गरीबी और बेबसी की दास्तां: लाखों की तीन भैंसों की चोरी से टूट गया सोनी परिवार का सहारा, भूखों मरने की नौबत

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अनूपपुर। जिले के नगर परिषद बरगवां के अमलाई अंतर्गत गांधीनगर मोहल्ले में रहने वाले गरीब सोनी परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार के मुखिया शैलेंद्र सोनी की तीन भैंसें रहस्यमयी तरीके से चोरी हो गईं, जो उसके पूरे परिवार की जीवनरेखा थीं। इन भैंसों के दूध से ही परिवार का गुजर-बसर चलता था, लेकिन अब रोज़ी-रोटी का यह सहारा पूरी तरह खत्म हो गया है।
जानकारी के अनुसार, 2 नवंबर को शैलेंद्र सोनी की एक भैंस मोहल्ले से बाहर चरने के दौरान अचानक गायब हो गई। परिवार ने पहले अपने स्तर पर काफी खोजबीन की, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला, तो 5 नवंबर को चचाई थाना जाकर चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। शैलेंद्र ने बताया कि उसकी तीनों भैंसें लाखों रुपए की थीं, जिन्हें उसने बैंक और स्थानीय लोगों से कर्ज लेकर खरीदा था। इन भैंसों से मिलने वाले दूध की बिक्री से ही पूरे परिवार का पेट पलता था।
शैलेंद्र का कहना है कि मेरे पास और कोई आमदनी का साधन नहीं है। भैंसों के दूध से ही परिवार चलता था। अब सब कुछ खत्म हो गया है। मैंने पुलिस में शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला। अगर प्रशासन से मदद नहीं मिली, तो परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
गांधीनगर के स्थानीय निवासियों का कहना है कि शैलेंद्र का परिवार बेहद गरीब है और उसकी पूरी आर्थिक स्थिति इन पशुओं पर ही टिकी थी। चोरी के बाद घर में न खाने का इंतजाम है, न ही बच्चों की पढ़ाई जारी रह पाई है। परिवार अब दूसरों की दया पर जीने को मजबूर है।
इस घटना से पूरे इलाके में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि चोरी की ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई धीमी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द चोरी हुई भैंसों का पता लगाकर परिवार को न्याय दिलाया जाए।
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों गरीब परिवारों की सच्चाई उजागर करती है जो पशुपालन के सहारे अपना जीवन यापन करते हैं। अगर समय रहते प्रशासन ने मदद नहीं की, तो यह परिवार भूख और कर्ज के बोझ तले पूरी तरह तबाह हो सकता है।

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