मोहित हत्याकांड में उठी सीबीआई जांच की मांग

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मोहित हत्याकांड में उठी सीबीआई जांच की मांग
मोहित की पत्नी प्रतिमा पर जेठ गनाराम को फंसाने की साजिश
गनाराम की पत्नी राधा और भाई अर्जुन ने पुलिस पर लगाये भेदभाव के आरोप
पुष्पराजगढ के करौंदाटोला में निवास करन वाले मोहित बनावल के हत्याकांड अब भी अनसुलझा दिखाई दे रहा है, मृतक मोहित की पत्नी का विवादों से अक्सर नाता रहा है, पूरा परिवार अलग रह रहा था, लेकिन प्रेम विवाह ने मोहित और प्रतिमा के साथ माईके पक्ष में हमेशा विवाद होता रहा है, प्रतिमा के द्वारा मोहित सहित उसके परिवार पर हमेशा झूठे आरोप लगाने की धमकी देती रही है, जिसकी पुरी शिकायत पुलिस के पास है, लेकिन जब मोहित की हत्या हुई तो प्रतिमा ने माइके वालों को बचाने के लिए जेठ गनाराम को फंसाने के लिए ब्यूह रचना रच दी। 
अनूपपुर। अमरकंटक थाना अंतर्गत ग्राम करौंदाटोला में वर्ष 2019 में हुए मोहित हत्याकांड के बाद पुलिस ने मोहित की पत्नी प्रतिमा के कथन के आधार पर शिक्षक गनाराम को आरोपी तो बना दिया था, लेकिन परिवार व ग्रामीणों को अभी भी यकीन नही हो रहा है, पत्नी राधाबाई और ग्रामीणों ने कई बार पत्र देकर पुलिस पर सवाल खडे करते हुए सीबीआई जांच की मांग की है, मोहित के हत्या के बाद कई बार आवेदन व शिकायत पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई जा रही है, लेकिन न तो स्थानीय पुलिस ध्यान दे रही और नही उच्चाधिकारी, लगातार आवेदन देकर गनाराम के निर्दोष होने की बात कही जा रही है, निश्ििचत ही उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।
सीबीआई जांच की मांग
गनाराम की पत्नी राधा बाई तथा उनके परिवार के द्वारा पुलिस पर भेदभाव के आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होने कहा कि मोहित और प्रतिमा के बीच वर्षो से झगडा चलता रहा है, जिसकी शिकायत थाने में दर्ज है, इतना ही नही प्रतिमा के मायके पक्ष से भी हमेशा विवाद होता रहा है। प्रतिमा के द्वारा मोहित सहित उनके भाईयों को भी दहेज प्रथा एवं अन्य के तहत् फंसा चुकी है, जिसकी शिकायत कई बार थाने में दिया गया, लेकिन आज तक पुलिस ने उनके शिकायत पर गौर नही किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि आज इन परिस्थितियों का सामना करना पड रहा है। इसलिए अब सीबीआई जांच की आवश्यकता है।
निशाने में सीआरपीएफ जवान 
जेल में बंद शिक्षक गनाराम के भाई अर्जुन देश की सेवा में अपनी जिंदगी बिता रहे है, जब छुट्टियों में अपने गांव पहुंचे तो उन्होने घटना के विषय में जाना और सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करने लगे, लेकिन देश के वीर जवान को अपराधियों ने रास्ते में जाता देख बोलेरे ही चढा कर अपंग बना दिया, मोहित के मौत के पहले अमरंकटक थाने में पूरी कई शिकायतें अर्जुन व उसके परिवार द्वारा की गई है, पुलिस इन आवेदनो को पहले से ही गौर किया होता तो गनाराम जेल नहीं गया होता और न हीं अर्जुन के साथ घटना हुई होती। आज एक देश का वीर जवान अपंग नही होता।
जान से मारने की धमकी
सीआरपीएफ जवान अर्जुन ने बताया कि उसके व परिवार को एक-एक करके खत्म करने की धमकी देने लगे हैं और पुलिस हत्यारों का साथ दे रही हैं, जवान तथा पुरे परिवार शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, मृतक अधिवक्ता मोहित के हत्या में प्रतिमा तथा उसके माइके पक्ष के लोग शामिल रहे है, लेकिन प्रतिमा के कहने से गनाराम को हत्यारा साबित कर दिया गया, अपने छोटे भाई के हत्या में शामिल होने की पुष्टी कर दी गई, अर्जुन ने कहा कि शासन-प्रशासन के द्वारा सीबीआई जांच करायी जाये, जांच के बाद अगर लगते होने से हम मृतक के पुरे परिवार को बीच चौरहा में एक साथ फासी दे दिया जाये, नहीं तो प्रतिमा के माइके पक्ष के लोग हमारे पुरे परिवार को जान से मार देगे। या फिर इससे अच्छा है पूरे परिवार को एक साथ इक्षा मृत्यु का आदेश दे दी जाय, नहीं तो असली हत्यारों को पकड़ कर फासी की सजा दिया जाये, तभी मृतक के आत्मा को शांती मिलेगी।
अधिवक्ताओं से की अपील
देश का जवान व गनाराम का भाई अर्जुन ने सभी अधिवक्तओं से हाथ जोडकर विनती करता किया है कि कि आप का छोटा भाई अधिवक्ता मोहित बनावल को उचित न्याय दिलाने से भाई के आत्मा को शाति मिलेगी और आप लोग भी अपने छोटे भाई को न्याय दिला कर अपार शांत अनुभव करेंगे आप का छोटा भाई है मोहित, न्याय दिलाने के लिए सभी मीडिया व पत्रकारों से विशेष अपील करते हुए अर्जुन ने कहा कि मोहित के बुढे माता पिता दोनों बेटा के गम में बहुत परेशान और बीमार हैं, गनाराम के दो बच्चीं बिकलांग हैं तथा पत्नी बहुत बीमार है, वह दवाई के सहारे जीवित है।
कोरे कागज में लिया हस्ताक्षर
गनाराम के परिवार वालों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस सही जाँच नही की है, गवाहो का कथन मनगढंत अनुसार विवेचना में लिखकर न्यायालय में पेस किया है और कुछ गवाहो का कथन भी पेस नही की और तो और गनाराम के पत्नी  पढी नही है और पुलिस ने कथम के दस्तावेज में हस्ताक्षर करा रखा है। शव को निकालते समय पुलिस सादे कगज पर पुरे परिवार का हस्ताक्षर करा लिये थे, यह कहते हुए कि आप लोगों को बार-बार यहां-वहां जाना नही पडेगा।
यह था मामला
पति की हत्या करने के बाद उसकी लाश को दफ्न कर एक माह तक पत्नी खाना बनाती रही, जब राज खुला तो शव को घर से बरामद किया गया, पत्नी के कथन पर पुलिस ने उसे आरोपी बनाया साथ में मृतक के भाई को भी प्रतिमा के बयान पर हत्या में शामिल कर जेल भेज दिया, जबकि इस हत्या में प्रतिमा के साथ शामिल मास्टर माईंड अभी भी खुलेआम घूम रहा है। जिले के अमरकंटक थाना क्षेत्र के ग्राम करौंदाटोला में 22 अक्टूबर 2019 को पेशे से अधिवक्ता मोहित बनावल की हत्या उसकी पत्नी प्रतिमा ने की थी, मोहित और प्रतिमा ने प्रेम विवाह किया था, अक्सर मोहित का अपने ससुराल पक्ष के लोगों से विवाद हुआ करता था, यह मामला कई बार थाना तक पहुंचा भी था, हत्यारी पत्नी ने अपनी पति मोहित को बेरहमी से कत्ल करने के बाद आंगन में दफ्न कर दिया था, ठीक एक माह बाद उसके शव को पुलिस ने बरामद किया था। इतना ही नही एक माह तक वह जिस स्थान पर मोहित के शव को प्रतिमा ने गडा दिया था, उसी पर वह खाना बनाया करती थी। आनन-फानन में पुलिस ने इस मामले का खुलासा तो किया, लेकिन बहुचर्चित मोहित हत्याकांड में अभी भी कई महत्वपूर्ण पहलू उजागर नही हो पाये है, असली कातिल घूम रहे है, निर्दोष को जेल की हवा खानी पड रही है, पीडित परिवार और ग्रामीण न्याय की गुहार लगाकर थक चुके है, लेकिन वर्दीधारियों ने इस मामले को न्यायालय में होने की दुहाई देकर कार्यवाही से दूर दिख रहे है।
असली गुनहगारों को बचाने की कोशिश
वारदात के बाद से अभी तक ग्रामीणों का आरोप है कि प्रतिमा ने इस पूरे हत्याकांड में अपने माइके पक्ष के लोगों को बचाने के साथ ही मोहित को मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे और मास्टरमाईंड को बचाने का काम किया। पुलिस को झूठी कहानी बताकर निर्दोश गनाराम जो कि पेशे से शिक्षक है, उन्हे रंजिश के चलते इस मामले में फंसा दिया गया। यह पूरा मामला नीचे से लेकर ऊपर तक पहुंचा, लेकिन पुलिस के अधिकारियों ने इस मामले में कोई जांच नही की। यह आरोप ग्रामीण शुरू से लगाते चले आ रहे है।
कॉल डिटेल खोल सकता है राज
इस पूरे मामले में एक तथ्य यह भी है कि ग्रामीणों ने पुलिस को वारदात के बाद बताया था कि मोहित और प्रतिमा के मोबाइल नंबर की जांच करने के साथ ही मोहित का मोबाइल ढूंढने से सत्यता का पता चल सकता है। घटना को कारित हुए 6 माह का समय बीत चुका है, लेकिन जो जानकारी सामने आई है, उसमें पुलिस अभी भी मोहित के मोबाइल का पता लगाने में नाकामयाब है। मृतक के भाई अर्जुन का कहना है कि उसका भाई दो सिम का उपयोग किया करता था, एक सिम 20 अक्टूबर और दूसरी सिम 22 नवंबर 2019 के बाद से बंद है, इस दौरान मोबाइल चालू रहा, लेकिन पुलिस ने इस मामले में सूक्ष्मता से जांच नही की, मोबाइल की लोकेशन और कॉल डिटेल पर पुलिस ध्यान देती तो, पूरे मामले का खुलासा हो सकता था।
प्रतिमा के ब्यूह रचना में पुलिस
इस पूरे मामले में पुलिस ने मृतक मोहित की पत्नी के बयान को ही अहम मानते हुए अपनी विवेचना को आगे बढाया, जैसा उसने बयान दिया, उसके आधार पर पूरे मामले का खुलासा करते हुए मोहित हत्याकांड में उसके भाई गनाराम को भी आरोपी बना दिया, जबकि पुलिस को इस मामले में यह जांच करनी चाहिए थी कि वारदात और उसके आस-पास गनाराम कहां था, मोहित और गनाराम अलग रहा करते थे, दोनो ही परिवारो के बीच शादी को लेकर विवाद था, प्रतिमा हमेशा मोहित के परिवार के लोगों को प्रताडित करती थी, इतना ही नही झूठे मामलों में फंसा देने की धमकी भी दिया करती थी, यह सब शिकायतें पुलिस के पास मौजूद थी, लेकिन पता नही किन कारणों से पुलिस ने इस मामले में चालान पेश करने में जल्दीबाजी की, नतीजा यह निकला कि ग्रामीण और परिजन अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खडे कर रहे है, अगर अदालत ने गनाराम को निर्दोष करार दे दिया तो जो उसने सजा काटी है, उसका जिम्मेदार कौन होगा, क्योकि ऐसे कई मामले सामने आ चुके है, जिससे पुलिस की लापरवाही के चलते बेगुनाहों ने कई वर्षो तक कालकोठरी में सजा भुगती है।
अर्जुन को बना रहे निशाना
पेशे से अधिवक्ता रहे मृतक मोहित के भाई जो कि उत्तराखंड में सीआरपीएफ में पदस्थ है, बीच में अपने गांव आये थे, इस दौरान प्रतिमा के परिवार के लोगों ने उनके ऊपर बोलेरो वाहन चढाकर जान से मारने का भी प्रयास किया था, इतना ही नही उस दौरान कई बार उन्हे धमकिया भी मिली, कुलमिलाकर अगर पुलिस इस मामले की सही दिशा में जांच करती तो प्रतिमा के साथ मोहित की हत्या में शामिल गुनहगार आज सलाखों के पीछे होते। ग्रामीणों और पीडित परिवार ने इस ममाले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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