भाजपा विधायक पति पंचायत में खेल रहा खेल, विधायक मद से बन रही बाउंड्री वाल बनवा रहा विधायक पति

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(अनिल लहँगीर)
बुढार यह पंचायत एक कहावत चरितार्थ करता है कि जब सईया भए कोतवाल तो डर काहे का ।
जनपद पंचायत बुढार अंतर्गत ग्राम टिकरी में भाजपा विधायक का पति विगत कई वर्षों से सरपंच है जो इन दिनों विधायक मद से स्वीकृत पैसों से ग्राम में निर्माण कार्य कराकर बंदरबांट कर रहे हैं।
हाल ही में ग्राम पंचायत टिकरी के मझटोलिया प्राथमिक विद्यालय परिसर में विधायक मत से 5 लाख रुपए की लागत से बाउंड्रीवाल निर्माण कार्य कराया गया है। उक्त कार्य में विधायक पति बबुआ द्वारा गुणवत्ताहीन बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया गया। जिसकी पोल कार्य पूर्ण होने से पहले ही खुलकर सामने आने लगी है। वही विधायक पति होने की भार संबंधित विभाग के सहायक यंत्री एवं उपयंत्री को उठाना पड़ रहा है। जिसमें इंजीनियर द्वारा मौके का निरीक्षण कर गुणवत्ता परखने की तो बात दूर समस्त कार्यो का घर बैठे बैठे कार्य का मूल्यांकन कर दिया जाता है।

ग्रामीणों ने लगाया आरोप

विधायक पति ने खोला ठेका प्रथा

इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि रसमोहनी से लगे आसपास के गांव में जितने भी निर्माण कार्य होते हैं उसमें भाजपा विधायक के पति ठेकेदारी प्रथा चालू कर समस्त कार्यों में अपनी संलिप्ता बना रखें हैं देखा गया है कि इनके द्वारा इस क्षेत्र में जितने भी कार्य कराया गया है वे गुणवत्ता हीन घटिया स्तर का निर्माण कार्य कराया गया है जो परत दर परत निकलकर अब सामने आ रही है जिसमें अब ग्रामीणों ने आवाज उठना शुरू कर दिया है। वही समाग्री सप्लाई एवं निर्माण कार्य में फर्जी बिल लगाकर मोटी रकम बंदरबांट करने के आरोप लगाया गया है।
भाजपा विधायक अपने मद से होने वाले निर्माण कार्य में 10% कमीशन का खेल खेला जाता है परंतु वही विधायक पति को काम मिलने पर प्रतिशत दर बढ़ जाता है। जिस ग्राम में विधायक निवासरत है उस क्षेत्र में भी उनके पति ठेकेदारी प्रथा चलाकर अपनी पत्नी की छवि को धूमिल कर रहे हैं।
दिया तले अंधेरा एक तरफ जैतपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता अपनी समस्याओं को लेकर अपने क्षेत्र की सांसद एवं विधायक के पास आते है परंतु जब विधायक अपने परिवार के लोगों को लाभ दिलाने के लिए सभी सीमाएं लांग जाए तो आखिरकार जनता किसके पास न्याय मांगने जाए जैतपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने अपने क्षेत्र की जनप्रतिनिधि को अपना मत देकर अपना नेता चुना लेकिन कुर्सी में बैठते ही विधायिका के सुर बदल गए। विधानसभा 85 की जनता अपने क्षेत्र की विधायक से मिलने के लिए तरस रही है कोरोना महामारी में विधायिका शहडोल के आलीशान बंगले में अपने आपको तो सुरक्षित महसूस कर रही थी परंतु ग्रामीण इस महामारी काल में विधायिका जी मिलने के लिए परेशान रहे, लेकिन एक भी दिन गरीबों की सुध लेने विधायिका नहीं पहुंची मात्र उन्हीं जगह विधायिका गई जहां पूंजीपति के संबंधो व मीडिया में वाहवाही लुटने लिए पहुँची।

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