सीवर लाइन के द्वारा खोदे गए गड्ढे में बस फंसी, आए दिन हो रही दुर्घटनाएं
शहडोल से अनिल तिवारी की रिपोर्ट
शहडोल । नगर पालिका अंतर्गत मेन रोड जेल तिराहे के समीप सीवर लाइन विस्तार कार्य के कारण चल रही अव्यवस्थित खुदाई एक बार फिर गंभीर लापरवाही की मिसाल बनकर सामने आई। सीवर लाइन की पाइप बिछाने के लिए सड़क किनारे खोदी गई नाली में आज सुबह ट्यूशन जा रही छात्राओं से भरी एक स्कूल बस अचानक धंस गई। बस जैसे ही सड़क के संकरे हिस्से से गुज़री, सिविल लाइन के ठेकेदारों द्वारा खुले छोड़े गए गड्ढे में भरी गीली मिट्टी अचानक बह गई, जिससे बस का अगला पहिया नाली में बैठ गया।
घटना के समय बस में रावतपुरा नर्सिंग कॉलेज की करीब दो दर्जन छात्राएँ सवार थीं। धंसने की हल्की आवाज़ और बस का संतुलन बिगड़ते ही बच्चों में घबराहट फैल गई, लेकिन बड़ी दुर्घटना होने से बाल-बाल बचाव हो गया। तुरंत चालक ने समझदारी दिखाते हुए बस को रोका और शिक्षकों के साथ मिलकर छात्राओं को सुरक्षित बाहर निकाला। सभी बच्चों को पास के एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। सौभाग्य से इस हादसे में कोई भी छात्रा घायल नहीं हुई।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सीवर लाइन प्रोजेक्ट के नाम पर दिनों से मेन रोड की खुदाई चल रही है, लेकिन न तो बैरिकेडिंग की व्यवस्था है और न ही चेतावनी बोर्ड लगाए जाते हैं। गड्ढों में कीचड़ भरी रहती है, जिससे आए दिन वाहन फंसते रहते हैं और दुर्घटनाएँ टलती-टलते रह जाती हैं। लोगों का कहना है कि ठेकेदारों और सिविल लाइन विभाग की लापरवाही अब पूरे शहर के लिए खतरा बन चुकी है। खुदाई तो कर दी जाती है, लेकिन उसका समय पर समतलीकरण या सुरक्षा इंतज़ाम नहीं किए जाते, जिसके कारण मेन रोड से लेकर कई गलियों तक यातायात अवरुद्ध रहता है।
व्यापारियों और आम नागरिकों का कहना है कि नगर पालिका और सीवर लाइन के अफसर सिर्फ कागज़ों में काम पूरा दिखा देते हैं, जबकि जमीनी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। सुबह-शाम स्कूल समय में तो यह क्षेत्र और भी जोखिम भरा हो जाता है, क्योंकि सड़क पहले से संकरी है और खुदाई ने इसे और खतरनाक बना दिया है।
आज की घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि यदि नगर पालिका और सीवर लाइन विभाग ने जल्द कठोर कदम नहीं उठाए, तो किसी दिन बड़ी दुर्घटना होना तय है। नागरिकों ने मांग की है कि ठेकेदार पर कार्रवाई की जाए, रोड की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की जाए और जब तक पूरा कार्य सुरक्षित तरीके से पूरा न हो, तब तक यहां से भारी वाहनों का संचालन रोका जाए।
शहडोल जैसे संवेदनशील और व्यस्त शहर में इस तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है। सौभाग्य रहा कि आज कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन सवाल यह है कि ऐसी लापरवाही कब तक शहर को जोखिम में डालती रहेगी?