जिले के सीमा पर चर्चा का विषय बनी इंसान औरभालू की जुगलबंदी

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जिले के सीमा पर चर्चा का विषय बनी इंसान औरभालू की जुगलबंदी
(शिरीष नंदन श्रीवास्तव)
शहडोल। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमा क्षेत्र पर जैतपुर से मात्र ४० किलोमीटर दूर स्थित खड़ाखोह के जंगल में राजमाडा के पास पहाड़ी पर एक आश्रम है जहाँ पर घने जंगलों के बीच रामवन आश्रम के नाम की जगह में पशु और इंसान इस तरह से रहते है जैसे हम और आप रहते हैं। यहाँ रहने वाले बाबा की जंगल में रहने वाले भालूओं से गजब की जुगलबंदी है और बाबा की एक आवाज पर भालू दौड़े चले आते हैं। बाबा रामदास का कहना हैं कि वो जब से आये हैं, तभी से भालू उनसे मिलने लगे है और वह उन्हें या किसी और को कोई नुकसान नहीं पहुंचते हैं। बाबा रामदास ने इन जंगली भालुओं चुन्नू, मुन्नू नाम से पुकारते हैं। जिन जंगली भालुओं का नाम सुनकर इंसान कांप जाता है, वही भालू बाबा रामदास की एक आवाज पर दौड़े चले आते हैं। बाबा और भालुओं के बीच ऐसी दोस्ती है, जब तक बाबा पूजा-पाठ या भजन कीर्तन करते करते हैं, तब तक भालू उनके पास ही बैठे रहते हैं और प्रसाद खाने के बाद ही वहां से जाते हैं। बाबा रामदास कहते हैं कि वे इस जंगल में कुटिया बनाकर पिछले सात साल से रह रहे हैं। एक बार वह जब यहाँ पूजा कर रहे थे तब बहार भालू आकर बैंठ गए डरते डरते उन्होंने भालू को प्रसाद दिया और तभी से यह सिलसिला शुरू हो गया ।धीरे-धीरे यहां रहने वाले भालुओं से उनकी जुगलबंदी होती गई।खास बात ये है कि आज तक इन भालुओं ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है, बाबा को इन भालुओं पर जितना भरोसा है, इन जंगली भालुओं को भी उतना ही भरोसा बाबा पर है। बाबा रामदास कहते हैं कि भालू बड़े उम्मीद के साथ आते हैं और उनके पास जो भी प्रसाद रहता है वे भालूओं को खिला देंते हैं। इस स्थान पर भालू और इंसान के बीच का दोस्ताना देखते ही बनता है

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