सिद्ध पीठ दक्षिणमुखी बड़े हनुमान मंदिर में हर रविवार गूंजता है सुंदरकांड का पाठ, आस्था की डोर से जुड़ रही श्रद्धालु जनता

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सिद्ध पीठ दक्षिणमुखी बड़े हनुमान मंदिर में हर रविवार गूंजता है सुंदरकांड का पाठ, आस्था की डोर से जुड़ रही श्रद्धालु जनता
कटनी।। नगर के प्रतिष्ठित सिद्ध पीठ श्री श्री 1008 दक्षिणमुखी बड़े हनुमान जी मंदिर में हर सप्ताह रविवार को होने वाला सुंदरकांड पाठ अब शहर की धार्मिक पहचान बन चुका है। वर्षों से निरंतर चल रहे इस दिव्य आयोजन में शहर भर से श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचकर भगवान श्रीराम, महावीर हनुमान जी के चरणों में अपना श्रद्धाभाव अर्पित करते हैं। नगर के सिद्ध पीठ श्री श्री 1008 दक्षिणमुखी बड़े हनुमान जी मंदिर में हर रविवार शाम 7:00 बजे से आरंभ होने वाला सुंदरकांड पाठ भक्ति व आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। वर्षों से निरंतर जारी इस दिव्य अनुष्ठान में शहर की धर्मप्रेमी जनता बड़ी संख्या में उपस्थित होकर सामूहिक रूप से सुंदरकांड का पाठ कर पुण्यलाभ अर्जित करती है।
सांध्यकाल में आरंभ होते ही पूरा मंदिर परिसर भक्ति-भाव से सराबोर हो उठता है। भक्तों की आवाज़ में जब “श्रीराम जय राम जय जय राम” की गूँज उठती है, तो वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि शाम के इस पवित्र समय में सुंदरकांड का पाठ जीवन की कठिनाइयों को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करता है। शाम से ही मंदिर प्रांगण में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। भक्तजन सुंदरकांड का सामूहिक पाठ कर भक्ति-रस में डूब जाते हैं और पूरा वातावरण श्रीरामनाम से गूंज उठता है। संतों का कहना है कि सुंदरकांड का नियमित पाठ मनोबल, शांति और जीवन में सकारात्मकता लाता है, जिसे जनमानस अब गहराई से अनुभव भी कर रहा है।
मंदिर वर्षों से लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है, जहाँ हनुमान जी महाराज के दरबार में श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और पूर्णता का अनुभव लेकर लौटते हैं। निरंतर बढ़ रही भीड़ इस बात का प्रमाण है कि आस्था का प्रकाश लोगों के जीवन में नई ऊर्जा और आशा का संचार कर रहा है।
सत्संग और सामूहिक भक्ति के महत्व पर जोर देते हुए मंदिर प्रबंधन ने बताया कि ऐसे आयोजनों से समाज में आध्यात्मिकता, एकता और संस्कारों का प्रसार होता है। परिवारों के साथ मंदिर पहुंचने वाले भक्तजन धार्मिक वातावरण में डूबकर अपने जीवन को और अधिक सार्थक बनाने का संकल्प लेते हैं।
हर रविवार होने वाला यह अनुष्ठान अब शहर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत बन गया है। बढ़ती श्रद्धा और भक्तों की निरंतर उपस्थिति यह दर्शाती है कि सुंदरकांड की महिमा धीरे-धीरे जन-जन तक पहुंच रही है और लोग इस भक्ति यात्रा में पूरे मन से शामिल हो रहे हैं।
हनुमान जी महाराज के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले भक्त अपनी मनोकामनाओं को लेकर दरबार में हाजिर होते हैं और विश्वास के साथ कहते हैं कि यहाँ मांगने से पहले ही संकटमोचक कृपा बरसा देते हैं। कई श्रद्धालु बताते हैं कि सुंदरकांड के इस साप्ताहिक आयोजन से उन्हें जीवन में नई दिशा और सकारात्मकता मिल रही है।
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि सत्संग और सामूहिक पाठ समाज में आध्यात्मिक एकता की भावना को मजबूत करते हैं, इसलिए वर्षों से यह परंपरा बिना किसी बाधा के निरंतर चल रही है। हर रविवार शाम को होने वाला यह आयोजन अब शहर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बन चुका है।
बढ़ती भक्त-टोलियों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी से स्पष्ट है कि सुंदरकांड की महिमा अब जन-जन तक पहुंच रही है और लोग इस भक्ति-यात्रा में उत्साहपूर्वक शामिल हो रहे हैं।

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