गद्य विधा पर साहित्य लेखन आवश्यक ताक यह विलुप्त न हो नगर में प्रथम बार गद्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

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गद्य विधा पर साहित्य लेखन आवश्यक
ताक यह विलुप्त न हो

 नगर में प्रथम बार गद्य गोष्ठी का हुआ आयोजन


शहडोल । जिले में पहली बार गद्य विधा पर आधारित गद्य गोष्ठी का आयोजन 17 मार्च को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित किया गया। इस आयोजन में कहानीकार, उपन्यासकार और रिपोर्ताज के लेखक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी फणीश्वर नाथ रेणु का स्मरण किया गया। कार्यक्रम में छाया गुप्ता ने उपन्यास कार फणीश्वर नाथ रेणु के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला ।और उनका जीवन परिचय प्रस्तुत किया। नीलेश गौतम ने गद्य प्रवाह समूह के उपादेयता पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि पद्य की विधाओं के साथ गद्य विधाओं पर भी नगर के साहित्यकारों की कलम चलनी चाहिए, ताकि हम आगामी पीढ़ी को एक साहित्यिक विरासत सौंपने के दायित्व निर्वहन कर सकें।
रजनीश सोनी ने गद्य की विविध विधाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गद्य की अनेकों विधाओं में रचना करके बहुआयामी विचार अभिव्यक्त किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने लेखकीय तौर तरीकों पर भी संक्षिप्त चर्चा किया । साहित्यकार नलिनी तिवारी ने कहा कि मैने अनेक लेखकों की पुस्तकें पढ़ी हैं। आज गद्य प्रवाह के शुभारंभ से अब हम भी गद्य विधा में लिखने का प्रयास करेंगे। परमानंद तिवारी ने कहा कि गद्य में हम अपने दैनिक वार्तालाप करते हैं किंतु लिखने में पद्य को ही सरल मानते हैं लेकिन गद्य लेखन इतना सहज नहीं है। अतः गद्य प्रवाह समूह में जुड़कर जिले के युवा साहित्य सर्जक गद्य में भी लिखेंगे और अपनी भावनाओं को विस्तार देंगे। साहित्यकार किरण सिंह शिल्पी ने पिता को लेकर एक प्रेरक संस्मरण साझा किया और कोरोना काल की महामारी में मृत्यु के ताण्डव और परिजनों वेदना का चित्र खीचती हुई एक लघुकथा प्रस्तुत की ।डाइट के प्राचार्य रमाशंकर गौतम ने गद्य प्रवाह शहडोल इकाई के शुभारंभ को ऐतिहासिक बताया । कहा कि गद्य विधा को समर्पित जिले का यह पहला समूह है। इससे भविष्य में हमारे युवा सर्जकों को अवश्य ही प्रेरणा मिलेगी और गद्य की विधा पर भी विधिवत कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। साहित्यकार शिरीष नंदन श्रीवास्तव संस्मरणात्मक शैली में सिहरन प्रस्तुत किया। इस संस्मरण के माध्यम से रात्रिकालीन भयावह जंगल, और हिंसक जानवरों के आक्रमण का चित्रण करते हुए तेंदुए से साक्षात्कार का अनुभव सुनाया। कार्यक्रम में अंत में गद्य प्रवाह शहडोल इकाई की संयोजक जनक कुमारी सिंह बघेल ने कहा कि जैसे गद्य गिद्ध, गौरैया और काग की तरह भी विलुप्त प्राय न हो जाए अतः गद्य का व्यवस्थित समूह बनाना आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन शिरीष नंदन श्रीवास्तव ने किया।
गद्य गोष्ठी में रचनाकार छाया गुप्ता, प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ साहित्यकार परमानंद तिवारी, शिवसेन जैन, रजनीश सोनी, नीलेश गौतम, डाइट प्राचार्य रमा शंकर गौतम और किरण सिंह शिल्पी , मिश्रा, शिरीष नंदन श्रीवास्तव, मोहनीश गुप्ता सतेंद्र मिश्रा उपस्थित रहे।

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