आम रास्ते पर लगाया लोहे का गेट, नियमों को दरकिनार कर की गई मनमानी, परेशान रहवासी बोले “खुलवाइए रास्ता” क्या नगर निगम से ली गई अनुमति? आखिर किसकी अनुमति से बंद किया गया रास्ता

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आम रास्ते पर लगाया लोहे का गेट, नियमों को दरकिनार कर की गई मनमानी, परेशान रहवासी बोले “खुलवाइए रास्ता”
क्या नगर निगम से ली गई अनुमति? आखिर किसकी अनुमति से बंद किया गया रास्ता
शहर के जगमोहन दास वार्ड की डॉ. माली गली में कुछ परिवारों द्वारा आम रास्ते पर लोहे का गेट लगाकर आवागमन रोक देने का मामला नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। जहां एक ओर शासन-प्रशासन खुले रास्तों और नागरिक सुविधा के लिए लगातार अभियान चला रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर के बीचोंबीच नियमों को दरकिनार कर सार्वजनिक मार्ग को बंद कर देना कानूनी उल्लंघन के साथ-साथ जन असुविधा का कारण बन गया है।
कटनी। शहर के जगमोहन दास वार्ड स्थित डॉ. माली गली में कुछ लोगों द्वारा आम रास्ते पर लोहे का गेट लगाकर मार्ग अवरुद्ध कर देने का मामला सामने आया है। इस मनमानी से गली में रहने वाले कई परिवार आवागमन में भारी परेशानी झेल रहे हैं।
प्रभावित परिवारों ने बताया कि गली में लोहे का गेट लगने के कारण रोजमर्रा की आवाजाही में कठिनाई हो रही है। इतना ही नहीं, भविष्य में यदि किसी आपात स्थिति जैसे एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड को अंदर प्रवेश करना पड़े, तो बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गेट लगाने की कोई पूर्व सूचना या अनुमति नगर निगम से नहीं ली गई, न ही इस बारे में वार्ड पार्षद को जानकारी दी गई। लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर किसकी अनुमति से यह गेट आम रास्ते पर खड़ा कर दिया गया, जबकि यह मार्ग सभी नागरिकों के लिए खुला रहता था।
नागरिकों ने इस प्रकरण को लेकर महापौर श्रीमती प्रीति संजीव सूरी और नगर निगम आयुक्त सुश्री तपस्या परिहार से गुहार लगाई है कि इस मामले की विधिसम्मत जांच कराई जाए और आम रास्ते से गेट तत्काल हटवाया जाए, ताकि लोगों की परेशानियां कम हो सकें। शहरवासियों का कहना है कि अगर ऐसे मामलों पर समय रहते प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई, तो आने वाले समय में आम रास्तों पर कब्जे और अनुचित निर्माण के मामले बढ़ सकते हैं।
प्रभावित नागरिकों ने नगर निगम और जिला प्रशासन से मांग की है कि आमजन के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई कर कानूनी व्यवस्था का पालन सुनिश्चित किया जाए।

क्या ली गई नगर निगम की अनुमति?
सबसे बड़ा सवाल यही है —
क्या इस गेट को लगाने के लिए नगर निगम से अनुमति ली गई थी?
क्या वार्ड पार्षद को इस निर्णय की जानकारी थी?
अगर नहीं, तो आखिर किसकी अनुमति से आम रास्ते को बंद किया गया?
नगर निगम अधिनियम के अनुसार कोई भी नागरिक सार्वजनिक मार्ग, गली या चौक को अवरुद्ध नहीं कर सकता, जब तक कि प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त न हो। ऐसे कार्य अवैध निर्माण और अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं, जिन पर विधिक कार्रवाई का प्रावधान है। यह मामला केवल एक गली का नहीं है यह शहर के आम नागरिकों के अधिकारों से जुड़ा विषय है। यदि ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह खतरनाक परंपरा बन सकती है कि कोई भी व्यक्ति आम रास्ते पर कब्जा जमाने की कोशिश करे।
कानूनी रूप से भी उल्लंघन का मामला
सार्वजनिक मार्गों पर अवरोध डालना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 283 एवं नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। नगर निगम के अधिकारी यदि इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं करते, तो यह प्रशासनिक लापरवाही मानी जा सकती है। प्रशासन से अपेक्षा की गईं है कि त्वरित जांच और कार्रवाई करें यह प्रकरण शहर के लिए चेतावनी है कि आम रास्तों पर निजी कब्जे की शुरुआत को अब ही रोकना होगा।
नगर निगम व जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि इस मामले की स्थलीय जांच कराई जाए, बिना अनुमति लगाए गए गेट को तुरंत हटवाया जाए और भविष्य में ऐसे मामलों के लिए सख्त दंडात्मक नीति लागू की जाए। क्योंकि शहर के हर नागरिक का अधिकार है कि वह अपने रास्ते पर बेखौफ होकर चल सके।

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