चौपाटी पर खून, पुलिस पर सवाल ‘प्रहार’ अभियान के बीच दो की हत्या, एक गंभीर,अपराधियों ने पुलिस को दी खुली चुनौती वर्चस्व, रील और रक्त युवा मानसिकता और पुलिस प्रशासन दोनों सवालों में

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चौपाटी पर खून, पुलिस पर सवाल ‘प्रहार’ अभियान के बीच दो की हत्या, एक गंभीर,अपराधियों ने पुलिस को दी खुली चुनौती वर्चस्व, रील और रक्त युवा मानसिकता और पुलिस प्रशासन दोनों सवालों में

कटनी की सड़कों पर अब खामोशी की जगह चीखें गूंज रही हैं, चाय की दुकानों पर गपशप नहीं बल्कि खून बह रहा है, और पुलिस के ‘प्रहार’ अभियान के बावजूद अपराधियों की छाती में डर नहीं, दंभ पल रहा है। जिस चौपाटी पर आम लोगों का हँसता-गुनगुनाता जमावड़ा होता था, वहां अब मौत का मंजर फैला है। दो युवकों की खुलेआम हत्या और एक की जिंदगी मौत से जूझती हालत में अस्पताल — यह सब उस समय हुआ, जब पुलिस दावा कर रही थी कि शहर में विशेष कांबिंग गश्त चल रही है। अब सवाल सीधा है — क्या अपराधियों ने पुलिस को खुली चुनौती दे दी है, या फिर पुलिस की कार्यप्रणाली ही अपराध को निमंत्रण दे रही है?

कटनी। शहर में पुलिस की लगातार विशेष गश्त और ‘अपराधियों पर प्रहार’ जैसे अभियानों के बावजूद अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब वे न सिर्फ खुलेआम अपराध कर रहे हैं, बल्कि पुलिस को उसके ही अभियान के बीच खुली चुनौती भी दे रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात शहर के सबसे व्यस्त इलाके चौपाटी में देखने को मिला, जहां मामूली विवाद में तीन युवकों पर चाकू से जानलेवा हमला किया गया। इस घटना में दो युवकों की मौके पर मौत हो गई, जबकि तीसरा युवक गंभीर अवस्था में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है।

कोतवाली से चंद कदमों की दूरी पर हुआ खूनी खेल

चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटना कोतवाली थाने से महज कुछ कदमों की दूरी पर घटित हुई, जहां पुलिस की सक्रियता और गश्त सबसे अधिक मानी जाती है। सागर ,सुजल और एक अन्य युवक चौपाटी की एक चाय दुकान में बैठे थे। तभी गायत्री नगर निवासी रोशन सिंह (23), उत्कर्ष दुबे (22) और विनेश (20) मौके पर पहुँचे। पुराने विवाद के चलते दोनों पक्षों में तीखी बहस हुई और देखते ही देखते सागर और सुजल के साथ एक अन्य साथी ने तीनों युवकों पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। घटना इतनी तेज़ थी कि रोशन और उत्कर्ष ने इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया, जबकि विनेश की हालत गंभीर बनी हुई है। उसे पहले जिला अस्पताल और फिर जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।

पुलिस पर सवाल, अपराधियों के हौसले क्यों बुलंद?

घटना ने एक बार फिर पुलिस की कानून व्यवस्था और ‘अपराधियों पर प्रहार’ अभियान की प्रभावशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जिस समय पुलिस शहर में विशेष कांबिंग गश्त कर अपराधियों को पकड़ने का दावा कर रही थी, उसी समय शहर के केंद्र में चाकू से हत्या की वारदात ने पुलिस की तैयारी की पोल खोल दी। इससे ठीक एक दिन पहले खिरहनी फाटक के लाल ग्राउंड में क्रिकेट मैच के दौरान एक नाबालिग पर चाकू से हमला किया गया था। इन दोनों घटनाओं में एक समानता यह है कि दोनों ही कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुईं, हलाकि खिरहनी फाटक के लाल ग्राउंड में हुई चाकू बाजी के मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। चौपाटी में हुई चाकूबाजी की घटनाओं में अपराधियों ने आसानी से फरार होकर यह दिखा दिया कि पुलिस की उपस्थिति का अब उनके लिए कोई मतलब नहीं रहा।

बढ़ते अपराध: महंगे शौक, वर्चस्व और ‘रील’ संस्कृति

वही यह भी माना जा रहा है कि युवाओं में बढ़ते वर्चस्व की भावना, सोशल मीडिया पर ‘गैंग’ संस्कृति और दिखावे की रील संस्कृति ने उन्हें हिंसा की ओर धकेल दिया है। छोटी-छोटी बातों पर अब बहस नहीं, सीधे चाकू चलाए जा रहे हैं। कटनी में हाल के महीनों में चोरी, लूटपाट, हथियारों का प्रदर्शन और चाकूबाज़ी की घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।

पुलिस द्वारा ‘अपराधियों पर प्रहार’, ‘रात्रिकालीन कांबिंग’, ‘सघन चेकिंग’ जैसे अभियानों के प्रचार किए जा रहे हैं, परंतु इन अभियानों का जमीनी असर नदारद है। जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। दिन हो या रात, चौपाटी, खिरहनी, गायत्रीनगर,माधवनगर, स्टेशन रोड जैसे इलाके अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं।

कोतवाली थाना प्रभारी अजय सिंह ने बताया कि घटना में नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। लेकिन सवाल यह है कि,जब अपराधी पुलिस की नाक के नीचे हत्या को अंजाम देने में सक्षम हैं, तो फिर जनता किससे सुरक्षा की उम्मीद करे? कटनी में अपराधियों की बेलगाम हिम्मत पुलिस के लिए चेतावनी है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिन और भी भयावह हो सकते हैं। अब सवाल सिर्फ इतना है कि-क्या पुलिस अपने अभियान की असलियत स्वीकार कर शहर की सुरक्षा के लिए रणनीति बदलेगी, या फिर अपराधियों को इसी तरह खुला मैदान मिलता रहेगा?

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