पीएमजीएसवाई की पोल खोलता पुल:दो दर्जन दरारें बनीं खतरे का संकेत

शहडोल/उमरिया।मध्यप्रदेश सरकार आदिवासी अंचलों के विकास और संपर्क मार्गों के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत इन जनहितकारी योजनाओं को पलीता लगा रही है। उमरिया जिले के ग्राम पहड़िया में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बना एक पुल पहली ही बारिश में दरक गया। पुल के दोनों सिरों से जमीन धंस चुकी है, वहीं पूरे पुल पर दो दर्जन से अधिक दरारें साफ नजर आ रही हैं।
निर्माण में भारी अनियमितताएं, घटिया गुणवत्ता का पुल
यह पुल भीमाडोंगरी से पहाड़िया को जोड़ने वाली सड़क पर बना है, जिसका ठेका शहडोल के चर्चित ठेकेदार विवेक खोडियार को मिला था। महरोई गेट से पहाड़िया की ओर जाने वाले इस मार्ग पर पुल निर्माण के नाम पर भारी भ्रष्टाचार हुआ। निर्माण के कुछ महीनों में ही पुल के नीचे की मिट्टी खिसक गई, सरफेस और साइड स्ट्रक्चर बैठ गया और दरारें उभर आईं।

गिट्टी डालकर भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश
पुल के दोनों सिरों से जमीन धंस चुकी है, बावजूद इसके न तो आवागमन रोका गया और न ही किसी प्रकार की चेतावनी लगाई गई। पुल पर गिट्टी डालकर दरारों को छिपाने की कोशिश की जा रही है। यह अस्थायी मरम्मत किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विभाग जानबूझकर मामले को नजरअंदाज कर रहा है।
क्या हादसे का इंतजार कर रहा विभाग?
स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को पुल की स्थिति से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पुल से भारी वाहनों का गुजरना लगातार जारी है, जिससे उसकी स्थिति और बिगड़ती जा रही है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या विभाग किसी बड़े हादसे के बाद ही कार्रवाई करेगा?
ठेकेदार विवेक खोडियार पहले भी रहे विवादों में
इस निर्माण कार्य के पीछे जिस ठेकेदार का नाम है, वह पहले भी कई सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों में रहा है। विवेक खोडियार शहडोल में बोल्डर खनन, नगर पालिका प्रकरण और अन्य निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप झेल चुका है। अब इस पुल ने एक बार फिर उसकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
ब्लैकलिस्ट और कार्यवाही की उठी मांग
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पुल निर्माण में भ्रष्टाचार करने वाले ठेकेदार को शासकीय कार्यों से ब्लैकलिस्टेड किया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों पर निलंबन, जांच और आर्थिक रिकवरी की कार्यवाही होनी चाहिए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो यह पुल किसी भी दिन जानलेवा हादसे का कारण बन सकता है।