जंगल में कैद विकास शेर-तेंदुए के खौफ में स्कूल से दूर बच्चे, बिना बिजली-सड़क नरकीय जीवन जी रहा खरहटा गांव क्या सरकार खरहटा तक पहुंचेगी… या यह गांव यूं ही जंगल में कैद रहेगा?
जंगल में कैद विकास शेर-तेंदुए के खौफ में स्कूल से दूर बच्चे, बिना बिजली-सड़क नरकीय जीवन जी रहा खरहटा गांव
क्या सरकार खरहटा तक पहुंचेगी… या यह गांव यूं ही जंगल में कैद रहेगा?
मध्यप्रदेश में विकास के दावे… योजनाओं की लंबी फेहरिस्त… लेकिन कटनी जिले का एक गांव ऐसा, जहां संविधान के अधिकार जंगल में दबे पड़े हैं।
यह तस्वीरें किसी दूर देश की नहीं, बल्कि ढीमरखेड़ा जनपद के ग्राम खरहटा की हैं—जहां बच्चों की पढ़ाई पर शेर-तेंदुओं का पहरा है, और सरकार की योजनाएं रास्ता भटक चुकी हैं।
ढीमरखेड़ा/कटनी। डिजिटल इंडिया और सुशासन के दावों के बीच जिले का ग्राम खरहटा आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है। ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत जिर्री का यह आश्रित गांव शाहडार के घनघोर जंगलों में फंसा हुआ ऐसा गांव है, जहां बच्चों की पढ़ाई पर जंगली जानवरों का पहरा है और ग्रामीणों का जीवन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नरक समान हो गया है। मुख्य मार्ग से पांच किलोमीटर कच्चे जंगली रास्ते से होकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे शेर, तेंदुआ, भालू और जंगली सूकर के आमने-सामने आने के डर से स्कूल जाना छोड़ चुके हैं। गांव में न बिजली है, न पक्की सड़क, न स्कूल, न आंगनबाड़ी और न ही आशा कार्यकर्ता की व्यवस्था।
बच्चों की पढ़ाई ठप, जान का खतरा सबसे बड़ा सवाल
ग्रामीणों के अनुसार जंगली जानवर आए दिन गांव के आसपास घूमते हैं। कई बार पालतू मवेशियों को अपना शिकार बना चुके हैं। ऐसे में मासूम बच्चों को जंगल के रास्ते स्कूल भेजना मौत को न्योता देने जैसा है। पूरे गांव में खौफ का माहौल व्याप्त है।

लाडली बहना योजना से भी वंचित महिलाएं
गांव की महिलाएं लाडली बहना योजना जैसे महत्वपूर्ण शासकीय लाभ से भी वंचित हैं। ग्रामीण महिला पार्वती यादव और दस्सो यादव ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं यादव समाज से हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में यादव समाज के गरीब ग्रामीण आज भी उपेक्षित हैं।
सालों से मांग, लेकिन समाधान शून्य
स्कूल, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता, बिजली और पक्की सड़क की मांग ग्रामीण वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

सीईओ पहुंचे गांव, खुली व्यवस्थाओं की पोल
मामले के उजागर होने के बाद जनपद पंचायत सीईओ यजुर्वेद कोरी गांव पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा की। यहां डिजिटल इंडिया की हकीकत सामने आई 21वीं सदी में भी पूरा गांव बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी मूल सुविधाओं से वंचित। सीईओ ने ग्रामीणों को समस्त समस्याओं के शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया, जिससे ग्रामीणों में उम्मीद जगी है।

सबसे बड़ा सवाल
क्या विकास योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमट गई हैं?
क्या जंगलों में बसे गांवों के बच्चे पढ़ाई के अधिकार से वंचित रहेंगे?

कब पहुंचेगी सरकार की रोशनी खरहटा तक?
खरहटा गांव आज शासन से सिर्फ सुविधा नहीं, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की मांग कर रहा है।