सिविल अस्पताल जयसिंहनगर पर फिर मंडराया विवाद – शराबी डॉक्टर की करतूतों से दहशत, प्रशासन मौन

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शहडोल। सिविल अस्पताल जयसिंहनगर एक बार फिर गंभीर आरोपों की वजह से सुर्खियों में है। यहां बीएमओ डॉ. आनंद प्रताप सिंह के खिलाफ लंबे समय से नशाखोरी, मारपीट और मरीजों व उनके परिजनों को झूठे मुकदमों में फँसाने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लगातार शिकायतों और जनप्रतिनिधियों की दखल के बाद भी प्रशासन अब तक मौन है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या शासन-प्रशासन किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब भी मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, तो डॉ. सिंह अकसर नशे की हालत में पाए जाते हैं। अस्पताल परिसर में उनके साथ कुछ स्थानीय लोग भी शराबखोरी करते दिखते हैं। आरोप है कि छोटी-छोटी बातों पर वे मरीजों और उनके परिजनों से उलझ जाते हैं, मारपीट तक पर उतर आते हैं और फिर उन्हीं पीड़ितों पर थाने में एफआईआर दर्ज करा देते हैं।

करीब बीस दिन पहले राहुल सोनी निवासी खुशरवाह का मामला सामने आया था। राहुल को लीवर की समस्या थी, लेकिन जब वह अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर नशे में धुत पाए गए। आरोप है कि उन्होंने राहुल को गैस की गोली थमा दी और जब मरीज ने आपत्ति जताई तो उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट कर दी। इतना ही नहीं, डॉक्टर ने उल्टा राहुल पर ही रिपोर्ट दर्ज कराई और उसे 24 घंटे तक जेल में रहना पड़ा। पीड़ित ने इस मामले की शिकायत मानव अधिकार आयोग तक कर दी है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा को शिकायतें सौंपी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यही कारण है कि क्षेत्रीय जनता का गुस्सा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। आम लोगों का कहना है कि यह डॉक्टर अस्पताल को “मधुशाला” बना चुके हैं और मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

लोगों में यह भी आशंका है कि यदि इसी तरह की लापरवाही और शराबखोरी जारी रही, तो अस्पताल में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। यही वजह है कि नगर और क्षेत्रीय जन मानस में दहशत का माहौल है। जनता पूछ रही है कि आखिर कब तक शराबी डॉक्टर से मरीजों को डरते-डरते इलाज कराना पड़ेगा।

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही डॉ. आनंद प्रताप सिंह को हटाकर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आमरण अनशन और बड़े जन आंदोलन का सहारा लेंगे। उन्होंने साफ कहा है कि यदि कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।

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