सरकार के फैसले से आहत कटनीवासी, बोले- सालों की लड़ाई और आंदोलन के बाद भी अधूरी रह गई हमारी मांग, हमें चाहिए शासकीय मेडिकल कॉलेज{{मेडिकल कॉलेज निजी भागीदारी में, जनता आहत ,कांग्रेस ने किया विरोध-बोले अंशु मिश्रा,जनता को छल रही है भाजपा}}

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सरकार के फैसले से आहत कटनीवासी, बोले- सालों की लड़ाई और आंदोलन के बाद भी अधूरी रह गई हमारी मांग, हमें चाहिए शासकीय मेडिकल कॉलेज{{मेडिकल कॉलेज निजी भागीदारी में, जनता आहत
,कांग्रेस ने किया विरोध-बोले अंशु मिश्रा,जनता को छल रही है भाजपा}}
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कटनी की जनता ने वर्षों से जिस शासकीय मेडिकल कॉलेज का सपना देखा था, वह सरकार के ताज़ा फैसले के साथ बिखरता नज़र आ रहा है। चुनावी मंचों और जनसभाओं में नेताओं ने बार-बार शासकीय कॉलेज की घोषणा कर लोगों में उम्मीद जगाई, लेकिन अब पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर कॉलेज दिए जाने के निर्णय ने जनता को गहरी निराशा और आक्रोश से भर दिया है। आमजन का कहना है कि यह फैसला गरीब और मध्यम वर्ग के खिलाफ है, क्योंकि पीपीपी मॉडल में इलाज और शिक्षा दोनों महंगे होंगे। यानी, जिन परिवारों ने उम्मीद की थी कि शासकीय कॉलेज से सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ और बच्चों को सस्ती मेडिकल शिक्षा मिलेगी, वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले कॉलेज में इलाज और शिक्षा दोनों ही महंगे होने का खतरा है। इससे आमजन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और मेडिकल शिक्षा भी केवल संपन्न वर्ग की पहुँच तक सिमट सकती है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब पड़ोसी जिलों जबलपुर, रीवा और सतना को शासकीय मेडिकल कॉलेज दिए जा सकते हैं, तो कटनी को क्यों नहीं? क्या कटनी की जनता की पीड़ा और संघर्ष का कोई मूल्य नहीं? यही कारण है कि विपक्ष ने इस फैसले को “जनता के साथ धोखा” बताते हुए खुलकर आमजन का साथ देने का एलान किया है। कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि जनता की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकेगा और इस अन्यायपूर्ण निर्णय का हर स्तर पर विरोध होगा। इस निर्णय से सरकार–जनप्रतिनिधियों की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा करता है
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कटनी।। लंबे समय से मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहे कटनीवासियों को सोमवार को निराशा हाथ लगी। प्रदेश सरकार ने शासकीय मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के बजाय पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर कॉलेज स्थापित करने का फैसला किया है। इस निर्णय से जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष अंशु मिश्रा ने भी इस फैसले को जनता की भावनाओं के साथ मज़ाक करार दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद विष्णुदत्त शर्मा और मुड़वारा विधायक संदीप जायसवाल ने चुनावी मंचों से कटनी में शासकीय मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। जनता ने भी उसी वादे पर भरोसा जताते हुए आंदोलन किए और “कटनी बंद” तक किया। लेकिन अब पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा ने उन सभी दावों को झुठला दिया है।
श्री मिश्रा ने आरोप लगाया कि कटनी बार-बार कमजोर नेतृत्व के कारण उपेक्षा का शिकार हो रहा है। उन्होंने कहा-“जबलपुर, सतना और रीवा जैसे जिलों को शासकीय मेडिकल कॉलेज मिले, लेकिन कटनी को निजी भागीदारी वाला मॉडल दिया गया। यह सीधे तौर पर जनभावनाओं के साथ धोखा है।”
युवा कांग्रेस का कहना है कि पीपीपी मॉडल की विसंगतियों और कमियों को जनता के बीच ले जाया जाएगा ताकि भाजपा नेताओं का असली चेहरा सामने आ सके। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि इस फैसले का हर स्तर पर विरोध होगा और शासन को तुरंत निर्णय वापस लेकर कटनी में शासकीय मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा करनी चाहिए। कटनी में लंबे समय से मेडिकल कॉलेज की मांग उठती रही है। अब देखना यह होगा कि जनता और विपक्ष के विरोध के बाद सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या इसमें कोई बदलाव करती है।

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