दादू करा रहे हैं देसी मिठास की आपूर्ति
(शुभम तिवारी)शहडोल। भगवान न करे किसी की जीभ पर देसी स्वाद चढ़ जाए, और अगर वह स्वाद खालिस घी में डूबा हो तो फिर रोज़ की फरमाइश तय है। इन दिनों साहिबा को पसगढ़ी का घी और वहां का पेड़ा ऐसा भाया कि घर का राशन नहीं, रास्ते का वाहन अहम हो गया। संयोग से ब्यौहारी वाले दादू का रूट भी उधर से ही निकलता है।बस फिर क्या! हर गुजरते दिन के साथ मिठास की खेप पहुंच रही है। नतीजा यह कि मैडम और जैन साहब रोज़ चख रहे हैं देसी आनंद, और स्टैंड गिन रहा है अगली खेप की तारीख।