रेंजर को बचाने के फेर में माह भर से अटका हाईकोर्ट का आदेश,बिजुरी रेंजर के खिलाफ जांच की फाइल अधर में 

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बीट गार्ड पर झूठे आरोप लगाकर निलंबित करने का मामला
शहडोल। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा 24 नवम्बर 2023 को वन कर्मचारी के द्वारा दायर याचिका में अपनी सुनवाई के बाद जो आदेश वन अधिकारियों को दिये हैं, वह बेहद शर्मनाक हैं, वन विभाग के निचले अमले में पदस्थ बीट प्रभारी के द्वारा की गई कार्यवाही और उसके बाद, उसके ऊपर विभाग द्वारा की गई कार्यवाही के मामले में उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि अपनी जान जोखिम में डालकर वन क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को उनके कार्याे के लिए सम्मानित करना चाहिए, लेकिन ऐसा शायद नहीं हो रहा है, माननीय न्यायालय ने यह भी कहा कि पीडि़त के द्वारा पूर्व में दी गई शिकायत को पुन: संकलित कर उस पर जांच की जाये और संबंधितों पर कार्यवाही की जाये। उच्च न्यायालय के इस आदेश को एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, बावजूद इसके अभी तक मुख्य वनसंरक्षक, वन वृत्त कार्यालय शहडोल में यह आदेश पहुंचने के बाद भी उस पर कोई भी जांच या कार्यवाही अभी तक होती नहीं दिख रही है।
यह हुआ था 2021 में
लगभग ढ़ाई वर्ष पहले 13 जुलाई 2021 को अनूपपुर जिले के बिजुरी वन परिक्षेत्र अंतर्गत बिजुरी बीट के डोंगरी टोला कक्ष क्रमांक पीएफ 566 में विभाग द्वारा तैनात वनकर्मी ने अवैध उत्खनन व परिवहन में लगी ट्रैक्टर को जब्त किया, जिसके बाद तत्कालीन रेंजर ने डिप्टी रेंजर के माध्यम से संदेश भेजकर ट्रैक्टर को छोडऩे के मौखिक आदेश दिये, लेकिन बीट गार्ड के द्वारा इस दौरान वन अपराध के तहत ट्रैक्टर पर कार्यवाही करते हुए उसे जब्त कर लिया गया, बीट गार्ड और रेंजर के बीच इसी दिन से खीचा-तानी शुरू हुई, जिसने पूरे विभाग के कारनामों को सतह पर लाकर रख दिया।
षड्यंत्र कर छुपाये गुनाह
रेंज अधिकारी सुश्री जीतू सिंह बघेल पर इस मामले के पहले और इसके बाद भी विभाग में भ्रष्टाचार और अवैध खनन व माफिया को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं, पीडि़त बीट प्रभारी के द्वारा शिकायत में जो आरोप लगाये गये हैं, उसमें स्पष्ट है कि अनैतिक कार्याे को संरक्षण एवं गुनाह छुपाने के लिए षड्यंत्र रचकर बीट अधिकारी पर कार्यवाही कराई गई, वन विभाग से जुड़े सूत्र यह भी बताते हैं कि इस मामले में डीएफओ अनूपपुर न तो कार्यवाही के पक्ष में थे और न ही इससे पहले जब्त ट्रैक्टर को छोडऩे के पक्ष में, यही कारण था कि अनूपपुर छोडक़र रेंजर अधिकारी ने सीसीएफ कार्यालय की शरण ली और काल्पनिक स्वेच्छाचारिता जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए खुद को बचाने के फेर में निलंबन का ताना-बाना बुना।
बार्डर के इस रेंज में दर्जनों जुगाड़
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बिजुरी वन परिक्षेत्र में वन्य प्राणियों के साथ ही वन्य संपदा और दो राज्यों का बार्डर होने के कारण जंगल के रास्ते से तस्करी अपने चरम पर होती है, यही नहीं शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन का निरीक्षण अंतिम छोर होने के कारण उस पैमाने पर नहीं होता। जो मुख्यालय और संभागीय मुख्यालय के समीप के रेंजों में अधिकारियों के पहुंच और दखल से होता है। यही कारण है कि यहां वन परिक्षेत्र अंतर्गत अवैध खनन भी बड़े पैमाने पर होता है, बिजुरी रेंज की कुर्सी के लिए अधिकारियों में आपाधापी मची रहती है और एक बार यहां पदस्थ होने के बाद अधिकारी यहां से किसी भी स्थिति में जाने को तैयार नहीं होते।
माफिया बना शिकायतकर्ता
13 जुलाई 2021 को जिस खनन माफिया की ट्रैक्टर बीट अधिकारी ने अपनी ड्यिुटी करते हुए पकड़ी थी, रेंज अधिकारी ने उसे ही आशीर्वाद देते हुए न सिर्फ वाहन छोडऩे की कार्यवाही को आगे बढ़ाया, बल्कि उसे और उसके गिरोह के माध्यम से झूठी शिकायतों का ताना-बाना भी बुना। हद तो तब हो गई जब अखिल भारतीय बाघ गणना के विभागीय कार्य के दौरान मास्टर ट्रेनर बने उसी बीट अधिकारी को बदनाम करने के लिए तथाकथित माफिया को आगे कर मास्टर प्लान बनाया गया, जिसमें विभाग की बदनामी तो हुई ही, साथ ही विभाग के अतिमहत्व पूर्ण बाघ गणना के क्रियान्वयन में तथाकथित लोगों के द्वारा रोड़े अटकाये गये।

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