सरकार के द्वारा लाखों खर्च होने के बाद भी गांवों का नही हो सका अंधेरा दूर

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Ajay Namdev-7610528622

सरकार भले ही बिजली की समस्या को गंभीरता से लेते हुए करोडों रुपये पानी तरह खर्च कर रही है, लेकिन विद्युत विभाग के करोडों रुपये खर्च के बावजूद गांव में बिजली की समस्या से निजात नहीं मिल रही है। योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर कई गांव में बिजली की लाइन ङ्क्षखचवा ट्रांसफार्मर रखवा दिए है, लेकिन करीब दस साल बीत जाने के बाद भी लाइन में करंट नहीं दौडा। ग्रामीण अपनी बिजली की लाइन को चालू कराने के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर थक गए हैं, लेकिन उनकी लाइन में करंट नहीं आया।
अनूपपुर। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत जिलेभर में आधा दर्जन से अधिक गांव को चुना गया था। क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांवों में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत करोडो रूपये खर्च किए गए थे, योजना के तहत चुने गये गांव में हाइटेंशन लाइन खींची गई थी। इसके बाद गांव में जगह-जगह छोटी पावर के ट्रांसफार्मर भी लगा दिए। इससे आस-पास के उपभोक्ताओं को उसी ट्रांसफार्मर से कनेक्शन भी दिए जाने थे। सरकार के द्वारा लाखों खर्च होने के बाद भी इन गांवों का अंधेरा दूर नहीं हो सका है। योजना के तहत गांवों में खंभे लगाकर तार खींच ट्रांसफार्मर लगा दिए गए। करीब दस साल बीत जाने के बाद अधिकारियों की लापरवाही के चलते उपरोक्त योजना के तहत न तो लाइन में बिजली का करंट दौडा है और न ही गांव में किसी को इस योजना के तहत बिजली का कनेक्शन दिया गया। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांव के लोग अपने गांव की बिजली की आपूर्ति शुरू कराने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।


आदिवासी अंचल भी शिकार
राजेन्द्रग्राम विद्युत विभाग के कार्य क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम पंचायत लांघा टोला से ग्राम पंचायत करपा होते हुवे अल्हवार, सरई तक भ्रष्टाचार का विद्युतीकरण जिम्मेदारो ने करा दिया। जानकारी के मुताबिक संसदीय चुनाव पूर्व गाँव-गाँव बिजली, घर-घर बिजली पहुचाने का कार्य किया गया था, जो कि धरातल पर अँधेरा बिखेर रहा है। हर ग्राम पंचायतों में राजीव गाँधी विद्युतीकरण के तहत हजारों पोल गाडे गए, लेकिन आज तक विद्युतीकरण न होने की वजह से आज भी सरकार की मंशा और जनता के विश्वास पर कुठाराघात है। विद्युतीकरण न होने की वजह से आज भी कई गाँव अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जिनका जिम्मा लिए बैठा विभाग व ठेकेदार अपना घर रोशन के तर्ज पर आराम से कुंडली मारकर बैठे हैं।


ठेकेदार के नुमाइंदों ने लिए दो-दो सौ
राजीव गांधी विद्युतीकरण की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिनकी रही है व ठेकेदार के बीच न जाने कौन सी खिचडी पकी है, तभी तो आज तक सर्वे के मुताबिक न तो पोलों की गडी गई और न ही उन पोलों को विद्युती तारो से जोडा गया और ऐसे घरों का चयन किया गया जहां पर पूर्व से एकल बत्ती कनेक्सन लगा हुआ है, वहां पर अपना मीटर गाड कर खुली वायरिंग के भरोसे मीटर चिपका कर, दो-दो सौ रूपए भी ले गए।


पोल की खुली पोल
राजीव गाँधी विद्युतीकरण विभाग द्वारा जिसे भी कार्य का जिम्मा दिया गया रहा है, उन्होंने भ्रष्टाचार की हद पार करते हुए कार्य को अंजाम तक पहुँचाया है, जो कि किसी से छुपा नही है, जिस गहराई में बिजली के खंभे गडने थे उनकी कोई माप नही है, कभी भी धरासायी हो सकतें हैं, जिससे जनता की उम्मीद व सरकार की छवि धूमिल होना लाजमी है। इतना ही नही जमुडी फीडर अंतर्गत योजना के तहत् लगाये गये विद्युत पोल टूट कर दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे है, ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत की गई, लेकिन अभी तक शिकायत पर किसी प्रकार का असर नही हुआ है।


मनमाना बिल हर किसी को
इन दिनों विद्युत विभाग के द्वारा मनमाना बिल भेज कर उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है, इतना ही नही अगर तत्काल जमा नही किया गया तो गुंडो की भांति आकर लाईट काट दी जाती है, जब तक आधे बिजली का बिल नही जमा किया जाता तब तक लाईट नही जोडा जाता है, जबकि अगर कोई समस्या है तो पहले निराकरण करना चाहिए, लेकिन निराकरण तो दूर की बात है, यहां सिर्फ पैसे की बात की जाती है।


कब होगा विद्युतीकरण
अब ये सवाल पंचायत से लेकर मुख्यालय तक होने लगा है, राजएक्सप्रेस के पडताल पर मामला सामने आने के बाद ग्रामीण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहें हैं और उन्होंने कहा कि हम हर योजनाओं में अपने को ठगा सा महूसस करतें हैं। प्रसासन अगर ध्यान नही दिया तो विभाग का घेराव कर अपनी मांगों को रखेंगे।

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