मेडिकल कालेज में स्त्री रोग विशेषज्ञ का अभाव या लापरवाही

शहडोल – शासकीय बिरसामुंडा चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल में लगातार लापरवाही बरतना सामने आ रही है। प्रसव के मामलों में उपचार में लापरवाही की जा रही है। बीते दिनों बरेली निवासी हिमानी तिवारी को प्रसव पीड़ा के दौरान भर्ती कराया गयां तो उन्हें उपचार देने के बजाय भर्ती करने के दो-तीन घंटे बाद जबलपुर मेडीकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया, जबकि उस समय प्रसव पीड़ा में हिमानी तिवारी तड़प रही थीं। वहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने कहा कि गायनोलाजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) चिकित्सक नहीं है, इसलिए जबलपुर मेडिकल कालेज रेफर करना पड़ रहा है। उसी रात प्रसव पीड़ा दौरान रेफर कर दिया गया, जिससे प्रसूता को बड़ी तकलीफ उठानी पड़ी और परिजनों को भी।
मेडिकल कालेज में इस तरह के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। यहां की व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रसव के लिए महिलाओं को भर्ती करने बाद किसी न किसी बहाने रेफर कर दिया जाता है। मेडिकल कालेज शहडोल का अस्पताल रेफरल सेंटर बनता जा रहा है। रात में कोई मरीज जाए उसे सीधा रेफर कर दिया जाता है। मेडिकल कालेज में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है यह कहकर रेफर किया जाता है। कई बार यह कहकर भी रेफर किया जाता है कि एनेस्थीसिया का डाक्टर नहीं है। यहां उपचार लेने वाले मरीज बताते है कि मेडिकल कालेज में रात में सिर्फ रेफर का खेल चलता है। गंभीर हालत होने के बावजूद भी उपचार देने की बजाय रेफर किया जाता है। ऐसे में कई महिलाओं की जान भी चली जाती है, लेकिन इस पर प्रबंधन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
प्राइवेट क्लीनिक पर करते हैं उपचार
जानकारी के अनुसार मेडिकल कालेज में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ पूरे दिन अपने निजी क्लिनिकों पर ध्यान केंद्रित किए रहते हैं कि कहीं उनके क्लिनिकों से कोई मरीज ना निकल जाए। मेडिकल कालेज पर डाक्टरों का ध्यान नहीं रहता, क्योंकि वहां अतिरिक्त पैसा कमाने में दिक्कत होती है। मेडिकल कालेज में स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर हैं, लेकिन वे अपने क्लिनिकों पर ही ज्यादा आश्रित रहते हैं। मेडिकल कालेज सरकारी संस्था है, इसलिए वहां अटेंडेंस लगाकर वेतन ले रहे हैं।
जब इस घटना के सम्बंध में डॉ. जी. बी. रामटेके ( डीन बिरसामुंडा मेडिकल कालेज) से बात की गई तो उनका कहना है- मेरे पास ऐसी कोई शिकायत तो नहीं आई है, लेकिन यदि उपचार देने की बजाय रेफर किया जा रहा है तो मैं देखता हूं। मेडिकल कालेज में ऐसा होना नहीं चाहिए। डाक्टरों की लापरवाही पर लगाम लगाएंगे।