तालाबों की संरचना बदलकर डकार गए लाखों की राशि

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                                                                                                                      निर्माण कार्यों में हो रही धांधली, अफसर बैठे उदासीन

उमरिया। जिले की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का ग्राफ इतना बढ़ चुका है कि उस पर नियंत्रण कर पाना अब शायद प्रशासन के भी बूते में नहीं है। विकास के नाम पर किए जाने वाले कार्य केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा ही देते हैं उनसे
ग्रामीणों को अधिक लाभ नहीं होता है। सरपंच, सचिव न तेा ग्राम सभाओ का प्रस्ताव लेते हैं न तकनीकी गुणवत्ता व प्राक्कलन की ओर ध्यान देेते हैं। मनमाने ढंग से निर्माण कराकर राशि आहरित कर लेेते हैं। यही हाल कमोवेश हर
पंचायत का है। ग्राम पंचायत घघड़ार के सेहरा हार में 9.99 लाख रुपए की लागत से अमृत सरोवर स्वीकृत हुआ था। जिसकी निर्माण संरचना आज भी विवादित है और जांच की प्रतिक्षा कर रही है। इस तरह के निर्माण में राशि तो उड़ा
दी गई लेकिन ग्रामीणों को लाभ नहीं मिला। जिले की मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत घघड़ार में 9.99 लाख रूपये सेहराहार में अमृत सरोवर के लिए स्वीकृत किये गये। जिस स्थल पर निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया, उक्त स्थल पर वर्षाे से दो तालाब आजू-बाजू बने हुए थे। उन दोनों तालाबों को अलग करने वाली बीच की एक भीठ काटकर दो तालाब को एक दिखा कर राशि पंचायत के सरपंच, सचिव और उपयंत्री ने आहरित कर ली। न ही उक्त तालाब में पिचिंग की गई, न ही पूर्ण रूप से तालाब को खोदा गया, कुछ घंटों के लिए जेसीबी चलवा कर लगभग राशि आहरित कर ली गई। सेहराहार के ग्रामीण आज भी आपस में चर्चा करते हुए एक दूसरे से पूछते हैं कि इस स्थल पर जो वर्षों से तालाबों का जोड़ा मौजूद था वह कहां लापता हो गया। सरपंच, रोजगार सहायक और वर्षों से जमेे उपयंत्री ने ऐसा कौन सा जादू कर दिया कि दोनो तालाब गायब हो गए और यहां नया तालाब आ गया। भ्रष्ट सरपंच, रोजगार सहायक और उपयंत्री ने तालाब जोड़े की संरचना से छेड़छाड़ की गई और तालाबों का स्वरूप बदलकर रकम डकार ली गई है। हैरानी की बात यह भी है कि तालाब का रकबा जितना बड़ा है उस अनुपात में अगर स्वीकृत राशि का आकलन करें तो निर्माण कार्य हो ही नहीं सकता। यहां निर्माण दर्शाना भ्रष्टाचार का एक जीता जागता नमूना है। बड़े अधिकारियों ने इस ओर कभी पलट कर भी नहीं देखा। मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत घघड़ार में सरपंच-रोजगार सहायक और उपयंत्री की तिकड़ी ने बीते वर्षाे में जमकर राशि खुर्द-बुर्द की है, केवल एक अमृत सरोवर ही नहीं अन्य कई निर्माण कार्यों में धांधली बरती गई है। मुरुम की सप्लाई जम कर हो रही है लेकिन सप्लाईकर्ता वेण्डर फर्म से अगर रायल्टी की मांग कर लें और बिलों की जांच पड़ताल करें तो पता चल जाएगा कि किस तरह की सप्लाई किन दामों पर की जा रही है। जनपद पंचायत मानपुर के मुखिया राजेन्द्र त्रिपाठी से जांच और निष्पक्षता की उम्मीद करनी ही बेकार है। क्योंकि वे
तो पहले से ही भ्रष्टाचार के आदी हैं। उन पर पुष्पराजगढ़ जनपद में पदस्थ रहने के दौरान 5 करोड़ 8 लाख के भुगतान में 10 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप लगे थे। तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के जनपद अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम
ने पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी। मजे की बात तो यह है कि पुष्पराजगढ़ जनपद में वर्ष 2018-2019 में अपनी पदस्थापना के दौरान साप्ताहिक बाजारों की बोली नहीं लगने दी और पंचायतों के जिम्मेदारों से सांठ-गांठ कर
राशि खुर्द-बुर्द कर दी। ग्राम पंचायत के एक परिवार को उजाड़ने के मामले में घघड़ार रोजगार सहायक पर गंभीर आरोप लगे है। पूरे मामले का ऑडियो रिकार्ड भी पुलिस के सुपुर्द किया गया है। मृतिका की पुत्री ने आरोप लगाया था
तिवारी ने उनका परिवार उजाड़ दिया। लेकिन शासकीय राशि खुर्द-बुर्द कर कमाई गई अकूत संपत्ति के बल पर रोजगार सहायक खुद को बचाता नजर आ रहा है। चर्चा है कि इस पूरे मामले में सरपंच भी कहीं न कहीं सहयोगी है।

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