कलेक्टर साहब….36 घंटे बीते,आपके कार्यालय में खड़ी कार की सुध लेगा कौन….??

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(शुभम तिवारी)

शहडोल। कोयलांचल के बड़े कारोबारी को गायब हुए 48 घंटे बीत गए,आम दिनों में जिले का हर वाशिंदा अपनी छोटी और बड़ी हर समस्या के निदान के लिए जिले के मुखिया का दरवाजा दशकों से खटखटाता रहा है,इस दरवाजे पर आकर सभी समस्याओं का निदान हो जाता है,यह मिथक नही बल्कि सौ फीसदी सच भी है…

लेकिन अब यह मिथक टूटता नजर आ रहा है, शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात लगभग रात के 11:00 शहडोल कलेक्टर कार्यालय परिसर में एक कार घुसती है और इसकी खबर अगले दिन तक जिम्मेदार नहीं ले पाते, हालांकि इस मामले में परिजन, कार के मालिक और कोयलांचल के बड़े कारोबारी आसिफ को ढूंढते ढूंढते यहां पहुंचते हैं और खुद इसकी जानकारी पुलिस को देते हैं, जहां पर कार खड़ी है, वह जिले का सबसे सुरक्षित और सबसे बड़ा कार्यालय है, इसी कार्यालय में जिले के मुखिया अर्थात शहडोल के कलेक्टर बैठते हैं, कहने को तो लोकतंत्र में कलेक्टर के उनके अधीन प्रशासन की सारी शक्तियां निहित है ,लेकिन यहां तो कलेक्टर ही सो रहे हैं…??? या फिर उन्हें जनता की परवाह ही नहीं है…???

अभी से 36 घंटे पहले शुक्रवार की देर रात करीब 11:00 बजे कलेक्टर कार्यालय में परिसर के अंदर कार आकार खड़ी होती है और इस कार को चलाने वाला कारोबारी अचानक गायब हो जाता है, परिजन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करते हैं, लेकिन अगले 36 घंटे तक पुलिस भी कार की सुध नहीं लेती है कि, आखिर कार कैसे खड़ी हो गई और कर के अंदर कोई है या नहीं…!!

कार के दरवाजे अंदर से बंद किए गए हैं या बाहर से, यह भी किसी को खबर नहीं, सिर्फ परिजनों का अंदाजा है कि कार यहां खड़ा करके कारोबारी कहीं चला गया, सवाल यह भी उठता है कि कारोबारी चला गया या फिर कोई उसे उठाकर ले गया…???

कारोबारी कोयलांचल में करीना कार श्रृंगार के नाम से प्रतिष्ठान संचालित करता था और कोयलांचल में उसका खासा रसूक भी है।

हालांकि शनिवार को कलेक्टर कार्यालय में अवकाश था और आज रविवार के कारण भी कलेक्टर कार्यालय में अवकाश है, लेकिन अपने घर में और अपने कार्यालय में क्या हो रहा है..?? क्या नहीं हो रहा है..?? इसकी खबर तो मुखिया को रखनी ही चाहिए…!! वह भी तब जब कोई उनके दरवाजे पर आया हो, परेशान हो और अचानक लापता हो, आने के बाद लापता हो गया हो, उसकी सुध लेना तो मुखिया की जिम्मेदारी बनती ही है।

सवाल यह भी उठता है कि 36 घंटे बीत जाने के बाद भी जिले के मुखिया ने उसे कार कि कोई सुध नहीं ली और न हीं कार के दरवाजे खुलवाए गए, कार के अंदर कोई लाश पड़ी है…??? या फिर गांजा ….अफीम या हथियार पड़े हैं ..??? इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है यह बात अलग है कि यह कार यदि किसी सुनसान जगह पर पाई जाती तो अभी तक कुछ ना कुछ तो हो ही जाता।

जिले के मुखिया को कम से कम इतना तो सुध तो रखनी ही चाहिए कि उनकी शरण में आए जिले के नागरिक को कौन सी समस्या थी, वह कार के अंदर बंद पड़ा अंतिम सांसें ले रहा है या फिर कोई उसे उठाकर ले गया..??? उसकी हत्या कर दी गई ..??? किडनैपिंग हो गई या फिर वह खुद कहीं चला गया है यह सवाल अभी भविष्य के गर्भ में छुपे हुए हैं।

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