ग्रीन बेल्स को शिक्षा का ‘‘मंदिर’’ न मानने वाले की जमानत खारिज




विद्यालय में जय श्रीराम पर पाबंदी लगवाने वाले संचालक को छूट
शहडोल। 20 जनवरी को जिले के बुढ़ार थाना क्षेत्र में स्थित सरीफ नियाजी के विद्यालय ग्रीन बेल्स में अध्यापन के दौरान शिक्षक अब्दुल वाहिद के द्वारा नाबालिग छात्रों की पिटाई जय श्रीराम के नारे लगाने पर की गई, जिसके बाद यह विद्यालय और शिक्षक सहित संचालक सरीफ नियाजी का नाम पूरे प्रदेश की सुर्खियों में आ गया, 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कारण देश भर में श्रीराम भक्ति की गंगा बह रही थी, हर घर और हर सडक़ पर हर वर्ग व जाति के लोग श्रीराम के नारे लगा रहे थे। बच्चों ने भी इसी से ओत-प्रोत होकर जब श्रीराम का नाम लिया तो, उन पर विद्यालय के संचालक सरीफ नियाजी के मार्गदर्शन में कार्य कर रहे शिक्षक अब्दुल वाहिद को इसी दिन पुलिस ने शिकायत पर गिरफ्तार किया, इसके साथ ही संचालक सरीफ नियाजी और विद्यालय के प्रिंसिपल गुरविंद सिंह को भी गिरफ्तार किया था, इनके खिलाफ धारा 153, 323, 500, 24 किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75, 82 के तहत मामला दर्ज किया गया था, फिलहाल मंगलवार को प्रिंसिपल और संचालक को जमानत मिल गई, वहीं बुधवार को अब्दुल वाहिद की जमानत खारिज कर दी गई, संभवत: वरिष्ठ न्यायालय में आवेदन के बाद अब्दुल वाहिद को लेकर कोई निर्णय आज या आने वाले दिनों में सामने आयेगा।
शरीफ नहीं नियाजी बने थे राष्ट्रदोही
ग्रीन बेल्स विद्यालय के संचालक शरीफ नियाजी के खिलाफ 7 साल पहले 17 जुलाई 2016 के आस-पास स्कूल की डायरी में भारत के नक्शे से काश्मीर को गायब करने की शिकायत बुढ़ार श्रीकृष्ण गुप्ता के द्वारा दी गई थी, तत्कालीन थाना प्रभारी सतीश द्विवेदी ने संचालक शरीफ नियाजी सहित तीन पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया था, स्कूल के संचालक मो. शरीफ नियाजी पिता मो. शफी, प्राचार्य गोविन्दचंद्र दास पिता मणिभूषण दासऔर मुद्रक अरूण कुमार अग्रवाल पिता बीएन अग्रवाल (शिवांगी प्रिंटिंग प्रेस बुढ़ार) को पुलिस ने गिरफ्तार करके सोमवार की दोपहर बुढ़ार न्यायालय में पेश भी कर दिया गया और वहां से जमानत खारिज कर दी गई। बाद में कानूनी पेचीदगियों का लाभ उठाकर तथाकथित राष्ट्रद्रोह के आरोपी फिर विद्यालय में बच्चों को शरीफ बनकर शिक्षा देने बैठ गये।
करोड़ों की भूमि पर भी था कब्जा
ग्रीन बेल्स विद्यालय के संचालक शरीफ नियाजी के कारनामों की फेहरिस्त छोटी नहीं है, 2016 में उन पर जहां राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज हुआ था, बावजूद इसके वे अपने कारनामों से बाज नहीं आये, बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा देने के नाम का दिखावा करने वाले शरीफ तथा उसके तथाकथित पुत्रों के द्वारा दबंगई पूर्वक बुढ़ार की लगभग 1 एकड़ भूमि जो कहीं और नहीं बल्कि तहसील कार्यालय से ही सटी हुई थी, खसरा नंबर 127/1 (क) की यह भूमि वर्तमान में करोड़ों की है, 24 जनवरी 2021 को तत्कालीन कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी के द्वारा व्यापाक कार्यवाही करते हुए विद्यालय के लिए बनाई गई दीवाल और भवन आदि का हिस्सा जमींदोज किया था और इनके खिलाफ कार्यवाही भी प्रस्तावित की थी।
उठ रही बुल्डोजर चलाने की मांग
देश में रहकर देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न होने के आरोपों के बाद करोड़ों की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण के बाद अब हिन्दु परिवारों के बच्चों पर कहर बरपाने वाले तथाकथित शरीफ नियाजी और उसकी टीम ने एक बार फिर कानूनी पेचीदगियों का फायदा उठाकर जमानत के दरवाजे तक तो पहुंच गये, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि शरीफ नियाजी और इसके साथ जुड़े इस सोच के लोगों पर कड़ी कार्यवाही नहीं की गई तो, विद्यालय के नाम पर क्षेत्र के बच्चों में कौन सा जहर इनके द्वारा भर दिया जाये, कई हिन्दु संगठनों ने लगातार हो रही हिन्दु गतिविधियों को लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय स्वयं संघ के मुखिया आदि को पत्र भेजकर विद्यालय भवन के निर्माण की अनुमतियां और इन लोगों की अन्य संपत्ति की जांच व कार्यवाही की मांग की है। यही नहीं जिन शर्तों पर शिक्षा विभाग ने विद्यालय चलाने की अनुमति दी है, उनका भी खुलकर उल्लंघन हो रहा है, बच्चों व देश के भविष्य के मद्देनजर विद्यालय की मान्यता या फिर इसे अधिग्रहण करने की भी मांग अभिभावक करने लगे हैं।