मुख्यमंत्री जी, सरकारी अस्पताल में करा दीजिए मुफ्त इलाज

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…तो सरकारी अस्पताल को घोषित कर दें वसूली अस्पताल

विधायक के चालक सहित बैगा और हर किसी से कर रहे वसूली

इन्ट्रो-सूबे के नये मुखिया पहली बार विराट धरा पहुंच रहे हैं, ऐसी स्थिति में दो दशकों से चल रहे रिवाज को तोडऩे की आस हर कोई लगाये बैठा है, सरकारी अस्पताल से लेकर राजस्व ऐसा विभाग है, जिससे हर परिवार परेशान हैं। भोपाल में घोषणाएं तो हुई, मुख्यमंत्री के अन्य जिलों में आगमन पर कार्यवाहियां भी दिखी, लेकिन शहडोल में यह रिवाज कब बदलेगा, इसकी आस हर किसी को है।
शहडोल। बीते करीब तीन दशकों से शहडोल की जनता भाजपा पर विश्वास जताती आई है, कभी स्व. लल्लू सिंह यहां के अभिभावक कहलाते थे, तो उनसे पहले छोटे लाल सरावगी और आरक्षण के बाद सुंदर सिंह और बलि सिंह को भाजपा के निशान पर वोट दिया था, जनता ने कांग्रेस को तो बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन पार्टी के मुखिया और राजधानी से निकला फरमान आदिवासी जिले में आते-आते खुद ही खो जाता है। लगभग 3 दशकों से जनता हर परिस्थितियों में भाजपा पर भरोसा दिखाती रही, दो दशकों से लगातार मूलभूत और मौलिक सुविधाओं में कमी होती नजर आई। बावजूद इसके जनता ने रिवाज नहीं बदला और सरकार का स्वभाव अब दो दशकों बाद जब बदला है और सूबे के नये मुखिया पहली बार विराट धरा पहुंच रहे हैं तो, आम जनता की आस उनसे कहीं और बढ़ी हुई नजर आ रही है। जिला चिकित्सालय की बदहाली, तहसील और अनुविभागीय कार्यालयों में राजस्व के मामूली मामलों में लाखों की रिश्वत और सरकारी जमीनों पर माफिया का कब्जा ऐसे कई मामले हैं, जो सीधे-सीधे जनता के जीवन से जुड़े हैं। सूबे के मुखिया जब विराट धरा आ ही रहे हैं, ऐसे में रिवाजों को बदलने की भी आस लगी हुई है।

मुफ्त इलाज बना सपना

प्रदेश और केन्द्र सरकार स्वास्थ्य को लेकर भले ही कितनी ही फिक्रमंद क्यों न हो, शहडोल में भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज की भी सौगात दी, लेकिन जिला चिकित्सालय को लगा ग्रहण और मुख्यालय के इस अस्पताल में मुफ्त का इलाज अब सपना बन चुका है। बीते महज 10 दिनों के भीतर तीन ऐसे मामले सामने आये, जिसमें मरीजों से इलाज के नाम पर डॉक्टरों ने मोटी रकम वसूली। हद तो तब हो गई जब 6 बार के विधायक और सरकार में मंत्री रहे जयसिंह मरावी के चालक से जिला चिकित्सालय में इलाज के नाम पर रूपये ले लिए गये और शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई। इन स्थितियों में आम आदमी सरकारी अस्पताल में मुफ्त के इलाज की कल्पना कैसे कर सकता है। आयुष्मान कार्ड को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने लालपुर हवाई अड्डे से बीते माहों में आगमन के दौरान मोदी की गारंटी का दावा किया था, लेकिन कार्ड तो दूर सामान्य इलाज और ऑपरेशन के लिए पूर्व से चली आ रही व्यवस्थाएं भी अब शुल्क मांगने लगी हैं।

जनप्रतिनिधि क्या तोड़ेगे मौन

वर्तमान में जैतपुर के विधायक और इससे पूर्व भी पांच बार विधायक व मंत्री रह चुके जयसिंह मरावी के साथ जब इलाज के नाम पर सरकारी अस्पताल में डॉक्टर उनके कारिंदों से खुली वसूली कर रहे हैं और शिकायत के बाद भी सप्ताह भर में कोई कार्यवाही नहीं हुई, ऐसी स्थिति में यह मामला जिला प्रशासन यहीं दफन कर देगा या फिर लाखों मतदाताओं की आवाज बनकर जयसिंह गया भाजपा की जिला इकाई मुख्यमंत्री तक यह मामला पहुंचाएगी। जिले के मुखिया तो किरकिरी से बचने के लिए मामले को शायद ही सूबे के मुखिया तक पहुंचने दें, लेकिन इस पूरे मामले में फेल हो रही मोदी की गारंटी कहीं न कहीं भाजपा की साख और नौकरशाहों पर सत्ता की पकड़ जरूर ढीली कर देगी।

फाईलो से लदा राजस्व कार्यालय

 मुख्यालय के साथ ही जिले की पांचों तहसीलों और अनुविभागीय कार्यालयों में कमोवेश यही स्थिति बनी हुई है, यहां मामूली से कार्याे के लिए फाईल एक से डेढ़ साल तक अटके रहना अब आम हो चला है। पांचवी बार सरकार बनने के बाद राजस्व महकमें में फैली अव्यवस्थाओं को ठीक करने और एक ही दिन में रजिस्ट्री के साथ नामांतरण की प्रक्रिया संपन्न कराने की घोषणा की गई थी, यह घोषणा 1 जनवरी से पूरे प्रदेश में फलीभूत होनी थी, अन्य जिलों की खबर तो नहीं, लेकिन शहडोल में अभी भी यह घोषणा एक दिवास्वप्र ही है। तहसील कार्यालय से लेकर मुख्यालय के एसडीएम कार्यालय तक में अन्य विभागों के कर्मचारी संलग्रीकरण होकर बाबू बने बैठे हैं, जबकि पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था बीती सरकार के समय ही समाप्त हो चुकी थी।

करोड़ों की सरकारी जमीन आज भी अधर में

संभागीय मुख्यालय बनने के साथ ही शहडोल की जमीनों के दाम फर्श से अर्श तक पहुंच गये, मुख्यालय में स्थित मोहनराम मंदिर ट्रस्ट की करोड़ों की भूमि का मामला हो या फिर 365 तालाब लील कर उनके इर्द-गिर्द फैले अवैध मकानों के निर्माण का मामला हो, मुख्यालय के दर्जनों वार्डाे में नजूल की भूमि पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है, नगर पालिका में बैठे कांग्रेस के अध्यक्ष ने पालिका में निजी राजस्व निरीक्षक की नियुक्ति कर दी है, जो ठेके पर वार्डाे में अवैध अनुमतियां बांट रहा है। इसी क्रम में मुख्यालय के पटेल नगर में अवैध रूप से बन रही भगवती डेव्लपर्स की कालोनी महज एक बानगी ही है। शहर से सटे ग्रामों में भी लगातार कृषि भूमि काटकर प्लाट बिक रहे हैं, इनकी सूची अनुविभागीय कार्यालय में मौजूद होने के बाद भी जिम्मेदार आंखे मूंदे बैठे हैं।

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