रेत खनन के लिए नदी में बनाया रैम्प
पोकलेन और जेसीबी से खनन, परिवहन के उतरते हैं हाइवा

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। ब्यौहारी तहसील के रसपुर में झापर नदी में पंचायत की रेत खदान पर भाजपा नेता शत्रुघन और बुड़वा के उपेन्द्र सिंह ने कब्जा कर लिया है, बोडिहा की तरह ही मशीनों से खनन कराया जा रहा है और हाइवा वाहनों को रेत परिवहन के लिए नदी में उतारा जा रहा है, खास बात यह है कि सफेदपोश, नौकरशाह और वर्दीधारी इस पूरे खेल में अपनी मौन स्वीकृति दिये हुए है, यही आलम जयसिंहनगर की भठगवां रेत खदान का भी है, कटनी के खनिज कारोबारी ने पोकलेन मशीन लगाकर अंधेरे में खनन और परिवहन को संचालित कर रखा है।
झापर को कर रहे छलनी
पोकलेन मशीन लगाकर सोन, बनास के बाद झापर नदी पर भी भाजपा नेता और रेत माफिया ने कब्जा जमाते हुए नदी का अस्तित्व को मिटाने के लिए पोकलेन, जेसीबी जैसे वाहनों को नदी में उतार दिया है और झापर के सीने पर खुलेआम खंजर घोपा जा रहा है और जिम्मेदार मौन है। ब्यौहारी अंचल में चर्चा है कि एसडीएम की शह पर पूरा खेल होता है, खासतौर पर रेत के अवैध कारोबार में इनकी भूमिका संदेह के दायरे में नजर आ रही है।
खनन के लिए बनाया रैम्प
सिया के द्वारा जो पर्यावरण स्वीकृति रसपुर रेत खदान को जारी की गई है, उसमें मजदूरों के माध्यम से रेत छोटे वाहनों से निकालने की अनुमति है, नदी में रैम्प बनाने पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके नेताजी और माफिया ने रसूख और पहुंच के बल पर स्वीकृति की शर्तों को भी रद्दी की टोकरी में फेंककर मशीन और मशीन और हाइवा वाहनों को रेत खनन के लिए जीएसबी से रैम्प का निर्माण करते हुए नियमों को तोड़ दिया।
कारोबार में सब शामिल
ब्यौहारी में रेत के कारोबार में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों साथ में मिलकर अवैध कारोबार संचालित कर रहा है, न तो इस बार विपक्ष की ओर से आवाज आ रही है कि अवैध उत्खनन रोका जाये और न ही सत्ता में बैठे कांग्रेसी विरोध कर रहे हैं, जिसके पीछे ऑल-इज-वेल की रणनीति अपनाई गई है, माफियाओं के खिलाफ प्रदेश सरकार का अभियान भी यहां फ्लॉप होता नजर आ रहा है। कमलनाथ सरकार ने दावा किया था कि सरकार जीरो टॉलरेंस पर चलेगी, लेकिन ब्यौहारी में रेत के मामले में सरकारी महकमा टोटल टॉलरेंस का पालन करके अपनी झोली भरने में जुटा हुआ है।

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