ॐ जाप से सात चक्रों का जागरण: तनाव, डिप्रेशन और मधुमेह से मुक्ति का सहज मार्ग–कुलगुरु रामशंकर

0
शहडोल। मानव जीवन को दीर्घायु और पूर्ण स्वस्थ रखने का वास्तविक द्वार है ध्यान। यदि इस ध्यान के प्रारब्ध में ‘ओऽम्’ का सार्थक उच्चारण करते हुए सातों चक्रों का अनुसरण किया जाए, तो व्यक्ति तत्काल लाभ का अनुभव कर सकता है। यह बात आज पिरामिड ध्यान जगत की स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शहडोल विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. रामशंकर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त की।
कार्यक्रम का आयोजन पांडवनगर स्थित भारत माता स्कूल के पास गौरी शंकर गुप्ता  के निवास पर किया गया। डॉ. रामशंकर ने ओंकार स्वर के सात चक्रों की व्याख्या करते हुए कहा कि – “लम् (मूलाधार), वम् (स्वाधिष्ठान), रम् (मणिपुर), यम् (अनाहत्), हम् (विशुद्ध), ॐ (आज्ञाचक्र) और आह ओंम् (सहस्त्रार) – इन सभी का मानव जीवन को संतुलित, ऊर्जावान और रोगमुक्त बनाने में विशेष योगदान है।”
उन्होंने बताया कि ध्यान और ओंकार साधना से सामान्य गृहस्थ व्यक्ति भी तनाव, माइग्रेन, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों से मुक्ति पा सकता है। साथ ही, यह प्रक्रिया शरीर के वजन को संतुलित रखने और “औरा” को प्रभावशाली बनाने में मदद करती है।
दीप प्रज्वलन और सम्मान समारोह
कार्यक्रम का शुभारंभ मां वीणापाणी सरस्वती और भगवान गौतम बुद्ध के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद ध्यान और योग की महत्ता पर कई विशिष्ट जनों ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर के.पी. महेन्द्रा, डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, डी.के. रुसिया, डॉ. टी.एन. चतुर्वेदी, गोविन्द सिंह परिहार, प्रकाश तिवारी, के.पी. शर्मा, बल्देव शर्मा, जय तनेजा, वर्षा तनेजा, राजेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र अग्रवाल, महेश प्रसाद साहू, के.के. सिंह, अनिल दीक्षित एवं आयोजनकर्ता गौरी शंकर गुप्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. टी.एन. चतुर्वेदी, ए.के. श्रीवास्तव, के.पी. महेन्द्रा, डी.के. रुसिया और वर्षा तनेजा ने योग व ध्यान के महत्व पर प्रकाश डाला।
पत्रकारों और अतिथियों की भूमिका
समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश अग्रवाल ने किया। वहीं पिरामिड ध्यान जगत की ओर से मुख्य अतिथि, संस्था के संस्थापक एवं विशिष्ट अतिथियों को शाल-श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन के.पी. शर्मा ने किया।
ध्यान की ओर लौटने का आह्वान
डॉ. रामशंकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक जीवनशैली ने जहां मनुष्य को तनावग्रस्त बनाया है, वहीं ध्यान और ओंकार जाप ही ऐसा उपाय है जो बिना दवाइयों के जीवन में नई ऊर्जा और शांति भर सकता है। उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे मोबाइल और सोशल मीडिया पर समय गंवाने की बजाय प्रतिदिन कुछ समय ध्यान और ओंकार साधना को दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed