जुआ फड़ का सूत्रधार निकला मेघराज गिलानी, खुद को बचाने के लिए बदला नाम और पिता का नाम, पुलिस के आगे खुली पूरी कलई

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शहडोल। जिले में जुआ फड़ पर हुई बड़ी पुलिस कार्यवाही अब एक नए और सनसनीखेज मोड़ पर पहुंच गई है। थाना सिंहपुर में दर्ज एफआईआर के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने न सिर्फ आरोपियों की साजिश को उजागर किया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि पैसे और रसूख के दम पर कानून को गुमराह करने की कोशिश कितनी गहरी थी। इस पूरे मामले का मुख्य सूत्रधार अब मेघराज गिलानी बताया जा रहा है, जिसने खुद को बचाने के लिए न केवल अपना नाम बदला, बल्कि अपने पिता का नाम तक बदलकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की।
पकड़ा गया जुआ खेलते, थाने में रची नई साजिश
23 दिसंबर की रात जब सिंहपुर पुलिस ने ग्राम केलमनिया बांध के पास जुआ फड़ पर छापा मारा, उस समय कई आरोपी मौके से पकड़े गए। इन्हीं में एक शख्स था मेघराज गिलानी। पुलिस जब सभी आरोपियों को थाने लेकर पहुंची और नाम-पते पूछे गए, तब मेघराज ने खुद को “राजेश जेठानी” बताते हुए अपने पिता का नाम भी बदलकर दर्ज करा दिया। पुलिस ने शुरुआती जानकारी के आधार पर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज कर ली। उस वक्त किसी को अंदाजा नहीं था कि सामने बैठा व्यक्ति एक सुनियोजित चाल चल रहा है और उसकी पहचान पूरी तरह फर्जी है।
नाम बदलकर बचने की कोशिश, लेकिन ज्यादा देर नहीं चली चाल
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शुरुआती पूछताछ में मेघराज बेहद आत्मविश्वास के साथ झूठ बोलता रहा। उसने इस अंदाज में खुद को पेश किया मानो पुलिस को गुमराह करना उसके लिए कोई नई बात न हो। लेकिन जब दस्तावेजी जांच और स्थानीय स्तर पर सत्यापन शुरू हुआ, तो पुलिस को शक हुआ। नाम, पता और पारिवारिक विवरण में विरोधाभास सामने आने लगे।
इसके बाद थाना प्रभारी ने उसे अपने कक्ष में बुलाया। यहां जब पुलिसिया अंदाज में सख्ती शुरू हुई, तो मेघराज की पूरी हेकड़ी निकल गई। पुलिस के सख्त सवालों के सामने वह टूट गया और तोते की तरह अपना असली नाम  मेघराज गिलानी  बड़बड़ाने लगा।
बिल्डर का भाई, रसूख के दम पर दबाव बनाने की कोशिश
जांच में यह भी सामने आया है कि मेघराज गिलानी एक बड़े बिल्डर का भाई बताया जा रहा है। यही वजह मानी जा रही है कि उसने नाम बदलकर पुलिस को भ्रमित करने और दबाव बनाने की कोशिश की। माना जा रहा है कि उसे पूरा भरोसा था कि पैसे और पहचान के दम पर मामला हल्का हो जाएगा, लेकिन पुलिस के सामने उसकी एक न चली।
सूत्र बताते हैं कि थाने में उसकी पहचान खुलने के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया। पुलिस अधिकारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, क्योंकि यह केवल जुआ खेलने का मामला नहीं रह गया था, बल्कि पुलिस को जानबूझकर गुमराह करने और झूठा बयान देने का गंभीर मामला बन गया।
राजनीतिक और कथित दबाव भी रहा बेअसर
मामले के खुलते ही सुबह-सुबह थाने में हलचल तेज हो गई। हेमराज को बचाने के लिए कथित तौर पर कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष सहित कुछ अन्य नेताओं की आवाजाही शुरू हो गई। इतना ही नहीं, कुछ कथित “कलमकार” भी अपने उसूल गिरवी रखकर पैरवी के लिए पहुंच गए। थाने के बाहर मानो बोली लगने लगी हो कौन, कितने में, कैसे मामले को संभाल सकता है।
लेकिन यह तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव और कोतवाली प्रभारी एम.एल. रहगंडाले के सामने किसी की नहीं चली। पुलिस ने साफ संदेश दे दिया कि कानून के सामने न नाम चलेगा, न रसूख और न ही सियासी पहचान।
सूत्रधार मानकर पुलिस की सख्ती
अब पुलिस मेघराज गिलानी को सिर्फ जुआ खेलने वाला आरोपी नहीं, बल्कि पूरे जुआ फड़ का एक अहम सूत्रधार मानकर जांच कर रही है। पुलिस का मानना है कि उसने न सिर्फ जुए में हिस्सा लिया, बल्कि पूरे खेल को संगठित करने में भी भूमिका निभाई।
सबसे गंभीर पहलू यह है कि उसने जानबूझकर गलत नाम और गलत पिता का नाम बताकर पुलिस को गुमराह किया। कानून के जानकारों की मानें तो इस आधार पर उसके खिलाफ जुआ एक्ट के अलावा पुलिस को झूठी जानकारी देने और जांच में बाधा डालने जैसी अन्य धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं।
पुलिस का साफ संदेश: अब नहीं चलेगा खेल
शहडोल पुलिस की इस कार्यवाही के बाद साफ हो गया है कि अब जुआरियों और रसूखदार आरोपियों के लिए खेल आसान नहीं रहने वाला। पुलिस प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी और यह भी देखा जाएगा कि जुआ फड़ के पीछे और कौन-कौन लोग सक्रिय थे। यह मामला अब सिर्फ जुए तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग कानून को ठेंगा दिखाने के लिए पहचान तक बदलने से नहीं चूकते। लेकिन शहडोल पुलिस की सख्ती ने यह साबित कर दिया है कि अंततः सच सामने आता है और कानून के आगे हर चाल बेनकाब होती है।

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