कोरोना पर भारी आस्था की सावन फुहारी, 5 ज्योतिर्लिंग में 6 जुलाई से तो 7 ज्योतिर्लिंग 21 जुलाई से मनेगा सावन पर्व
भोपाल/शहडोल। कोरोना काल के चलते कई धार्मिक त्यौहार को श्रद्धालुओ ने घर पर ही मनाया लेकिन इस सावन मास में महादेव की भक्ति हर हाल में मनानी तय है। चाहे बारिश की फुहार हो या कोरोना काल वैसे भी भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए सबसे बड़े पर्वों में से एक हैं सावन का सोमवार जो की हर साल की तरह इस बार भी शिवभक्त सावन महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वैसे बता दें कि इस साल सावन महीने की शुरुआत बहुत खास है, क्योंकि इसके पहले दिन ही यानि आज 6 जुलाई को सोमवार है। इस दिन लोग उपवास करते हैं और शिवालय में जाकर दूध, दही, शहद से शिवलिंग का अभिषेक करके बेलपत्र, फल, फूल आदि भगवान को अर्पण करते हैं। इस साल कोरोना संकट के कारण देश के ज्यादातर इलाकों में मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं। ऐसे में घर पर रहकर ही सावन की विधिवत पूजा करें ।
हिन्दू पंचांग की व्यवस्था से बनते ऐसे संजोग
6 जुलाई से शुरू हो रहे त्योहार की तरह सावन का महीना दो दिन या यू कहे दो अलग-अलग दिनों से शुरू हो रहा है। दरअसल 6 जुलाई से सिर्फ पांच ज्योतिर्लिंगों के लिए सावन का महीना शुरू हो रहा है. बाकी के सात ज्योतिर्लिंगों के लिए 21 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि हिंदू पंचांग की व्यवस्था के कारण हर साल ऐसी स्थिति बनती है देश के उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में पूर्णिमा के बाद नए हिंदी महीने की शुरुआत होती है. इसे पूर्णिमांत महीना कहा जाता है. मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसमें शामिल हैं. यहां 6 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है।
यहां 15 दिन की देरी होती हैं सावन पर्व की शुरुआत
पंडित मिश्र बताते हैं कि पश्चिम और दक्षिण भारत में अमावस्या के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है. इसे अमांत महीना कहते हैं. इस वजह से हर साल गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत में 15 दिन की देरी से सावन की शुरुआत होती है. इन राज्यों में 7 ज्योतिर्लिंग आते हैं, यहां 21 जुलाई से सावन शुरू होना बताया जा रहा है।
5 ज्योतिर्लिंग में 6 से तो 7 ज्योतिर्लिंग 21 जुलाई से शुरू होगा सावन
बताते हैं कि अमांत कैलेंडर के कारण गुजरात के सोमनाथ और नागेश्वर, महाराष्ट्र के भीमाशंकर, त्र्यंब्यकेश्वर और घ्रुश्मेश्वर, आंध्रप्रदेश के मल्लिकार्जुन, तमिलनाडु के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग में सावन की शुरुआत 21 जुलाई से हो रही है। इसका आखिरी दिन 19 अगस्त को रहेगा। यहां सावन के सोमवार भी चार ही होंगे। वहीं
पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार मध्यप्रदेश के महाकाल और ओंकारेश्वर, उत्तराखंड के केदारनाथ, उत्तरप्रदेश के काशी विश्वनाथ, बिहार के वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग की पूजा के लिए सावन महीने की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है. इसका आखिरी दिन 3 अगस्त रहेगा।
नेपाल के पशुपतिनाथ
नेपाल, हिमाचल और उत्तराखण्ड के कुछ हिस्सों में सावन महीने की शुरुआत 16 जुलाई से होगी और इसका आखिरी दिन 15 अगस्त को रहेगा. इन जगहों पर सौर कैलेंडर के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं।
15 दिनों का अंतर लेकिन त्योहारों की तारीख एक
देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में अमांत कैलेंडरर के कारण और पूर्णिमांत कैलेंडर के कारण सावन की तारीखों में 15 दिन का अंतर रहता है, लेकिन रक्षाबंधन, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली और होली जैसे त्योहारों की तारीखें एक ही रहती हैं. उत्तर और मध्य भारत में जहां रक्षाबंधन पर्व सावन के आखिरी दिन मनाया जाता है. वहीं दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में सावन के बीच में ये पर्व मनाया जाता है. लेकिन, तारीख में बदलाव नहीं होता है।