धृतराष्ट्र बना प्रशासन : सूदखोरों के चंगुल में दम तोड़ रहे परिवार
शहडोल सहित ब्यौहारी,बुढार व धनपुरी में सिसक रही जिंदगियां
शहडोल। टारगेट पर जिले को ठेके पर लेने की चर्चाएं भले ही सही हों….गांधी के फेर में खुद के बनाए कायदों से भले ही शहडोल की जनता कराह रही हो,लेकिन कम से कम जिम्मेदारों को ऊपर वाले की अदालत और कुर्सी की मर्यादा के संबंध में भी विचार जरूर करना चाहिए….जुगाड़ के प्रतिबंध और शासकीय योजनाओं से जुगाड़ के साथ मौजूद परिस्थितियों को ठेके पर तो देने और इस तरह से आंखें मूंदने को तो बर्दाश्त किया जा सकता है,पर कोई परिवार सिसक सिसक कर मरता रहे और यह सिसक उसकी जान ले ले,इसे तो अनदेखा नहीं करना चाहिए, जिम्मेदारों को ऊपर वाले ने कम से कम इसके लिए तो यह वजूद नहीं दिया होगा की इस सिसक से वे अपने कान दोनो हाथो से बंद कर लेंगे……..चाहे इस सूची में अपनी योग्यता के बलबूते ऊंचाइयों तक पहुंचे नौकरशाह हो या जनप्रतिनिधि, दलों के पदाधिकारी या फिर व्यापारिक,सामाजिक या अन्य संगठनों के मुखिया ही क्यों न हो,सभी के कंधो पर ही स्वस्थ समाज की धुरी टिकी हुई है…
जागो जिम्मेदारों…सूदखोरों की हवस लील रही जिंदगियां
शहडोल ही नहीं पूरे संभाग और कमोबेश पूरे प्रदेश में यही स्थिति हैं, पर पूरी दुनिया न सही अपने अपने आस पास की व्यवस्थाओं को यदि हम आप दुरुस्त कर ले तो सूदखोरों की जंजीरों से कई परिवारों की जान जरूर बचाई जा सकती है……
जिले और संभाग के सभी थाना क्षेत्रों के ऐसे सूदखोर थाने से लेकर चौराहों तक अरसे से चिन्हित है,जो मजबूरी का फायदा उठाकर रूपयो के साथ घर ,जमीन जायजाद और महिलाओं की अस्मत तक लूट रहे है,कलेक्टर ,एस पी के अधीन तैनात फौजे और जनप्रतिनिधि अपने वोट का कर्ज,पत्रकार अपनी कलम का कर्ज महज एक मानवता के पुनीत कार्य से कर के चुका सकते है……..
(लगातार….सूदखोरी जैसे कोढ़ के अंत तक)