लंबे भटकाव के बाद देवी को न्यायालय में मिला न्याय

बुढ़ार। लगभग 3 वर्ष पूर्व धनपुरी क्षेत्र अंतर्गत रहने वाले देवी प्रसाद अग्रवाल ने 22 लाख रूपये देकर जमीन का अनुबंध किया था, लेकिन कलेक्टर की अनुमति के बाद विक्रेता की नीयत बदल गई, न तो उसे रूपये लौटाये गये और न ही जमीन की रजिस्ट्री की गई, जिंदगी भर की जमा पूंजी भू-स्वामी उमेश विश्वकर्मा के द्वारा हड़प लिये जाने के बाद देवी प्रसाद का परिवार जिंदगी के उस दो राहे पर खड़ा था, जहां से उसे कहीं भी रोशनी नजर नहीं आ रही थी। बीते दिवस बुढ़ार न्यायालय के व्यवहार न्यायाधीश ऋषभ विश्वकर्मा के आदेश के बाद न सिर्फ 22 लाख रूपये मिले, बल्कि न्यायालय ने निर्धारित ब्याज सहित उमेश विश्वकर्मा को 28 लाख 50 हजार रूपये पीडि़त को देने का आदेश दिया। देवी प्रसाद अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि माननीय न्यायाधीश ने पूरा परिवार को गर्त में जाने से बचा लिया, उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता सतेन्द्र शुक्ला और माननीय न्यायाधीश सहित वर्तमान न्याय प्रणाली पर खुशी जताते हुए साधू प्रेषित किया है।
यह था मामला
अधिवक्ता सतेन्द्र शुक्ला की ओर से उक्त मामले की पैरवी की जा रही थी, इस संदर्भ में बताया गया कि उमेश विश्वकर्मा ने वर्ष 2021-22 में देवी प्रसाद अग्रवाल को भू-खण्ड बेचने का अनुबंध किया और फिर कलेक्टर न्यायालय में विक्रय अनुमति का आवेदन लगाया, इस दौरान विक्रय अनुमति मिलने के बाद उमेश की नीयत बदल गई और उसने रजिस्ट्री कराने से इंकार कर दिया, उमेश ने देवी को पैसे देने से भी इंकार कर दिया, जिस कारण यह मामला थाने और अन्य स्थानों में शिकायतों में उलझ गया, इस मामले में पूर्व में भी माननीय न्यायालय की शरण ली गई थी, जिसमें दिनांक 8 अप्रैल 2022 को तत्कालीन माननीय न्यायाधीश ने देवी प्रसाद अग्रवाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 24 लाख 50 हजार रूपये एक मुश्त पीडि़त को देने का आदेश जारी किया, लेकिन उमेश ने रूपये देने से इंकार करते हुए टाल-मटोल शुरू कर दी। न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड बुढ़ार माननीय ऋषभ दीक्षित ने सुनवाई के उपरांत दिये ओदश के बाद 27 मार्च को 28 लाख 50 हजार रूपये माननीय न्यायालय में जमा कराये गये।