इंजीनियर के बाद अब एसडीओ व सीईओ ने रोकी फाइल आवेदन के 18 महीने बाद भी योजना के लाभ से वंचित आदिवासी महिला
6 माह से कपिलधारा के लिए जनपद कार्यालय का लगा रहे चक्कर
मामला जनपद पंचायत बुढ़ार के ग्राम पंचायत बलबहरा का
जब मनमानी चरम पर होती है तो अधिकारी किसी की नही सुनता फिर चाहे मामला आदिवासी महिला की मिन्नत से जुड़ा हो या योजना के लाभ के लिए गरीब की समस्या से, कुछ ऐसा ही हाल जिले के जनपद पंचायत बुढ़ार का है जहां एक आदिवासी महिला समेत दो हितग्राही दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर लगा चुके है वही इसके एवज मे उन्होने इंजीनियर को बतौर रिश्वत भी दी, लेकिन इसके बाद भी इंजीनियर समेत एसडीओ व सीईओ का दिल नही पसीजा और कार्यवाही की कलम आज तक नही चल सकी।
शहडोल। सरकार चाहे कितना भी ढिंढोरा पीट ले कि सरकारी महकमे पर नियंत्रण के साथ ही अंतिम छोर पर बसे गरीब ग्रामीण को सरकारी योजना का लाभ मिलेगा परंतु अंगद की तरह कुर्सी पर जड़ जमाकर बैठे अधिकारी कर्मचारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने के लिए काफी हैं। तभी तो एक सरकारी योजना का लाभ पाने के लिए आदिवासी महिला भटकने को मजबूर है वही अन्य ग्रामीणों की भी कुछ ऐसी ही समस्या है, लेकिन जनपद के अधिकारियों को उनकी समस्या से कोई लेना देना नही बल्कि टेबिल के नीचे से आने वाली अवैध रकम पर जरूर निगाहें गड़ी रहती है, लेकिन जनपद बुढ़ार ने एक कदम और बढ़ाते हुये रिश्वत लेने के बाद भी योजना का लाभ न देने का नया रिकार्ड बनाया है।
18 माह से भटक रही आदिवासी महिला
प्रदेश सरकार आदिवासियों के उत्थान व विकास के लिए नित नये योजना बनाकर उन्हे आगे बढ़ाना चाहती है, लेकिन जनपद पंचायत बुढ़ार मे जड़ जमाये बैठे मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुद्रिका सिंह, एसडीओ समेत इंजीनियर अनिल शुक्ला ग्राम पंचायत बलबहरा की आदिवासी महिला गायत्री पाव को किसी भी हालत मे मीनाक्षी तालाब योजना का लाभ न देने का संकल्प ले लिये हैं। यही कारण है कि 27.05.2021 से आवेदन के 18 महीने बाद भी फाइल एक टेबिल से दूसरे टेबिल तक नही पहुंच सकी।
7 माह से दौड़ लगा रहे कपिलधारा के हितग्राही
बलबहरा के हितग्राही राजेन्द्र गुप्ता तथा तेरसिया काछी के द्वारा कपिलधारा कूप निर्माण के लिए ग्राम पंचायत बलबहरा मे आवेदन दिया गया जिस पर जद्दोजहद के बाद पंचायत द्वारा 14.04.2022 को कपिलधारा हेतु प्रस्ताव निर्णय पारित किया गया जिसके बाद लगातार दोनो हितग्राही पंचायत व जनपद कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आवेदन के 7 माह बाद भी किसी प्रकार की सुनवाई न होना कहीं न कहीं जनपद सीईओ समेत एसडीओ व इंजीनियर के कामकाज पर सवाल खड़े करता है।
…तो क्या कम पड़ गई रिश्वत की राशि !
कई बार जनपद कार्यालय का चक्कर लगा लगाकर परेशान हो चुके हितग्राही गायत्री पाव ने इंजीनियर अनिल शुक्ला को 17 मई 2022 को बतौर घूंस 5 हजार रूपये दिये वही कपिलधारा के हितग्राही राजेन्द्र गुप्ता व तेरसिया काछी ने भी 12 मई को 2 हजार रूपये दिये, लेकिन आका के आदेशानुसार रिश्वत की राशि कम होने पर इंजीनियर ने काम रोक दिया। सोशल मीडिया मे रिश्वतकांड फैलने पर बौखलाये अधिकारियों ने हितग्राहियों को अपात्र कर योजना का लाभ न देने की पुरजोर कोशिश की लेकिन इंजीनियर के जांच के दौरान पात्रता होने पर वे ऐसा कुछ नही कर सके। अपात्र करने की धमकी की गवाही मौका स्थल पर मुआयना के दौरान अधिकारी द्वारा अपात्र करने के लिए लिखे गये कागज के फटे पन्ने दे रहे हैं।
सीईओ का आदेश- दोबारा दो आवेदन
बुधवार 30 नवंबर को हितग्राही जनपद कार्यालय मे पहुंचे तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुद्रिका सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि आप यदि काम चाहते हैं तो आपको दोबारा आवेदन देना होगा तभी मैं एसडीओ को कुछ कह पाऊंगा। जबकि इस पूरे प्रकरण की फाइल उन्ही के पास है तो दोबारा आवेदन लेने का क्या औचित्य है। हां यह जरूर हो सकता है कि रिश्वत की रकम कम पड़ने पर मांग के अनुरूप राशि लेने का एक बहाना हो, लेकिन यह गरीबों के साथ सरासर अन्याय है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा जन हेतु जन सेतु के लिए बनाया गया सीएम हेल्पलाइन को भी मजाक बनाकर रख दिया है तभी तो सीएम हेल्पलाइन मे शिकायत 19830406, 19832614 के बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही से परहेज किया जा रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक ग्रामीणों को योजना का लाभ मिल पाता है।
ऐसे मे कैसे सुधरेगी गांव की हालत
गांव व ग्रामीणों की हालत सुधारने के लिए जनपद मे बैठे अधिकारियों द्वारा गरीबों को इस तरह से परेशान किया जायेगा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद अंतर्गत 102 पंचायतों का क्या हाल होगा। हालांकि इस मामले मे इंजीनियर का कहना है कि मैने जो रिश्वत की रकम ली उसके एवज मे आप लोगों का स्टीमेट बनाकर एसडीओ को भेज दिया है। अब आगे की कार्यवाही एसडीओ व सीईओ करेंगे। कुल मिलाकर उन्हे भी दान दक्षिणा की आस है, शायद यही कारण है कि अब लिफाफा मिलने पर ही अग्रिम कार्यवाही हो सकेगी। कुल मिलाकर गांव की खस्ता हालत ऐसे अधिकारियों की वजह से ही है।
इनका कहना है…
तीनों हितग्राहियों की अगर पात्रता होगी तो देखेंगे।
मुद्रिका सिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जनपद पंचायत बुढ़ार