बारिश में भी थिरका अमलाई, गरबा-डांडिया महोत्सव ने रचा नया इतिहास

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अनूपपुर। माँ दुर्गा की भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम उस समय देखने को मिला, जब मूसलाधार बारिश भी अमलाई क्षेत्र में चीनी मित्र मंडली द्वारा आयोजित गरबा–डांडिया महोत्सव को थाम न सकी। दुर्गा मंदिर प्रांगण, वार्ड क्रमांक 6 और 7 के बीच आयोजित इस महोत्सव ने लगातार दूसरे वर्ष पूरे क्षेत्र में उत्साह और गौरव का नया अध्याय लिखा।
सैकड़ों की संख्या में महिलाएँ, बच्चियाँ और युवा रंग-बिरंगे परिधानों में डांडिया की ताल पर थिरकते नज़र आए। पाँच वर्ष की बच्चियों से लेकर चालीस वर्ष तक की माताओं और बहनों ने जब एक साथ नृत्य किया, तो पूरा वातावरण भक्ति, ऊर्जा और संस्कृति के रंगों से सराबोर हो उठा।
25 दिन की तैयारी और बरसात में भी उत्साह बरकरार
मंडली प्रमुख पवन चीनी ने अमलाई, बुढ़ार, धनपुरी, शहडोल और उमरिया से प्रशिक्षित टीमों को जोड़कर आयोजन को भव्य स्वरूप दिया। बरसात के बीच भी माता रानी के आशीर्वाद से उत्साह चरम पर रहा। विशाल पंडाल, सुरक्षा व्यवस्था, पेयजल और नाश्ते की सुविधा ने आगंतुकों को प्रभावित किया। वहीं एक नन्हीं बच्ची का योगाभ्यास महोत्सव का विशेष आकर्षण बना।
गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी
महोत्सव में भाजपा जिला अध्यक्ष हीरा सिंह श्याम, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष श्रीमती रश्मि खरे सहित अनेक जनप्रतिनिधि और समाजसेवी शामिल हुए। पार्षदगण व गणमान्य नागरिकों ने भी उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और बच्चों को आशीर्वाद दिया।
समाजसेवा और सेवा भाव की झलक
कार्यक्रम के प्रमुख पवन चीनी न सिर्फ लोकप्रिय पार्षद हैं, बल्कि समाजसेवा में भी अग्रणी हैं। गरीब कन्याओं की शादी, रक्तदान शिविर, बच्चों को लैपटॉप और साइकिल वितरण जैसे कार्य उनकी सेवा भावना की मिसाल हैं। महोत्सव के दौरान मंडली के सैकड़ों सदस्य महाआरती से लेकर उपहार वितरण तक में सक्रिय रहे।
मंच संचालन ने बाँधा समां
सूरज श्रीवास्तव, संदीप पुरी और अजय दहिया ने अपनी ऊर्जावान आवाज़ और प्रभावी मंच संचालन से छोटे-बड़े सभी प्रतिभागियों का उत्साह दोगुना कर दिया।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि बरसात के बावजूद महोत्सव का सफल होना माता रानी की कृपा और मंडली की मेहनत का परिणाम है। हजारों की भीड़ में शामिल बच्चे, माताएँ, बहनें और बुज़ुर्गों ने इसे भक्ति और सांस्कृतिक एकता का अनूठा संगम है यह आयोजन न सिर्फ अमलाई क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करता है, बल्कि समाजसेवा और टीमवर्क का भी प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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