“ब्लॉक अध्यक्ष का बकहो प्रेम, धनपुरी-बुढार वालों को सलाम, पर दूर से!”

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(शुभम तिवारी)
शहडोल।धनपुरी और बुढार की राजनीति में इन दिनों एक नया ट्रेंड चला है  “दूरी में ही सुरक्षा”। हमारे ब्लॉक अध्यक्ष महोदय, जिन्हें प्यार से (या चुटकी लेकर) लोग “पनौती” कह देते हैं, ने खुद अपनी राजनीतिक रूटमैप में साफ़ कर दिया है कि अब वो इन दोनों जगहों के पास भी नहीं भटकेंगे। कारण? कारण तो बेहद “व्यावहारिक” है  उनके आधे से ज्यादा साथी नेता खुद ठेकेदार हैं, और ऐसे में नज़दीकी का मतलब होगा ठेके, टेंडर और टेंट में टकराव!
जनता के बीच में गजब का आत्मविश्वास झलकाते हुए उन्होंने ऐलान किया  “टेंट लगाऊंगा तो सिर्फ बकहो में, और वह भी परमानेंट!” अब कोई पूछे कि बकहो में ऐसा क्या खास है? तो जवाब है  वहां का माहौल, वहां की हवा, और सबसे बढ़कर… वहां ठेकेदारों का दबदबा ज़रा कम है। यही वजह है कि अब दोनों निकायों (धनपुरी और बुढार) के नेताओं को भी बुलाया जाएगा, लेकिन कार्यक्रम? सिर्फ बकहो में!
कुछ लोगों का कहना है कि ब्लॉक अध्यक्ष महोदय का यह निर्णय राजनीति से ज्यादा “सुरक्षा कवच” है। आखिर, जब साथी नेता भी ठेकेदार हों, तो हर आयोजन ठेके की बोली जैसा हो जाता है  और ऐसी स्थिति में कोई भी होशियार नेता वहां से सम्मानजनक दूरी बनाए रखेगा।
मजेदार बात ये है कि अगर पार्टी का कोई युवा नेता इस दूरी की राजनीति पर सवाल उठा दे, तो महोदय के पास उसका भी इलाज है “आवाज़ उठाओ, लेकिन उठने के बाद खुद ही दबा लेना… वरना हम दबा देंगे!” यानी पार्टी में लोकतंत्र भी है, लेकिन वो माइक वाला लोकतंत्र  चालू होते ही ऑफ कर दिया जाता है।
धनपुरी और बुढार के मतदाता अब सोच में हैं कि उनका ब्लॉक अध्यक्ष उनसे दूर क्यों भाग रहा है। वहीं बकहो वाले खुश हैं कि अब उनकी गली-मोहल्लों में टेंट ऐसे लगेंगे जैसे चुनावी वादे  हर वक्त मौजूद, चाहे ज़रूरत हो या न हो।
आखिर में, नेता जी के शब्दों में  “दूरी ही राजनीति की नई पॉलिसी है, और बकहो ही नया पावर सेंटर!” अब धनपुरी-बुढार वालों को समझना पड़ेगा कि “पनौती” दूर रहे तो भलाई भी दूर रहती है… और टेंट तो बिल्कुल ही।

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