विटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हालत बद से बदतर एलटीटी कैंप मैं सुबह से बैठी महिलाओं को शाम तक सिर्फ डॉक्टर का इंतजार
सुनील यादव 9981248863
कटनी। जिले के विटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की भारी लापरवाही।सुबह 10:00 बजे से बैठी महिलाएं को रात्रि 8:00 बजे तक नहीं मिल पा रहे हैं डॉक्टर। जबकि एलटीटी महिलाओं के लिए तत्काल पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि यह प्रक्रिया ऐसी है, कि आज महिलाओं को जागृत करके समाज में जनसंख्या के प्रति नियंत्रण करने का प्रमुख केंद्र माना जाता है ।लेकिन कटनी शहर के अंदर विभाग के जिम्मेदार सभी अपनी जिम्मेदारियों को भूले बैठे हैं। वही अपने निजी क्लीनिक में पूरी जवाबदारी से फीस लेते हुए आपको अक्सर लिखे हुए टाइम के अनुसार मिल जाएंगे। लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का जिम्मेदारी निभाना उनके लिए गले की फांस लगती है। गांव गांव से आकर महिलाएं एलटीटी के लाइन में लगी रहती है। सुबह से शाम हो जाती है। जिसके कारण इनके अलावा इनके परिवार के लोग भी काफी परेशानियों का सामना करते हैं ।आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से आए हुए महिलाओं को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। लेकिन अस्पताल व्यवस्था को सही करने में लगता है कसम खाकर बैठे हैं कि सरकारी व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी। और आम लोगों को यूंही परेशान करने का जिम्मा उठा लिये हों।
सूत्रों का कहना है कि विटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कई बार एलटीटी ऑपरेशन शिविर के दौरान महिलाओं के लिए उस समय बेहद शर्मनाक स्थिति बन जाती है। जब ऑपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल के पुरुष कर्मचारियों द्वारा स्ट्रक्चर के बजाएं गोद में उठाकर वार्ड तक ले जाया जाता है। कई बार शिकायतें यह भी आई है कि उन्हें बेड नसीब नहीं होता। उन्हें दरी और गद्दो पर ही लेटा दिया जाता है। ऑपरेशन के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन तक को भुलाकर बैठे रहते हैं। डॉक्टर्स और उनकी व्यवस्था।
ऑपरेशन के बाद खुद की व्यवस्था से जाना पड़ता है गांव
एलटीटी ऑपरेशन के बाद सामुदायिक केंद्रों में वाहन की उपलब्धता नहीं कराते। जिससे दूर दराज से आई महिलाओं को खुद का वाहन करके अपने गांव तक जाना पड़ता है। जो कि अपने आप में एक शर्मनाक विषय है। अपने टारगेट को पूरा करने के लिए शासकीय कर्मचारी किसी न किसी तरीके से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को एलटीटी कराने के लिए तो मना कर ले आते हैं, लेकिन उसके बाद उन्हें घर वापस जाने के लिए ऑपरेशन के बाद कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती। जिससे उन्हें खुद के किराए से निजी गाड़ी करा कर घर तक पहुंचना पड़ता है जिससे स्थिति चरमरा गई है। और जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को छोड़ निजी स्वार्थ पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।