पीएम के जन्मदिवस पर सवाल: जब गरीब का बच्चा इलाज के लिए तरसे, तो कहां है सेवा और संस्कार?

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(अनिल तिवारी-7000362359)
शहडोल। आज पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिवस सेवा पखवाड़े के रूप में मनाया जा रहा है। देशभर में हज़ारों स्थानों पर रक्तदान शिविर, फल वितरण, साफ-सफाई अभियान, भूमि पूजन और लोकार्पण जैसे कार्य किए जा रहे हैं। शहडोल जिला अस्पताल में भी सुबह से ही साफ-सफाई शुरू कर दी गई। माना जा रहा है कि यहां भाजपा नेता, विधायक, सांसद, कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचकर मरीजों से मिलेंगे, उन्हें फल बांटेंगे और प्रधानमंत्री के दीर्घायु की कामना करेंगे। करोड़ों रुपये इस आयोजन पर खर्च होंगे ताकि हर कोई मोदी जी की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दे सके।
लेकिन सवाल यही है कि क्या असली सेवा सिर्फ साफ-सफाई और फल वितरण है, या फिर पीड़ित मानवता की मदद करना भी इसमें शामिल होना चाहिए?
शहडोल के एक गरीब मजदूर शुभदीप सोनी का मामला इसी सवाल को कटघरे में खड़ा कर देता है। उनके छोटे बेटे के हाथ में चोट लगी और मवाद भर गया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन जरूरी बताया। परंतु जिला चिकित्सालय शहडोल में पदस्थ डॉक्टर बी.पी. पटेल ने ऑपरेशन के नाम पर ₹3,000 की मांग कर दी। गरीब मजदूर ने कलेक्टर, सीएमएचओ और सिविल सर्जन तक गुहार लगाई, मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पत्र पहुंचाया, लेकिन कहीं से राहत नहीं मिली। अंततः उसने अपनी पीड़ा जनसुनवाई में भी रखी, जिसकी पावती भी मौजूद है।
सोचने वाली बात यह है कि जिस अस्पताल को शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडोरी क्षेत्र का सबसे बड़ा जिला चिकित्सालय माना जाता है, वहां गरीब का बच्चा सिर्फ इस वजह से मौत के मुंह में धकेला जा रहा है कि पिता डॉक्टर की जेब में रुपए नहीं डाल पा रहा। यही नहीं, डॉक्टर बी.पी. पटेल का नाम पहले भी कई बार रिश्वतखोरी में आ चुका है। कलेक्टर मुकेश शुक्ला के समय इन्हें शहडोल से हटाया गया था। उमरिया में भी ये लोकायुक्त के हाथों मरीज से रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं। इन पर दर्जनों बार आरोप लगे कि बिना पैसे इलाज नहीं करते। ऐसे डॉक्टर को “धरती का भगवान” नहीं, बल्कि “धरती का कलंक” कहा जाना चाहिए। यह व्यक्ति मानवता पर धब्बा है, जिसने चिकित्सा पेशे को कलंकित कर दिया है।
अब बड़ा सवाल भाजपा नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से सवाल
क्या प्रधानमंत्री का जन्म दिवस सिर्फ अस्पताल की दीवारों को धो-पोंछकर और फल बांटकर मना लिया जाएगा?
क्या मोदी जी की लंबी उम्र की कामना का असली तोहफा यह नहीं होना चाहिए कि किसी गरीब का बच्चा बिना पैसे दिए इलाज पा सके?
आज यदि भाजपा जिला अध्यक्ष, जयसिंहनगर विधायक मनीषा सिंह, कलेक्टर डॉक्टर केदार सिंह और अन्य अधिकारी सच्चे मन से प्रधानमंत्री के लिए दुआएं निकालना चाहते हैं, तो उन्हें इस पीड़ित मजदूर की मदद करनी चाहिए। यह बच्चा सही सलामत हो जाए, यही असली सेवा होगी, यही असली संस्कार होंगे और यही प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिवस का सबसे बड़ा तोहफा होगा।
डॉक्टर बी.पी. पटेल जैसे लुटेरे और इस पेशे को दागदार करने वाले डॉक्टर अगर इस जिले के अस्पतालों में बैठे रहेंगे, तो गरीब मरीजों का खून चूसते रहेंगे। गरीब की लाचारी पर अपनी जेबें भरते रहेंगे। ऐसे भ्रष्ट और नीच डॉक्टर को तत्काल निलंबित कर जेल भेजा जाना चाहिए। जब तक इन पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मोदी जी के जन्म दिवस पर किए गए सारे आयोजन सिर्फ दिखावा और पाखंड साबित होंगे।
गरीब पिता शुभदीप सोनी की आंखों में सिर्फ एक उम्मीद बची है कि कोई उसकी मदद करे, ताकि उसके बच्चे की जान बच सके। यदि आज यह मदद नहीं मिली और बच्चा मर गया, तो इसके गुनहगार सिर्फ डॉक्टर बी.पी. पटेल ही नहीं, बल्कि वे सभी होंगे जो मोदी के जन्म दिवस के नाम पर लाखों रुपये खर्च करके तमाशा करते हैं, लेकिन गरीब की आह सुनने के लिए कान बंद कर लेते हैं।
असल में प्रधानमंत्री का जन्म दिवस उसी दिन सच्चा और सार्थक कहलाएगा, जब इस तरह की पीड़ित मानवता की सेवा की जाएगी, जब गरीब के बच्चे को मुफ्त इलाज मिलेगा, और जब मानवता शर्मसार करने वाले लुटेरे डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होगी।

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