सीईओ की जनविरोधी कार्यशैली का ज्ञापन  में किया खुलासा

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जनपद अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से किया सम्मान बचाने की मांग

शहडोल। जनपद सोहागपुर अध्यक्ष हीरावती कोल ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुए कार्यपालन अधिकारी श्रीमती ममता तिवारी की स्वेच्छाचारी व जनविरोधी कार्यशैली का खुलासा किया है। जिसमें उन्होने सीईओ सोहागपुर जनपद के विरुद्ध कई विन्दुओं की ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ध्यान आकृष्ट कराया है और उनसे मांग की है कि ऐसे लापरवाह व द्वेषभावना से ग्रसित सीईओ को तत्काल हटाया जाए ताकि जनप्रतिनिधियों का सम्मान बचा रहे और मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जनहित के कार्य सम्पन्न हो सकें। ज्ञापन में लेख है कि श्रीमती तिवारी तीन वर्षों से अधिक समय से यहां पदस्थ हैं इन्होने अपने धनार्जन के कई स्त्रोत बना लिए हैं।

दुराग्रहों से ग्रसित कार्यप्रणाली

सीईओ ने गणतंत्र दिवस पर आदिवासी महिला जनपद अध्यक्ष को ध्वजारोहण का अवसर नहीं दिया। इनकी मानसिकता व कार्यशैली दुराग्रहों से ग्रसित प्रतीत होती है जिससे जनपद के कई सदस्य क्षुब्ध हैं। श्रीमती तिवारी से कई बार निवेदन किया जा चुका है फिर भी सामान्य सभा की कार्यवाही का पालन प्रतिवेदन देने में इनकी कोई रूचि नहीं रहती। श्रीमती तिवारी कई विषयों पर वरिष्ठ अधिकारियों के दखल की आड़ लेकर मनमानी करती है। पारित प्रस्तावों को मनमाने तरीके से रोक लगाने या तोड़ मरोड़ कर पालन कराने का कार्य करती है। जिससे प्रस्ताव अपने मूल उद्देश्य से विलग हो जाता है। प्रस्ताव बनाना और उसे पारित करना यह जनपद पंचायत का मूल दायित्व है इस पर हस्तक्षेप करना लोकतांत्रिक भावना को आहत करता है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति सहयोग नहीं

माना जाता है कि जनपद पंचायत अपने सदस्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रस्ताव बनाने का प्रयास करती है। अगर उनमें छेड़छाड़ हुई तो उसके स्वरूप में परिवर्तन हो जाता है वह प्रस्ताव क्षेत्र के अनुरूप नहीं रह जाता है। इसके अलावा बैठकें, विचार विमर्श और कार्रवाई का  पालन प्रतिवेदन आदि सब एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंग हैं। इनके विरुद्ध होने वाला आचरण लोकतंत्र विरोधी माना जाना चाहिए। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वरूप भी बिगड़ता है। सीइओ इस संदर्भ में भी गंभीर नहीं हैं। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था ही लोकतांत्रिक ढांचे को पुख्ता बनाने के लिए की गई थी। लेकिन सीइओ का बर्ताव सहयोगात्मक नहीं है।

ऐसी भी अफसरशाही

ज्ञापन में इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया कि श्रीमती तिवारी सामान्य रूप से जनपद सदस्यों के लिए उपलब्ध नहीं रहती हैं। मुख्यालय में ही कई दिनों तक उपस्थित नहीं रहतीं और घर में बैठकर कार्य करतीं हैं। इनकी अनुपस्थित से जनप्रतिनिधि अपनी समस्याओं अपने क्षेत्र के  कार्यों को समय पर पूरा करने में अक्षम रहते हैं। ज्ञातव्य है कि जनपद एक अद्र्धशासकीय संस्था है जहां शासन और जनप्रतिनिधि मिलकर जनहितकारी नीतियों का क्रियान्वयन करते हैं। हर जनप्रतिनिधि की अपने क्षेत्र के प्रति जिम्मेदारी होती है वह अपने क्षेत्र के लोगों को जवाब नहीं दे पाता है।

द्वेषपूर्ण आचरण से आफत

जनपद अध्यक्ष ने अपने ज्ञापन में कहा कि अगर अधिकारी का आचरण इतना लापरवाही भरा व द्वेषपूर्ण है तो शासन की जनहितकारी नीतियों का समुचित रूप से व समय पर कैसे निष्पादन कराया जा सकता है। जाहिर है कि नीतियां और उसके लिए किए जाने वाले कार्य प्रभावित होते हैं। मुख्यमंत्री महोदय जिन कार्यों के लिए कृत संकल्पित और वचनबद्ध हैं उन कार्यों के उद्देश्य पूर्ति में बाधा पहुंचती है। उन्होने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसे कार्यपालन अधिकारी को तत्काल हटाकर उचित व्यवस्था कराई जाए। ताकि जनप्रतिनिधियों का सम्मान बचा रहे।

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