बोतल 270 की, दुकान में दोगुना,पुलिस-आबकारी की नाक के नीचे अवैध शराब कारोबार

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(अनिल तिवारी)
शहडोल। सीधी थाना क्षेत्र अंतर्गत वनसुकली चौक इन दिनों अवैध शराब के खुले बाजार में तब्दील हो चुका है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस गोरखधंधे की पोल खोल दी है। वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से खुलेआम शराब की बिक्री की जा रही है और ग्राहकों को दोगुने दामों पर बोतलें बेची जा रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा कारोबार थाना और आबकारी विभाग की जानकारी के बावजूद लगातार फल-फूल रहा है।
वर्षों से चल रहा खेल – पुलिस मौन
वनसुकली चौक में यह खेल कोई नया नहीं है, बल्कि वर्षों से जारी है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इलाके में राजा नामक व्यक्ति लंबे समय से अवैध शराब बेच रहा है। पुलिस सूत्र भी मानते हैं कि राजा आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। बावजूद इसके, स्थानीय थाना प्रशासन उसके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने से बचता दिखाई देता है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस किस दबाव या मिलीभगत के चलते इस काले कारोबार को बढ़ावा दे रही है?
ठेके से निकलकर दोगुने दामों में बिक रही शराब
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजा अंग्रेजी शराब दुकान से अवैध रूप से पयकारी के जरिए शराब मंगवाता है और उसे वनसुकली चौक स्थित दुकान से खुलेआम बेचता है। एक बोतल जिसकी असली कीमत 270 रुपए है, वहां ग्राहकों को दोगुने दाम पर थमाई जाती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां गरीब और मजदूर तबके के लोग सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। आर्थिक शोषण के साथ-साथ नशाखोरी का जहर भी तेजी से फैल रहा है।
आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत पर सवाल
आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस की भूमिका इस पूरे मामले में सबसे संदिग्ध है। आबकारी अमला शराब की अवैध बिक्री पर नकेल कसने की जिम्मेदारी से भागता नजर आ रहा है। वहीं थाना पुलिस भी शिकायतों के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई में पुलिस और आबकारी विभाग की सीधी मिलीभगत के चलते ही वनसुकली चौक शराब माफियाओं का अड्डा बना हुआ है?
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल – जनता में गुस्सा
वनसुकली चौक स्थित किराना दुकान में रखी शराब की बोतलों का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि लोगों के बीच गुस्सा भी बढ़ा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस-आबकारी की साझेदारी से ही ठेकेदार बेखौफ होकर घर-घर तक शराब पहुंचा रहे हैं।

जिम्मेदारों की खामोशी – जनता की नाराजगी
गंभीर बात यह है कि नशाखोरी की इस बढ़ती समस्या से युवा वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग खामोश हैं। लोगों का कहना है कि यदि पुलिस-आबकारी विभाग की सांठगांठ नहीं होती, तो इतनी बड़ी मात्रा में अवैध शराब की सप्लाई और बिक्री संभव ही नहीं थी। जनता अब प्रशासन की इस चुप्पी को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है।

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