षाे में जाकिर
नामक उक्त युवक के द्वारा धनपुरी थाना क्षेत्र के जंगलों में माईंसों से कोयला चोरी कर अवैध प्लाटिंग और बाहर के
बाजारों में बेचने का इतिहास रहा है। चोर-चोरी से जाये पर हेराफेरी से न जाये, जैसी कहावत भी यहां पूरी तरह
चरितार्थ होती है। सूत्र बताते हैं कि सिर्फ इसी तरह की हेराफेरी करने के जुगाड़ के लिए ही अमलाई खुली खदान में यह
सिण्डीकेट बना था और पूर्व में कई वाहन पार भी हुए थे, लेकिन मामला चर्चा में आने के बाद शायद अब नये तरीके
इजाद कर लिए गये हों।
इस तरह हुआ पटापेक्ष
वाहन चालक सचिन पाल और मोटरमालिक नवजोत सिंह के नाम पर गाड़ी के कागजात होने की जानकारी खबर
लिखने तक मिल पाई है। कोयले की तस्करी को ले सबकुछ जानने के बाद एसईसीएल प्रबंधन कुंभकरण की नींद से
जागा, रात्रिकालीन डयूटी पर तैनात कालरी कर्मचारी नारायण कचेर ने जब शंका होने पर ऊपर दिए गए नम्बर के ट्रक
को संदिग्ध पाया तो जांच के लिए रोका, जिससे चालक ने सफाई देते हुए अपनी पक्ष रखा, खबर मीडिया तक पहुंचने
के बाद अनान-फानन में गाड़ी के कागजात में हेराफेरी करने में पूरा प्रबंधन जुट गया।
पुलिस को नहीं दी जानकारी
सोहागपुर छेत्र अंतर्गत अमलाई ओसीएम से लगातार कोयला चोरी की घटनाएं सामने आ रही थी तो, इस बात की
सूचना पुलिस को क्यू नहीं दी गई, वही ट्रक चालकों को रात भर मोहलत दे कर रातो-रात गाड़ी के पेपर्स सही करवाने
में ही कालरी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। जबकि रात में ही संदिग्ध परिस्थितियों में दिखे ट्रक
को कालरी प्रबंधन के जिम्मेदारों ने नारायण कचेर से रात में पूछताछ क्यूं नहीं की गई, पूरे प्रकरण में एसईसीएल के
अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।
होती है कोयले की तस्करी

कालरी कर्मचारियों और कोयला तस्करों के बीच इतनी अच्छी सांठ-गांठ है कि इसकी भनक तक परिसर के बाहर नहीं
निकलती , कोयला तस्करों द्वारा प्रतिदिन कोयला चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है। लेकिन कालरी
के ही कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के दम पर ही मिनी रत्न कंपनी एसईसीएल लगातार सोहागपुर एरिया से निरंतर घाटे
सहती आ रही है। नंबरों और जीपीआरएस का खेल दिखाने के लिए तो कोयला साइडिंग के लिए निकलता है, लेकिन
जिस ट्रक को गतंव्य तक पहुंचना होता है उसे कोल माफियाओं चलती गाड़ी से स्टिकर निकालकर और जीपीआरएस
की सेटिंग का तोड़ निकाल कर बीच रास्ते में ही नम्बर प्लेट को बदल दिया जाता है।
कैसे होता है खेल
जब स्टिकर लगी गाडिय़ा अमलाई ओसीएम के अंदर प्रवेश करती है तो, उस पर फर्जी नम्बर प्लेट और फर्जीवाड़े से
बने गाड़ी के पेपर्स दिए जाते है। लोडिंग लेने के बाद कोयला तस्करों की टीम गाड़ी को माइंस से निकलते ही अपने
पास रखे दूसरे पेपर्स दे कर गाड़ी को अपने ठीहो मे ले जाते है। सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत आने वाली खुली खदान से
कोयला चोरी की घटना सामने आ रही है, उसकी रोकथाम के लिए एसईसीएल प्रबंधन अपनी पूरी ताकत झोंक रही है,
लेकिन सीसीटीवी फुटेज और एसईसीएल के नकारे एवं कोल माफिया से सांठ-गांठ कर चुके कर्मचारी कोयला चोरी
रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

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